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रणनीति में शामिल हो कुशल पेशेवर और तकनीक

06:27 AM Aug 31, 2023 IST

डॉ. शशांक द्विवेदी

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पिछले दिनों केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जी-20 डिजिटल अर्थव्यवस्था कार्यसमूह के मंत्रियों की बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि दुनिया के आपस में जुड़ जाने के बाद साझा सुरक्षा जोखिम पैदा हो गया है। इसके लिए डिजिटल सुरक्षा पर परस्पर तालमेल की सख्त आवश्यकता है। इंटरनेट की वजह से सारी दुनिया एक ग्लोबल विलेज में बदल गई है। साथ ही भारत में जैसे-जैसे डिजिटलीकरण का दायरा बढ़ता जा रहा है वैसे-वैसे साइबर सुरक्षा संबंधी चुनौतियां भी तेजी से बढ़ रही हैं। वर्तमान में साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों की मांग और आपूर्ति में लगभग 30 प्रतिशत का अंतर दर्ज किया गया है। संकट का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि सिर्फ मई माह में ही 40 हजार पद इस साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में रिक्त पाए गए, जिनके लिए संस्थानों को साइबर सुरक्षा के कुशल पेशेवर नहीं मिल सके। रोजगार संबंधी विषयों पर काम करने वाली संस्था टीम लीज सर्विस की साइबर सुरक्षा की चुनौतियों और रोजगार की संभावनाओं पर हाल ही में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2022 में देशभर में साइबर सुरक्षा से जुड़ी 14 लाख से अधिक घटनाएं दर्ज की गईं, जो कि 2021 की तुलना में तीन गुणा अधिक है।
कुछ समय से देश के प्रतिष्ठित और महत्वपूर्ण संस्थानों पर लगातार साइबर हमले हो रहे हैं। पिछले दिनों दिल्ली में एम्स के सर्वर पर हुए हमले का मामला भी है जिससे लगभग 40 मिलियन स्वास्थ्य रिकॉर्ड की गोपनीयता भंग हुई और दो सप्ताह तक सिस्टम आउटेज की स्थिति बनी रही। एक अन्य हमले में एक रैंसमवेयर समूह ‘ब्लैककैट’ शामिल था जिसने रक्षा मंत्रालय के गोला-बारूद और विस्फोटक निर्माता सोलर इंडस्ट्रीज लिमिटेड की मातृ कंपनी की सुरक्षा को भंग किया और दो टेराबाइट से अधिक डेटा की चोरी कर ली। भविष्य में इस तरह के हमलों को रोकने के लिये साइबर सुरक्षा उपायों को बढ़ाने की तत्काल आवश्यकता है।
फिलहाल यह सवाल उठना बहुत लाजिमी हो गया था कि साइबर हमलों से निपटने के लिए हमारा देश कितना तैयार है? क्योंकि यह बहुत महत्वपूर्ण और संवेदनशील मामला है जिस पर विचार करना बेहद जरूरी है । हम सब की निर्भरता इंटरनेट पर बहुत ज्यादा बढ़ने की वजह से आज के आधुनिक माहौल में साइबर सुरक्षा सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण हो चली है । साइबर विशेषज्ञों के अनुसार भारत में जितने बड़े सर्वर मौजूद हैं, वे हैकिंग प्रूफ नहीं हैं। हमारे यहां भी तभी हम जागते हैं, जब कोई बड़ा साइबर अटैक हो। हैकर्स के नए तरीकों का सॉल्यूशन ढूंढने में महीनों लग जाते हैं।
एक तरफ हम डिजिटल इंडिया और कैशलेस इकॉनमी की बात कर रहे हैं, दूसरी तरफ डिजिटल प्राइवेसी और डेटा की सुरक्षा के लिए हमारा कानूनी ढांचा बहुत ही प्रारंभिक स्तर का है। हमारा पड़ोसी देश चीन, साइबर सुरक्षा और जासूसी के खतरों को कम करने के लिए खुद के कंप्यूटर चिप और विशाल सर्वर बनाने में जुटा हुआ है। लेकिन हम आज भी इसके लिए विदेशी चिप और विदेश में स्थित सर्वरों पर निर्भर हैं। साइबर सुरक्षा के नाम पर कुछ गिनी-चुनी जगहों पर पुलिस का एक महकमा बना दिया गया है, जो अपराध हो जाने के बाद रस्म अदायगी जैसा कुछ कर देता है। साइबर सुरक्षा की यह अवधारणा ही गलत है। हमें तो विशेषज्ञों का ऐसा सक्षम तंत्र चाहिए, जो साइबर संसार पर निगरानी रखे और किसी भी तरह की गड़बड़ी की आशंका देखते ही सतर्क कर दे। इसके लिए मैनपॉवर के अलावा तकनीकी सुधार की भी जरूरत है। देश में बड़ी संख्या में आउटडेटेड कंप्यूटर सिस्टम चल रहे हैं। जो साइबर ठगों का सबसे आसान टारगेट हैं। यही हाल मोबाइल फोन्स से जुड़ी साइबर सुरक्षा का भी है।
पिछले दिनों राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में ‘फ्रेंड्स ऑफ ब्रिक्स’ की बैठक में साइबर सुरक्षा से निपटने को सामूहिक प्रयास की बात करते हुए कहा था कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस , बिग डाटा और इंटरनेट ऑफ थिंग्स जैसी प्रौद्योगिकियों की वजह से साइबर सुरक्षा के लिए सबको सचेत रहना होगा।
देश के सरकारी रक्षा, विज्ञान और शोध संस्थान और राजनयिक दूतावास पर साइबर जासूसी का आतंक मंडरा रहा है। जैसे-जैसे इंटरनेट पर निर्भरता बढ़ रही है वैसे-वैसे साइबर सुरक्षा के खतरे भी बढ़ते जा रहे हैं। ये खतरे सारी दुनिया में बढ़ रहे हैं और इसका एक बड़ा कारण यह है कि साइबर सेंधमारी करने वाले तत्वों की पहचान भी मुश्किल है और उन तक पहुंच भी। इंटरनेट वायरस अथवा हैकिंग के जरिये सेंधमारी वह अपराध है जिसमें आमतौर पर अपराधी घटनास्थल से दूर होता है। कई बार तो वह किसी दूसरे देश में होता है और ज्यादातर मामलों में उसकी पहचान छिपी ही रहती है।
देश में साइबर सुरक्षा में मैनपॉवर की बहुत कमी है। आंकड़ों के अनुसार चीन और अमेरिका के मुकाबले भारत में साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों की भारी कमी है। यहां साइबर सुरक्षा को लेकर सजगता तो बढ़ी है लेकिन अभी पर्याप्त नहीं है। फिलहाल स्थिति अत्यधिक चिंताजनक है जिसपर तत्काल कार्रवाई की जरूरत है। यह सही है कि साइबर सुरक्षा मजबूत करने को कई संस्थाएं बनाई गई हैं, लेकिन उनमें अपेक्षित तालमेल का अभाव दिखता है। अब भारत को साइबर सुरक्षा के लिए सचेत-सतर्क होना होगा और इस क्षेत्र में कुशल पेशेवरों की कमी तत्काल दूर करनी होगी। साइबर सुरक्षा सुनिश्चित करना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता में होना चाहिए।

लेखक मेवाड़ यूनिवर्सिटी में डायरेक्टर हैं।

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