For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.

सोशल मीडिया के नियमन की जरूरत

06:36 AM Jul 18, 2022 IST
सोशल मीडिया के नियमन की जरूरत
Advertisement

जांच-पड़ताल जरूरी

जिस तरह से देश में भावनाओं को भड़काने में सोशल मीडिया में कई कंटेंट ने रोल अदा किया, उसे एंटी सोशल कहना ही उचित होगा। सोशल मीडिया द्वारा कई बार ऐसे समाचार व वीडियो वायरल होते हैं जिनके सही या गलत होने की पुष्टि भी करने की कोई जरूरत नहीं समझी जाती। पोस्ट करने से पूर्व सूचनाओं की सत्यता की जांच जरूरी है। अब सरकार सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन कर, आम जनता से राय लेकर एंटी हेट स्पीच कानून बनाने जा रही है। इसी तरह सरकार अनुचित इंटरनेट सामग्री पर भी सख्त कार्रवाई करे। तभी सोशल मीडिया का नियमन हो पाएगा।

Advertisement

भगवानदास छारिया, इंदौर, म.प्र.

Advertisement

नियम लागू हों

धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र की एकता और अखंडता को बनाने में सोशल मीडिया की भूमिका जहां अहम है वहीं इसका गलत उपयोग राष्ट्र की प्रगति-विकास, अमन-चैन में बाधक भी है। देश में अस्थिरता पैदा करने वाले विरोधी तत्वों से दूर रहकर धार्मिक भाईचारा कायम रखने में सोशल मीडिया को लक्ष्मण रेखा का उल्लंघन नहीं करना चाहिए। किसी वर्ग विशेष, जाति, धर्म के खिलाफ प्रचार पर सोशल मीडिया व टीवी चैनलों पर आचार-संहिता के नियमों को लागू करना चाहिए।

अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल

जिम्मेदारी समझें

वर्तमान युग सोशल मीडिया का है। इसके कंटेंट से लोग लाभान्वित हो रहे हैं। इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स और इंटरनेट के चलते यह फल-फूल रहा है। लेकिन सोशल मीडिया का नकारात्मक पक्ष भी है। इसके माध्यम से नफरत, जातिवाद, वर्ग भेद, वैमनस्य एवं हिंसा प्रोत्साहित करने का कुचक्र भी कुछ लोग चला रहे हैं। लेकिन स्वतंत्रता के नाम पर ‘सब कुछ चलेगा’ वाली नीति त्याज्य है। निश्चित सीमा के पश्चात सोशल मीडिया पर शासकीय नियंत्रण जरूरी है। आदर्श स्थिति तो यह होनी चाहिए कि इसका उपयोग करने वाले ही अपनी जिम्मेदारी समझकर सतर्कता बरतें। आधुनिक संचार साधन उपयोग करने वाले लोग नवीन भारत के निर्माण में सहयोगी की ही भूमिका निभाएं।

ललित महालकरी, इंदौर, म.प्र.

कड़े नियम बनें

सोशल मीडिया के जरिए ही हमें अपनों की जानकारी भी मिलती है। लेकिन कई बार सोशल मीडिया के जरिए ऐसी फेक न्यूज और जानकारियां भी प्रसारित होती हैं जिनसे समाज में वैमनस्य फैलता है। कुछ लोग दूसरों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले पोस्ट करते हैं। सोशल मीडिया पर इस तरह के पोस्ट पर नकेल कसने की सख्त जरूरत है। अधिकांश सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म विदेशी कंपनियों द्वारा संचालित हैं। इनके लिए भारत में कड़े नियम बनने चाहिए, साथ ही उन नियमों की पालना को सुनिश्चित किया जाना चाहिए।

नितेश मंडवारिया, वाराणसी, उ.प्र.

नियमन जरूरी

सोशल मीडिया का कार्य दैनिक घटनाओं की सूचना व विचार लोगों तक पहंुचाना है। इस दायित्व को निभाने के लिए जरूरी है कि सोशल मीडिया का रवैया निष्पक्ष हो। सोशल मीडिया किसी भी कारण से कभी लक्ष्मण रेखा पार न करे, इसके लिए नियमन जरूरी है ताकि आम जनता तक जो सूचना पहंुचे वह सही हो, तथ्यों पर आधारित हो। यदि सोशल मीडिया एक नियामक संस्था की देखरेख में कार्य करेगा तो इससे तथ्यों की प्रामाणिकता कायम रहेगी। इसके साथ-साथ टीआरपी व लाइक्स को बढ़ाने के लिए जारी अंधी दौड़ पर भी अंकुश लगना चाहिए।

सतीश शर्मा, माजरा, कैथल

कानून बने

संचार माध्यमों में आये बदलाव ने जीने का तरीका बदल दिया। इंसानी जज्बातों को सोशल मीडिया की शक्ल में एक नई दुनिया मिल गयी। मगर अपने देश में कहने-सुनने की आज़ादी की लक्ष्मण रेखा ही सवालों में आ गयी। यह पूरी तरह सच है कि सोशल मीडिया के लगभग सारे मंच विदेशी मुल्कों के कब्जे में हैं जो या तो हमारे रीति-रिवाजों से अपरिचित हैं या व्यावसायिक लाभ के लिए अनदेखी करते हैं। नतीजतन सामाजिक वैमनस्य का दायरा नियंत्रण से बाहर हो चला है। ऐसे में सोशल मीडिया के लिए सख्त नियमन का होना जरूरी हो जाता है। जनता के संवैधानिक हक़ को प्रभावित किये बगैर देश में सख्त सोशल मीडिया नियमन क़ानून होना आवश्यक है।

एमके मिश्रा, रांची, झारखंड

पुरस्कृत पत्र

जवाबदेही तय हो

सोशल मीडिया का प्रयोग दिनो-दिन बढ़ता जा रहा है। ऐसे में इसका दुरुपयोग होना स्वाभाविक है। भारत की एकता और अखंडता कायम रखने के लिए सोशल मीडिया पर अंकुश अति आवश्यक है। मीडिया चाहे कोई भी हो लेकिन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की भी एक सीमा निर्धारित की जानी चाहिए। सोशल मीडिया पर यह बात अधिक लागू होती है क्योंकि इस माध्यम के उपयोगकर्ताओं की जवाबदेही नगण्य है। सख्त कानून बनाकर पोस्ट एवं टिप्पणी करने वालों की जवाबदेही तय की जा सकती है।

सुरेंद्र सिंह बागी, महम

Advertisement
Tags :
Advertisement
Advertisement
×