मुहूर्त पर ‘भद्रा’ का साया
सत्यव्रत बेंजवाल
रक्षाबंधन के त्योहार पर ‘भद्रा’ की वजह से भाई-बहन के इस पर्व की अवधि कम हो जाती है। भद्रा ऐसे रक्षाबंधन एवं होलिका दहन आदि कई प्रकार के शुभ कामों में बाधाकारक मानी जाती है।
19 अगस्त को (सोमवार) को श्रावणी पूर्णिमा के दिन रक्षाबंधन का पवित्र पर्व होगा। इस दिन दोपहर 1:31 तक भद्रा रहेगी। अतः दोपहर 1:31 उपरांत ही अपराह्न काल में रक्षाबंधन का शुभ पर्व मनाना शुभ होगा। पंजाब, हि.प्र., जम्मू आदि प्रदेशों में शुभ समय अपराह्न काल दोपहर बाद 1.48 से 4.25 तक रहेगा। इसी दिन सनातनीजन पुराने यज्ञोपवीत को बदल नूतन यज्ञोपवीत धारण करते हैं। ज्योतिषीय गणनानुसार इस दिन कई शुभ संयोग भी बन रहे हैं, इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, शोभन योग, रवि योग तथा व्रत की पूर्णिमा के साथ श्रावण मास का अंतिम सोमवार होने से शुभ सूचक रहेगा।
प्राचीन काल से यह परंपरा चली आई है कि उदयव्यापिनी पूर्णिमा के दिन प्रातः काल में ही बिना किसी अशुभ समय का विचार न करते हुए रक्षाबंधन पर्व मनाने का प्रचलन है जो कि शास्त्र सम्मत सही नहीं, किन्तु आवश्यक परिस्थितियों में भद्रामुखकाल को त्यागकर भद्रा पुच्छकाल में रक्षाबंधन पर्व मनाना शुभ होगा, यह केवल अत्यावश्यक परिस्थिति के लिए है, भद्रापुच्छकाल सुबह 9:51 से 10:54 तक रहेगा। इस समय रक्षाबंधन किया जा सकता है।