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मां-बाप की संवेदनशीलता

10:12 AM Apr 16, 2024 IST
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अलका ‘सोनी’
आज हमारा सामाजिक ताना-बाना बहुत तेज़ी से बदल रहा है। अकसर पति-पत्नी दोनों कामकाजी हैं। लेकिन तेजी से बदल रहे इस माहौल का बच्चों पर भी असर पड़ रहा है। उनके व्यवहार में परिवर्तन आ रहा है। इसका कारण एकल परिवार में माता-पिता द्वारा उन्हें कम समय दिया जाना भी है। बच्चे जब अकेले रहते हैं तो अपने मन की बात किसी से साझा नहीं कर पाते। उनकी उलझनों को सुलझाने के लिए सामने कोई मौजूद नहीं रहता। जिसके कारण वो अंदर ही अंदर घुटते रहते हैं। नतीजन वे चिड़चिड़े हो जाते हैं। आज बढ़ते बच्चों के पैरेंट्स अक्सर यह शिकायत करते हैं कि उनका बच्चा बदतमीजी करता है। उन्हें समझाओ तो उल्टा जवाब दे रहा है। ऐसे में पैरेंट्स को समझ नहीं आता कि उसकी आदतों को कैसे सुधारा जाए? ऐसे में ध्यान देने की बात ये है कि स्वयं की आदतों में बदलाव लाकर ही आप उन्हें शांत और व्यवहारकुशल बना सकते हैं। बच्चों के साथ जोर-जबरदस्ती कर उन्हें सुधारना मुश्किल है।
एक शोध में यह पाया गया है कि बच्चों को डांटने या मारने से उनमें सुधार नहीं होता, बल्कि इससे वे और भी जिद्दी और गुस्सैल हो जाते हैं। यही नहीं, कम उम्र में ही उनमें डिप्रेशन और निगेटिविटी आने लगती है और वे कई बार गलत कदम उठाने लगते हैं। हर माता-पिता चाहता है कि उनका बच्चा काबिल बने और उनकी बातें सुने। ऐसे में इन बातों का विशेष ध्यान रखकर पैरेंट्स जिद्दी बच्चों की आदतों में आश्चर्यजनक रूप से सुधार ला सकते हैं :

बच्चे को दें अपना समय

यूनीसेफ के एक रिसर्च में पाया गया है कि जो माता-पिता अपने बच्चे के लिए समय नहीं निकालते हैं और उनकी परेशानियों को नहीं सुनते हैं तो ऐसी स्थिति में बच्चे अपने माता-पिता या अन्य लोगों के साथ बदतमीजी करने लगते हैं। जिद्दी बन जाते हैं। दरअसल बच्चों को किसी भी भौतिक चीज से ज्यादा अभिभावकों के साथ और स्नेह की जरूरत ज्यादा होती है। इसलिए कोशिश करनी चाहिए कि पैरेंट्स अपने काम से लौटकर टीवी, मोबाइल में व्यस्त न हों। बल्कि इनको बंद कर बच्चों के लिए पर्सनल समय निकालें। उनके साथ वक्त व्यतीत करें।

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अच्छे कामों की करें तारीफ

कहते हैं कि किसी की अच्छाइयों की तारीफ करने से वे अच्छे बनने के लिए प्रेरित होते हैं। उनके व्यवहार में परिवर्तन आता है। इसलिए बच्चों की बुरी आदतों को सुधारना है तो उनकी अच्छी आदतों को रीकॉल करें और उसकी तारीफ करें। बेहतर होगा कि आप उनकी तारीफ बाहरी लोगों के सामने भी करें। इस तरह उन्हें अच्छा काम करने के लिए मोटिवेशन मिलेगा। ऐसा करने से बच्चा बुरी आदतों को खुद छोड़ने लगेगा। इसलिए बच्चों के अच्छे कामों या उनके ऐसे प्रयासों की सराहना अवश्य करें।

उन्हें गाइड करें

बच्चे बिल्कुल कोरे कागज की तरह होते हैं। वे जिस चीज का अनुभव करते हैं, जिन लोगों से मिलते हैं उनका अनुभव , उनके कोरे मन और मस्तिष्क पर अंकित हो जाता है। ऐसी स्थिति में यह जरूरी है कि वे सही लोगों की संगति में रहें। अच्छी बातें सीखते रहें। ताकि उनकी मासूमियत का कोई फायदा नहीं उठा सके। इसलिए हर माता-पिता की जिम्मेदारी है कि वे बच्चों को सही समय देखकर यह जरूर बताएं कि उनके लिए क्या करना अच्छा है और क्या बुरा। इस तरह वे सही दिशा चुन पाएंगे और हौसले के साथ उस दिशा में आगे कदम बढ़ा पाएंगे। आपकी गाइडेंस उन्हें सही निर्णय लेने में सक्षम बनाएगी।

जगाएं उनकी रचनात्मकता

बच्चों में बहुत ऊर्जा और जिज्ञासा होती है। वे नई चीजों को जानने में रुचि रखते हैं। प्रायः सभी बच्चों में कोई न कोई हॉबी या शौक होते हैं। अगर उनकी इस रचनात्मकता को जगा दिया जाए तो उनका दिमाग अपनी पढ़ाई और उस हॉबी में रमा रहेगा। इसलिए पैरेंट्स को चाहिए कि वे अपने बच्चों का ध्यान उनके उस शौक की ओर भी लगाएं। विभिन्न शोधों में यह भी पाया गया है कि अगर बच्चे को खाली रखने की बजाय, क्रिएटिव काम को करने में लगा लिया जाए तो वे कुछ नया करने के लिए प्रयास करेंगे। इससे उनका दिमाग पॉजिटिव रहेगा और वे अच्छा व्यवहार करेंगे।बच्चे किसी गाइड बुक के साथ पैदा नहीं होते। वे हमसे और अपने आसपास के माहौल से ही सीखते हैं। इसलिए उन्हें स्वस्थ वातावरण देना हमारी जिम्मेदारी है। एक माता-पिता के स्नेह और मार्गदर्शन से ही उनके व्यक्तित्व का निर्माण होता है। तो वहीं इनके अभाव में जिद्दी और बदतमीज भी हो सकते हैं। जो अभिभावक के लिए तनाव का कारण बन सकता है। इसलिए इस मामले में थोड़ी सावधानी की जरूरत होती है।

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