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काव्य गंगा में बहते सुकोमल अहसास

06:48 AM Sep 17, 2023 IST
काव्य गंगा में बहते सुकोमल अहसास
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सुदर्शन गासो

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‘हर पल वसंत रचते हैं’ डा. रश्मि खुराना द्वारा सम्पादित एक बहुभाषी काव्य-संकलन है। इसमें यू.के. (इंग्लैंड) में रह रहे भारतीय मूल के 29 प्रवासी कवियों की विभिन्न अनुभूतियों को पेश किया गया है। डॉ. खुराना के सम्पादन के साथ डाॅ. कृष्ण कुमार की परिकल्पना ने भी इस संग्रह को सुन्दर व पठनीय बनाने में सहयोग दिया है। इस काव्य संग्रह में भारतीय संस्कृति, धर्म, सामाजिक सरोकारों, समस्याओं, विदेश जा कर मन में अपने देश व समाज के प्रति पैदा होने वाले प्रेम को भी प्रस्तुत किया गया है। इस तरह हम इस संग्रह को काव्य भावनाओं, उद‍्गारों व सरोकारों का एक सुन्दर गुलदस्ता कह सकते हैं। आशावाद, जीवन जीने की चाह भर देने की भावना इस संग्रह की मूल भावना कही जा सकती है। भावों की विविधता इस संग्रह की प्राप्ति है जो मन को तरंगित कर देती है :-
तू भी खूब धुरंधर निकला
दरिया नहीं समंदर निकला
तुझ को कबसे ढूंढ़ रहा था
तू तो मेरे अंदर निकला
मौत को हंस कर चूमा जिस ने
वो जाबांज कलंदर निकला।
प्रवासी भारतीयों की मानसिकता का चित्रण बाखूबी किया गया है। उनको अपना गांव व बचपन रह-रह कर याद आता है। बचपन में पैदा हुए संस्कार इंसान के साथ सदा सदा के लिए साथ रहते है। पूरी मानवता के लिए प्रेम व शुभ संदेश व स्नेह इन कवियों की काव्य गंगा में बहता हुआ दिखाई देता है। कवियों ने समकालीन समस्याओं को भी अपनी दृष्टि से ओझल नहीं होने दिया। गीता गुप्ता अपनी कविता ‘द्रौपदी आज फिर’ में नारी उत्पीड़न पर अपनी संवेदना व्यक्त करती है :-
क्या आज इंसान का गिरेबान इतना छोटा हो गया
हर गली के नुक्कड़ पर एक दुर्योधन पैदा हो गया।
कहीं-कहीं नई-नई उपमाएं भी हमारा ध्यान खींचती हैं :-
सृष्टि के स्टेडियम में
धरती की पिच पर
समय बॉलिंग कर रहा है
शरीर बल्लेबाज है
धर्मराज अंपायर है।
दलजीत निजरान द्वारा लिखे प्रेम गीत व देश प्रेम को व्यक्त करती कविता ‘हिन्दोस्तान’ मन पर सुंदर प्रभाव डालती है। देश के विभाजन का उल्लेख करते हुए कवि जिन्दगी को नए सिरे से परिभाषित करने की फिराक में भी दिखाई देते हैं।
आएंगी
बहारें फिर न्यारी
फिर गूंजेगी किलकारी
तू न हिम्मत हार जिंदगी
होगा फिर से नया सृजन।
जीवन के तमाम पहलुओं पर विभिन्न रसों व रंगों को लिए यह एक पठनीय संग्रह है।
पुस्तक : हर पल वसंत रचते हैं सम्पादिका : डॉ. रश्मि खुराना प्रकाशक : आस्था प्रकाशन, जालंधर, पंजाब पृष्ठ : 228 मूल्य : रु. 525.

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