28 साल बाद लौटी सैलजा को पहनाया जीत का हार
सिरसा, 4 जून (हप्र)
सिरसा लोकसभा सीट से इस बार का चुनाव शुरू से ही एकतरफा माना जा रहा था। भाजपा प्रत्याशी अशोक तंवर को जिताने के लिए भाजपा हाईकमान ने एड़ी-चोटी का जोर लगाया।
मुख्यमंत्री नायब सैनी व पूर्व सीएम मनोहर लाल लगातार सिरसा में चुनावी जनसभाएं करते रहे तो भाजपा के फायर ब्रांड नेता यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी यहां आए, परंतु इन सब पर भारी पड़ा सैलजा का सिरसा की बेटी होने का दावा।
बेशक कुमारी सैलजा करीब 28 साल के अंतराल के बाद सिरसा के चुनावी मैदान में उतरी, परंतु सिरसा से उनका रिश्ता लगातार बना रहा। प्रत्याशी घोषित होने के बाद सैलजा के पक्ष में कांग्रेस की स्टार प्रचारक प्रियंका गांधी ने रोड शो किया, हालांकि हुड्डा गुट ने सैलजा के प्रचार अभियान से दूरी बनाए रखी। सैलजा ने अपने दम पर चुनाव संभाला।
वे कहती रहीं कि ये चुनाव उनका नहीं बल्कि सिरसा की जनता का है। सिरसा वालों ने भी उन्हें खूब प्यार दिया। बेशक वे कई गांवों में नहीं पहुंच सकी, परंतु इसके बावजूद ग्रामीण इलाकों से सैलजा को अच्छी खासी बढ़त मिली। कांग्र्रेस ने शहरी वोटों में भी खूब सेंध लगाई। इनेलो के गढ़ कहलाने वाले ग्रामीण क्षेत्रों में भी कांग्रेस प्रत्याशी को खूब समर्थन मिला। अशोक तंवर के प्रचार में भाजपाइयों ने पूरी ताकत झोंकी। उनके अलावा सिरसा के विधायक गोपाल कांडा, भाजपा नेता मीनू बैनीवाल ने भी खूब जोर लगाया। इसके बावजूद तंवर का चुनाव उठ ही नहीं पाया।
तंवर का बार -बार राजनैतिक दल बदलना उनके लिए भारी पड़ा। खुद भाजपाई नेता ही उन्हें नहीं पचा पाए। बेशक वे प्रचार में तो उनके साथ दिखे परंतु जमीनी स्तर पर कुछ नहीं किया। राजनैतिक मंचों से भी भाजपा नेता उन पर कटाक्ष करने से नहीं चूके।
कांग्रेस के नेताओं ने एकजुट होकर लगाया जोर
सैलजा की जीत में कांग्रेस के नेताओं का योगदान सराहनीय रहा। सिरसा सीट पर कांग्रेसी नेता गुटबाजी से ऊपर उठकर सैलजा के साथ खड़े नजर आए। जो नेता विधानसभा चुनाव में एक-दूसरे को देखकर भी खुश नहीं होते वे भी एक साथ जनसभाएं कर रहे थे। वहीं, जो नेता खुलकर हुड्डा के साथ चलते थे, उन्होंने दिन-रात सैलजा के लिए मेहनत की, जिसका परिणाम रहा कि सैलजा की जीत का सफर लगातार आसान होता गया।