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बदनाम हैं तो क्या हुआ नाम तो होगा

07:39 AM Aug 13, 2024 IST

आलोक पुराणिक

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पुराने वक्त में सीरियल औऱ फिल्म को कला माना जाता था, अब ये धंधा है। मिर्जापुर सिर्फ शहर का नाम नहीं है, अब यह एक परम हिट सीरीज का नाम है। शहर सीरियल हो रहे हैं, सीरियल शैतान की आंत हो रहे हैं, जिसके खत्म होने के आसार नहीं दिखाई देते। सास-बहू सीरियल से ज्यादा पॉपुलर शहर के नाम आधारित सीरियल हो रहे हैं।
मिर्जापुर क्या, क्राइम पॉपुलर हो रहा है। टेलीविजन पर बहुत पॉपुलर कार्यक्रम क्राइम के ही होते हैं। पब्लिक शरीफ आदमी को देखना पसंद नहीं करती। पब्लिक को क्राइम पसंद है। शरीफ आदमी की डिमांड नहीं है। टीवी सीरियल बनाने वाले बताते हैं कि किसी महात्मा के नाम पर बनाये गये सीरियल को पब्लिक न देखती, पर महात्मागिरी की आड़ में ऐय्याशी करने वाले महापुरुष के सीरियल चल जाते हैं। भलमनसाहत का मार्केट खत्म हो गया है।
इन दिनों टीवी सीरियल वाले तलाश कर रहे हैं कि देश में ऐसे कौन-कौन से शहर हैं, जिनका नाम क्राइम में बहुत कुख्यात है। पक्का भरोसा है कि अब खोज शहरों से उतरकर मोहल्लों पर उतरेगी। छपेटीपुरा, खुच्चूगंज, हमेशचाकू, रिवाल्वरपुरम‍् जैसे मोहल्लों के नाम पर सीरियल आयेंगे। हर शहर में होते हैं कुछ वीर मोहल्ले, जिनके नाम चर्चा में रहते हैं। शहर में मारधाड़ होती है तो सबसे पहले उन्हीं मोहल्लों में होती है।
वक्त बहुत तेजी से बदल रहा है। रैंकिंग अब क्राइम के आधार पर हुआ करेगी। नाला भुजुआ के लोग नाराज होंगे कि फतुहागंज पर सीरियल आ गया है, जबकि फतुहागंज में हुई अपराधों की तादाद तो सिर्फ सौ रही पिछले महीने, हमारे नाला भुजुआ में तो पिछले महीने दो सौ अपराध हुए। हमारा नाला भुजुआ पर सीरियल क्यों न बना।
दिल्ली तो राजधानी होने की वजह से प्रसिद्ध है, आगरा ताजमहल की वजह से फेमस है। जिन शहरों में कुछ नहीं है, वहां क्राइम के ताजमहल खड़े कर लिये जायें, शहर अपने आप फेमस हो जायेगा। ऐसा ही हो रहा है। जिन मुद्दों से निपटना संभव न हो, उनसे कमाई कर लेनी चाहिए। एक नेता हैं, वह पानी की समस्या का हल न निकाल पाये, तो उन्होंने अपने बेटे को बोतलबंद पानी का कारोबार शुरू करवा दिया। बेटा बहुत कमा रहा है पानी की समस्या से।
समस्या न निपट पा रही हो, तो उससे कमाना शुरू कर देना चाहिए। क्राइम खत्म न हो पा रहा हो, तो उससे कमाना शुरू कर देना चाहिए। मेरे मोहल्ले में चैन स्नेचिंग लगातार होती है, कितने ही नेता आये, चले गये। चैन स्नेचर जमे रहे। अब कुछ यूं होना चाहिए कि चैन स्नेचिंग पर सीरियल बन जाये, उस सीरियल का नाम मेरे मोहल्ले के नाम पर रखा जाये।

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