जल भराव संकट का समाधान
जन संसद की राय है कि वर्षा ऋतु में जलभराव का संकट तंत्र की काहिली का नतीजा है। वर्षाजल की निकासी न होना तथा सीवर व नालों की सफाई न किया जाना भी कारण है। वहीं जल भराव के प्राकृतिक स्थलों पर अतिक्रमण ने संकट को बढ़ाया है।
पुरस्कृत पत्र
विशिष्ट उपाय जरूरी
वर्षा जल निकासी व्यवस्था की एक निश्चित क्षमता होती है। क्षमता से ज्यादा जल आने पर व्यवस्था चरमरा जाती है। निकासी व्यवस्था में जल प्रवाह इसलिए बढ़ता है क्योंकि कंक्रीट के जंगल ने प्राकृतिक वर्षा जल संचयन प्रणाली समाप्त कर दी है। साथ ही निकासी व्यवस्था की समय पर सफ़ाई न होना, अतिक्रमण और झीलों व तालाबों का लुप्त होना भी जल भराव का प्रमुख कारण है। विभिन्न उपायों के बावजूद बेमौसम और असामान्य बारिश तबाही का सबब बनी। आधुनिक उपाय सिर्फ़ सामान्य बारिश की तबाही से ही बचा पाएंगे। ग्लोबल वार्मिंग से होने वाली बेमौसमी और असामान्य बारिश से स्थायी बचाव के लिए पर्यावरण की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी होगी।
बृजेश माथुर, गाजियाबाद, उ.प्र.
भूजल बढ़ाएं
आजकल फुटपाथों और पेड़ों के आसपास पेवर ब्लाक लगा दिए गए हैं जिससे बारिश का पानी जमीन के नीचे जाने की बजाय सड़कों पर बहता है। वहीं सड़कों की समय रहते मरम्मत न होने के कारण गड्ढों में पानी भर जाता है। गटरों की संख्या बढ़ाकर, समय रहते गलियों-गटरों की सफाई जरूरी है। पेवर ब्लाकों को हटाना जरूरी है ताकि बारिश का पानी जमीन के नीचे जाए। इससे सड़कों पर जलभराव भी नहीं होगा और भूमिगत जल में बढ़ोतरी भी होगी। लोगों ने भी आधुनिकता के चलते बरामदों और घर के बाहर टाइलें लगा दी हैं जिस कारण पानी जमीन के नीचे नहीं जा पाता।
अभिलाषा गुप्ता, मोहाली
नियमित हो साफ-सफाई
इस बार भारी मानसून के चलते लोगों के घरों, शॉपिंग सेंटरों में जल भराव देखा गया। जल भराव का समाधान यही है कि बरसात से पहले नालियां तथा सीवरेज की नियमित तौर पर सफाई होनी चाहिए। जल निकासी के लिए ज्यादा क्षमता वाले सीवरेज बनाने चाहिए। जिन-जिन क्षेत्रों में पानी एकत्रित होने की संभावना हो वहां उसकी निकासी के लिए विशेष प्रबंध होने चाहिए। नदियों और नालों के किनारों को पक्का करना चाहिए। जल भराव के संकट का सामना करने के लिए एनडीआरएफ को तैयार रखना चाहिए! प्रभावित लोगों के पुनर्वास का प्रबंध होना चाहिए।
शामलाल कौशल, रोहतक
लोगों को जागरूक करें
जल भराव संकट के समाधान के लिए प्रशासन को समय रहते नदी, नालों, जलाशयों, जोहड़, बावड़ी, तालाबों आदि की साफ-सफाई करनी चाहिए। प्रकृति के साथ छेड़छाड़ न करने के लिए लोगों को जागरूक करने के लिए प्रशासन को सेमीनार आयोजित करने चाहिए। वर्षा के जल मार्ग को अवरुद्ध नहीं करना चाहिए। नदी, नालों, तालाबों के किनारे कब्जा नहीं होना चाहिए। प्रशासन को लोगों को जल संचयन करने का प्रशिक्षण देना चाहिए। जिससे वर्षा के जल से भूमि जलस्तर में सुधार हो सके। सरकार को प्रभावी कदम उठाने के लिए लोगों को जागरूक करना चाहिए। जिससे जल भराव संकट का समाधान हो सके।
जयभगवान भारद्वाज, नाहड़, रेवाड़ी
जल निकासी का संकट
मानसून न बरसे तो आफत, बरसे तो इंसान। बड़े-छोटे शहर, कस्बे और गांव में जल भराव की निकासी की ओर प्रशासन का मानसून आने से कुछ पहले ध्यान जाता है। नाली-नालियों सीवर लाइनों का साफ न होना, गाद जमी रहने से बरसाती मौसम में जलभराव हो जाता है। कच्ची बस्तियों में तो कई-कई सप्ताह तक गंदा पानी घरों में जमा रहता है। मक्खी-मच्छर पैदा हो जाते हैं और अनेक बीमारियां फैल जाती हैं। कच्चे मकान गिर जाते हैं। मसला गंभीर है, प्रशासन को ध्यान देना चाहिए।
शिवरानी पुहाल, पानीपत
योजनाबद्ध हो निकासी
अतिक्रमण, आधुनिक भवन निर्माण शैली और प्लास्टिक थैलियों का प्रयोग जल भराव समस्या के जनक हैं। चहुंओर पक्के रास्ते बरसात के पानी को जमीन के अंदर जाने से रोकते हैं। शहरी फैलाव तथा घनी आबादी अतिक्रमण को बढ़ावा दे रहे हैं। इस संकट से बचने के लिए बरसात आरंभ होने से पूर्व ही बरसाती नालों तथा बंद सीवरों की सफाई का कार्य ईमानदारी से होना चाहिए। प्लास्टिक थैलियों को पूरी तरह से प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। स्थानीय निकायों द्वारा जल निकासी का कार्य योजनाबद्ध तरीके से करवाया जाना चाहिए। बाहरी परिधि में स्थित जलाशयों की खुदाई करवाकर भी शहरों को पानी-पानी होने से बचाया जा सकता है।
सुरेन्द्र सिंह, महम