For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.
Advertisement

दुर्लभ सुखद संयोग

06:49 AM Aug 19, 2024 IST
दुर्लभ सुखद संयोग

आदि शंकराचार्य देश भर का भ्रमण कर लोगों को ज्ञानोपयोगी उपदेश देतेे थे। एक बार उन्होंने कहा, ‘जीवन में चार कल्याणकारी बातों का होना बड़ा दुर्लभ है। पहला प्रियवचन सहित दान, दूसरा अहंकाररहित ज्ञान, तीसरा क्षमायुक्त वीरता और चौथा त्यागपूर्वक निष्काम दान। धन, यौवन और आयु विद्युत की भांति अत्यंत चंचल होते हैं। ये नाशवान हैं, अतः इस जन्म में प्राप्त धन, यौवन और आयु का सदा सदुपयोग करना चाहिए। प्राणों पर बन आने पर भी पापाचरण से दूर रहना चाहिए। ईश्वर को प्रिय स‌द‍्कर्मों में प्रवृत्त रहकर ही मानव जीवन सफल बनाया जा सकता है।’ जीवन में व्यक्ति का सर्वोत्तम आभूषण क्या है- इस प्रश्न के उत्तर में शंकराचार्य ने कहा, ‘शील अर्थात उत्तम चरित्र ही सर्वोपरि आभूषण है। जो सदाचारी और विनयी है और सत्य वचन बोलता है, उसमें सभी प्राणियों को अपने वश में करने की क्षमता होती है।’ उन्होंने आगे कहा, ‘यदि व्यक्ति को मोक्ष की इच्छा है, तो विषयों को विष के समान दूर से ही त्याग दे और संतोष, दया, क्षमा, सरलता जैसे सद्‌गुणों का पालन करते हुए भगवत भक्ति में लीन रहकर मानव जीवन को सार्थक बना सकता है। प्रस्तुति : अक्षिता तिवारी

Advertisement

Advertisement
Advertisement
×