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श्रद्धालुओं और द्वारका के बीच दूरी कम करेगा सिग्नेचर ब्रिज

08:04 AM Mar 08, 2024 IST
श्रद्धालुओं और द्वारका के बीच दूरी कम करेगा सिग्नेचर ब्रिज
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राजेंद्र कुमार शर्मा
पच्चीस फरवरी, 2024 को गुजरात के प्रसिद्ध द्वारका से 30 किलोमीटर दूरी पर स्थित ओखा पोर्ट से बेट द्वारका द्वीप के बीच, अरब सागर (कच्छ की खाड़ी क्षेत्र) पर अनुमानत: 950 करोड़ रुपयों की लागत से नवनिर्मित, लगभग 2320 मीटर लंबे और 27.2 मीटर चौड़े, केबल आधारित सिग्नेचर ब्रिज को आम जनता के उपयोग हेतु खोल दिया गया। इसके साथ ही कृष्णगरी में स्थित इस सेतु का नामकरण भी कर दिया गया। भविष्य में इसे सिग्नेचर ब्रिज के साथ ही ‘सुदर्शन सेतु’ के नाम से जाना जाएगा। यह सेतु अपने नाम सुदर्शन के अनुरूप ही बहुत सुंदर बनाया गया है।

श्रद्धालुओं की यात्रा आसान

सुदर्शन सेतु ने यहां के मंदिरों में हर वर्ष आने वाले लाखों श्रद्धालुओं और भगवान के बीच की दूरी को घटाकर महज चंद मिनटों कर दिया है। ट्रेन से ओखा आने वाले पर्यटकों को ऑटो या टैक्सी द्वारा ओखा से बैट द्वारका तक पहुंचने में मात्र 5 से 7 मिनट का समय लगता है। वहीं दूसरी ओर बेट द्वारका द्वीप पर रहने वाले स्थानीय निवासियों के लिए सुदर्शन सेतु किसी ‘लाइफ लाइन’ से कम नहीं है।

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पुल निर्माण का इतिहास

पुल के निर्माण की मंजूरी 2016 में केंद्रीय परिवहन मंत्रालय ने दी थी। सात अक्तूबर, 2017 को ओखा और बेयट द्वारका के बीच पुल की आधारशिला रखी थी। यह देश की एक महत्वपूर्ण परियोजना थी। इस सेतु के निर्माण से पूर्व पर्यटक और श्रद्धालु नावों द्वारा ही बैट द्वारका तक पहुंच सकते थे। इसके अलावा इस द्वीप को धरा से जोड़ने के लिए और कोई मार्ग नहीं था। यहां के निवासियों को स्वास्थ्य, शिक्षा एवं जीवन की अन्य आवश्यक चीजों के लिए मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था।

अनूठी स्थापत्य कला

सुदर्शन सेतु एक महत्वपूर्ण परियोजना होने के साथ ही समुद्र को बांधकर, इस्पात और कंक्रीट के मजबूत डेक दो कैरिजवे पर भारत में सबसे लंबा केबल आधारित ब्रिज बनाना एक चुनौतीपूर्ण कार्य था। सुदर्शन सेतु एक केबल-आधारित पुल है, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण के प्रिय मोर पंख के रूप में केबल को व्यवस्थित किया गया हैं, जो स्टील के तोरणों का उपयोग करके बनाया गया है। डेक दो कैरिजवे के साथ मिश्रित आरसीसी स्टील और कंक्रीट से बना है। इस चार लेन सेतु के दोनों ओर दर्शक दीर्घाएं भी हैं, जहां से खड़े होकर दूर तक फैले नीले हरे समुद्र और इसमें चलती नौकाओं को देखा जा सकता है। इन दर्शक दीर्घाओं की विशेषता यह है कि तीर्थयात्रियों को ध्यान में रखते हुए, यहां सीमेंट के बड़े-बड़े शिलालेख के समान संरचनायें भी कुछ कुछ दूरी पर बनाई गई हैं, जिन पर हमारे पौराणिक ग्रंथों से लिए गए मंत्र और उनकी व्याख्याएं अंकित की गई हैं। सेतु के प्रत्येक तरफ लगभग 8 फीट चौड़ा फुटपाथ है। फुटपाथ के ऊपर छाया हेतु शेड का निर्माण किया गया है जिस पर 1 मेगावाट क्षमता के सौर पैनलों को विद्युत उत्पादन के लिए लगाया गया है। जिनसे रात्रि में पूरा सुदर्शन सेतु मोर पंखी रंग-बिरंगे प्रकाश से नहाया रहता है। रात्रि में जब यही प्रकाश दो वृहत तोरणों पर भगवान श्रीकृष्ण के चित्र और उसके नीचे अंकित मोर पंख पर पड़ता है तो आसमान से बातें करते इन तोरणों की सुंदर छटा देखते ही बनती है। केबल ब्रिज में 900 मीटर लंबा केंद्रीय केबल खंड इसे भारत में सबसे लंबा केबल आधारित सेतु बनाता है। पुल को सहारा देने वाले दो ए-आकार के मिश्रित तोरण लगभग 129 मीटर लंबे हैं । इन तोराणों के सबसे ऊंचे भाग पर साधनालीन भगवान श्रीकृष्ण की आंखें बंद किए हुए मनमोहक चित्रकारी और ठीक उसके नीचे एक बड़े मोर पंख की सुंदर आकृति उकेरी गई है, जो दूर से ही पर्यटकों का द्वारकाधीश नगरी में स्वागत करती प्रतीत होती है।

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पर्यटन के नए द्वार

सुदर्शन सेतु के आरंभ हो जाने के बाद से बैट द्वारका में पर्यटन उद्योग को विशेष गति मिलने लगी है। यहां के प्रमुख पर्यटन स्थल हैं :-

प्राचीन द्वारकाधीश मंदिर

माना जाता है कि भगवान कृष्ण द्वारका से राजकाज चलाते थे और बैट द्वारका द्वीप पर उनका निवास स्थान था।

हनुमान दांडी

हनुमान दांडी, जहां के बारे में प्रसिद्ध है कि यह भारत का एक मात्र ऐसा मंदिर है जिसमे हनुमान जी अपने पुत्र मकरध्वज के साथ विराजमान है। ऐसा भी विश्वास किया जाता है की यही वह स्थान है जहां से त्रेता युग में अहि रावण भगवान राम और लक्ष्मण का अपहरण कर पाताल लोक ले गया था।

सोने की द्वारका

असली द्वारका की रेप्लिका, सोने की द्वारका पर्यटकों और श्रद्धालुओं को विशेष रूप से आकर्षित करती है। दो मंजिली इस रेप्लिका में मूर्ति कला और पेंटिंग का अद्भुत संगम देखने को मिलता है।

टेंट सिटी

सुदर्शन सेतु से मात्र 3 किलोमीटर की दूरी पर, समुद्र के किनारे एक टेंट सिटी का निर्माण किया गया है जहां पर्यटक कुछ दिनों के लिए रुक कर, यहां के सूर्य उदय और सूर्य अस्त का विहंगम दृश्य देख सकते हैं। साथ ही उनके मनोरंजन के लिए रात्रि में फायर कैंप, गुजरात के लोकनृत्य गरबा आदि की प्रस्तुति की जाती हैं। पर्यटकों को विशेष नावों द्वारा समुद्र में डॉल्फिन तथा अन्य समुद्री जीवों को दिखाने की व्यवस्था भी टेंट प्रबंधकों द्वारा की जाती है। सभी प्रकार के सात्विक भोजन पर्यटकों की इच्छानुसार तैयार करके, परोसे जाते है। यहां से हनुमान दांडी 2 किलोमीटर की दूरी पर है और भगवान श्रीकृष्ण का मंदिर और सुदर्शन सेतु 3 किलोमीटर की दूरी पर है। सेतु निर्माण के कारण भविष्य में बैट द्वारका एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होगा।

कैसे पहुंचे सुदर्शन सेतु और बैट द्वारका

बैट द्वारका के सबसे नजदीक ओखा रेलवे स्टेशन है जो देश के सभी प्रमुख रेलवे स्टेशनों से रेल मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है। वीकली ट्रेनों का आवागमन लगा रहता है। ओखा रेलवे स्टेशन से सुदर्शन सेतु मात्र चंद मिनटों की दूरी पर है।

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