बहन ने 29 साल अदालत में लड़ाई लड़ दिलायी भाई के हत्यारों को सजा
गुरतेज सिंह प्यासा/निस
संगरूर, 24 सितंबर
लौंगोवाल कस्बे की सामाजिक कार्यकर्ता कुलदीप कौर पत्नी करम सिंह बराड़ ने 29 साल तक केस लड़ने के बाद अपने भाई के हत्यारों को उम्रकैद की सजा दिलाकर परिजनों को इंसाफ दिलवाया है। करम सिंह बराड़ ने बताया कि उसके साले गमदूर सिंह को निकटवर्ती गांव मेदेवास के गुरदेव सिंह की हत्या के मामले में संदेह के आधार पर संगरूर पुलिस ने गांव भाई की पशोर से उठाया था। बाद में उसे पुलिस स्टेशन ले जाकर 10 दिन तक अमानवीय यातनाएं दी गईं। भाई-बहनों द्वारा उसे बचाने की लाख कोशिशों के बावजूद पुलिस वालों ने गमदूर पर अत्याचार बंद नहीं किया जिससे उसकी हालत बिगड़ गई। तब पुलिस ने 23 नवंबर, 1995 की रात करीब 11 बजे कोरे कागजों पर हस्ताक्षर करवाने के बाद गमदूर सिंह को गंभीर हालत में परिजनों को सौंप दिया गया।
करम सिंह ने बताया कि उसी रात गमदूर को पीजीआई चंडीगढ़ भर्ती कराया गया। पीजीआई चंडीगढ़ में करीब 15 दिन तक जिंदगी और मौत से संघर्ष करने के बाद 7 दिसंबर, 1995 को गमदूर की मौत हो गई। उन्होंने कहा कि गमदूर के शव का पोस्टमार्टम भी पुलिस ने करीब चार दिन देर से करवाया। 8 दिसंबर, 1995 को पुलिस बयान दर्ज कराने के बावजूद एफआईआर तीन महीने बाद 12 मार्च, 1996 को दर्ज की गई जिसमें हरभजन सिंह एसएचओ, हवलदार कृपाल सिंह और हवलदार जसवंत सिंह आदि को आरोपी बनाया गया। इसमें तत्कालीन डीएसपी गुरसेवक सिंह, निवासी पटियाला, थानेदार हरभजन सिंह, निवासी गांव बतला, जिला अमृतसर, किरपाल सिंह हवलदार, निवासी गांव जैतो सरजा, जिला गुरदासपुर को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
चौथे आरोपी मानसा जिले के गांव बीरेवाला के हवलदार जसवंत सिंह, जो इन दिनों कनाडा गया हुआ है, को उम्रकैद की सजा सुनाई है।