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...ताकि एआई के हत्थे न चढ़े हमारा ड्रीम जॉब

04:00 AM Dec 12, 2024 IST

देश में एआई विभिन्न कार्यक्षेत्रों में पांव पसार रही है। तकनीकी से इतर क्षेत्रों की तरफ भी। रोजगार पर इसके खतरे के मद्देनजर हमें सिर्फ मशीनी कौशल से परिपूर्ण नहीं होना बल्कि मशीन के साथ मानवीय विशिष्टता को भी बेहतर करते हुए बरकरार रखना है। भारत में डेटा साइंस और साइबर सुरक्षा जैसे फील्ड में कुशल लोगों की मांग है। इस क्षेत्र में एआई को चुनौती देनी चाहिए।

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कीर्तिशेखर

यह सच्चाई अब बहस के परे है कि रोजगार पर आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस यानी एआई का साया मंडरा रहा है। रोजगार पर पर असर उन देशों में भी हो सकता है, जो तकनीकी रूप से उन्नत हैं और उन देशों में भी इसके उतने ही खतरे हैं, जो तकनीकी रूप से उन्नत नहीं हैं। आखिरकार भारत में फिलहाल जो करीब 70 हजार रोबोट विभिन्न रेस्तरां में वेटर के रूप में, विभिन्न स्कूलों में अध्यापक के रूप में और विभिन्न अस्पतालों में डॉक्टरों के सहायक के रूप में कार्यरत हैं, वो इस हकीकत के बावजूद हैं कि हमारे यहां आज भी श्रम बहुत सस्ता है और बेरोजगारों की फौज है। दरअसल एआई सिर्फ मजदूरों या कामगारों की कमी का विकल्प नहीं है, यह कम लागत, उन्नत परफॉर्मेंस और कई तरह की कानूनी पेंचीदगियों से निपटने का भी विकल्प है। तो अपने यहां भी रोजगार पर एआई का खतरा उन्नत तकनीकी से भरपूर देशों जैसा ही है। सवाल है ऐसी स्थिति से बचने के लिए हम क्या ऐसा करें कि हमारी नौकरी एआई न छीन सके।
कौशल सम्पन्न बनें
सिर्फ तकनीकी कौशल ही नहीं बल्कि तकनीकी कौशल के बाद पुनः अपनी कुशलता को निखारें। वास्तव में एआई से प्रभावित नौकरियों को समझने के लिए तकनीकी स्किल्स जैसे डेटा एनालिटिक्स, मशीन लर्निंग तथा प्रोग्रामिंग आदि को न सिर्फ सीखना आवश्यक है बल्कि इन्हें सीखने के बाद यह जानना भी जरूरी है कि इसके अतिरिक्त हम ऐसा क्या करें कि जो एआई न कर सके। क्योंकि अब गैरतकनीकी क्षेत्रों में भी एआई आधारित टूल का उपयोग बढ़ रहा है जैसे- डिजिटल मार्केटिंग, कंटेंट क्रिएशन और डिजाइन। ये सब गैरतकनीकी क्षेत्र हैं, लेकिन इन्हें अब एआई से गंभीर चुनौती मिल रही है और इसकी वजह यही है कि एआई तकनीकी से इतर क्षेत्रों की तरफ भी अपने पांव पसार रहा है। इसलिए हमें सिर्फ मशीनी कौशल से परिपूर्ण नहीं होना बल्कि हमें मशीन के साथ मानवीय विशिष्टता को भी बेहतर करते हुए बरकरार रखना है। इन दिनों भारत में डेटा साइंस और साइबर सुरक्षा जैसे फील्ड में कुशल लोगों की भारी मांग है। इस क्षेत्र में अपनी विशिष्टता बरकरार रखते हुए एआई को चुनौती देनी चाहिए।
सबसे जरूरी ‘ह्यूमन स्किल्स’
ध्यान दीजिए एआई को आप वहीं बेहतर ढंग से मात दे सकते हैं, जहां वो कमजोर है और उसकी कमजोरी का सबसे बड़ा क्षेत्र है मानवीय विशिष्टता। एआई कुछ भी हो जाए, लेकिन इंसान जैसी नहीं हो सकती। कृत्रिम बुद्धिमत्ता और इंसानी बुद्धि के बीच हमेशा इंसानी बुद्धि ही विजयी रहेगी। इसलिए क्रिटिकल थिंकिंग, क्रिएटिविटी, इमोशनल इंटेलीजेंस और प्रॉब्लम सॉल्विंग जैसी मानवीय क्षमताओं में अपने को मजबूत करें। क्योंकि मानवीय क्षमताएं एआई द्वारा प्रतिस्थापित नहीं की जा सकतीं।
हमेशा सीखते रहें
नई तकनीकों और उद्योग के रूझानों से अपडेट रहने के लिए हमें हर दिन पढ़ते-लिखते रहना होगा। निरंतर पढ़ाई और निरंतर सिखाई ही वो हथियार हैं, जिनके सामने एआई लाचार है। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म, कोरसेरा और यूडेमी जैसे प्लेटफॉर्म हमें आने वाले कल के लिए बेहतर ढंग से तैयार करते हैं। आपके काम का दबाव हो या न हो, नई तकनीक सीखते रहें।
एआई से करें मुकाबला
अगर चिंता है कि एआई कहीं हमारे ड्रीम जॉब में कब्जा न कर ले तो अपनी जॉब की बेहतरी के लिए एआई के साथ काम करने की क्षमता विकसित करें। अगर हमें एआई से बचना है, तो उसके साथ आंख मिलाकर रोजमर्रा की परेशानियों से जूझना होगा। आसान तरीका यह है कि एआई को प्रतिद्वंदी मानने की बजाय अपने काम का एक औजारभर मानें और उसे एक टूल्स के रूप
में देखें।
इंटरप्रिन्योरशिप और नई नौकरियां
एआई के कारण उद्योगों में काफी हद तक बदलाव हो गये हैं। अब एआई-ड्रिवन, स्टार्टअप्स और रोजगार के नये अवसर खोल रहे हैं। भारतीय युवाओं को इसके लिए तैयार रहना होगा। एआई का अधिकतम उपयोग स्वास्थ्य, कृषि, शिक्षा और ग्रीन एनर्जी जैसे क्षेत्रों में भरपूर हो रहा है। यह बाकी क्षेत्रों की तरफ भी आयेगा। लेकिन अपने को तैयार रखें। एआई उद्योग फ्रेंडली होगी। यही वजह है कि अपने को महत्वपूर्ण बनाये रखना है तो उन क्षेत्रों में अपने को ज्यादा निखारना होगा, जो मशीन की बजाय मानवीय बुद्धिमत्ता की मांग करते हैं। नैसकॉम एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में एआई और आटोमेशन से साल 2025 में 20 लाख नई नौकरियां पैदा हो सकती हैं। लेकिन ये नौकरियां उन्हें ही मिलेंगी, जिन्हें एआई के साथ काम करने की दक्षता होगी। एआई अवसर का काम भी कर सकता है बशर्ते आप अपने को इस कदर स्किल्ड कर लें।
जहां अभी कमजोर है एआई
हेल्थ केयर, एजुकेशन, ग्रीन एनर्जी और क्रिएटिव इंडस्ट्री, ये वो सब क्षेत्र हैं जहां एआई अभी तक कमजोर है। जहां एआई का असर कम है। यहां यह अभी महज एक उपकरण की भूमिका तक ही सीमित है। इन क्षेत्रों में अगर आप पहले से दक्षता हासिल करें तो आपको एआई का खतरा नहीं रहेगा। - इ.रि.सें.

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