बेसहारों को आश्रय
पूरे देश और पंजाब में अनगिनत बेघर बेसहारा लोग चौक-चौराहों में विशेषकर ट्रैफिक रेड लाइट सिग्नल के नजदीक ज्यादा भिक्षा मांगते हैं, क्योंकि यहां भिक्षा लेनी आसान हो जाती है। देश के सुप्रीम कोर्ट द्वारा भिखारियों को कानून से रोकने की मनाही की गई है और यह भी कहा है कि यह मानवीय समस्याएं हैं और प्रदेशों की सरकारें इसका नियमानुसार समाधान करें। देश में बाल विकास कमीशन है, महिला विकास विभाग है और वृद्धों के कल्याण के लिए भी बहुत-सी योजनाएं और केंद्र हैं। क्या सरकार इन बेसहारों को सरकारी केंद्रों में आश्रय नहीं दे सकती? वैसे भी बहुत से बच्चे जो लापता हो जाते हैं उन्हें भिखारी बनाकर संगठित गिरोह भिक्षा मंगवाते हैं।
लक्ष्मीकांता चावला, अमृतसर
अनुचित व्यवहार
सोमवार से संसद का मानसून सत्र बड़ी उम्मीद के साथ शुरू हुआ था कि इस बार कृषि विधेयक पर कोई ठोस निर्णय निकलेगा। लेकिन सदन की शुरुआत होते ही विपक्षी दलों ने पेगासस व कृषि विधेयक कानून मुद्दा को जोर-शोर से उठाया, जिसमें सत्ताधारी दलों के जवाब आने के बजाय संसद के दोनों सदन हंगामे की भेंट चढ़ गये। संसद के दोनों सदन में जनप्रतिनिधि इसलिए बैठते हैं कि जनता की मूल समस्याओं पर बातचीत की जा सके। सांसद के माध्यम से सदन को चलाने के लिए प्रतिदिन करोड़ों रुपए की लागत आती है। ऐसे में सांसद संविधान के मूल कर्तव्यों का पालन करते हुए जनहित में निर्णय लें।
नितेश कुमार सिन्हा, मोतिहारी
गैर-जिम्मेदार विपक्ष
विपक्ष की सही भूमिका सरकार की गलतियों को जनता के सामने लाना है। यही विरोधी पक्षों का मुख्य उद्देश्य भी है परंतु विपक्ष जिस ढंग से राज्यसभा और लोकसभा की कार्यवाही को ठप करने पर तुला हुआ है यह तरीका सही नहीं है। विरोध प्रदर्शन के लिए देश के संविधान में अनेक प्रजातांत्रिक तरीके हैं। सदन में एक गरिमा का पालन करते हुए भी सरकार पर हमला बोला जा सकता है। मगर देश की संसद को ही बंद कर देना किसी भी तरीके से सही नहीं कहा जा सकता।
केरा सिंह, नरवाना