घोटाले व विद्यार्थियों का भविष्य
फिर अयोग्य विद्यार्थी
पश्चिम बंगाल के शिक्षामंत्री का शिक्षक भर्ती घोटाले में नाम उजागर होना देश के संविधान और लोकतंत्र के साथ एक बड़ी धोखाधड़ी है। मंत्री अपना पद ग्रहण करते वक्त संविधान में पूर्ण निष्ठा की शपथ लेते हैं और फिर उनमें से कुछ उसी शपथ की धज्जियां उड़ा कर ऐसे कृत्य करते हैं। हरियाणा में भी जेबीटी शिक्षक भर्ती का बड़ा घोटाला हो चुका है। घूस लेकर जब अयोग्य शिक्षकों को देश के भविष्य निर्माण का जिम्मा सौंपा जाएगा तो बच्चों का किस तरह का भविष्य निर्माण होगा? अयोग्य शिक्षक तो अयोग्य विद्यार्थी ही तैयार करेगा।
राजेंद्र कुमार शर्मा, देहरादून, उत्तराखंड
देश के लिए घातक
शैक्षिक क्षेत्र भी आजकल घोटालों की चपेट में है। पश्चिम बंगाल में उजागर हुए फर्जीवाड़े के बाद मंत्री का जेल जाना इस बात का पक्का सबूत है कि रसूखदार नेता, मंत्री अपने पद का दुरुपयोग करके प्रतिभाओं का गला घोट रहे हैं। यह न सिर्फ विद्यार्थियों अपितु देश के लिए भी घातक है। ऐसी परंपरा के चलते कई योग्य प्रतिभाएं आज निजी क्षेत्रों की शरण में हैं। अगर इन्हें सरकारी नौकरियों में तवज्जो मिलती तो कहा जा सकता है कि उसका बड़ा लाभ देश को मिलता। सरकार को भर्तियों में राजनीतिक हस्तक्षेप खत्म करने के साथ ही सिस्टम को पारदर्शी बनाना चाहिए।
अमृतलाल मारू, महालक्ष्मी नगर, इंदौर
न्यायालय पहल करे
पश्चिम बंगाल के एक मंत्री तथा उसकी एक मित्र के यहां से 50 करोड़ रुपए से अधिक की नगदी और सोना मिलना चौंकाने वाला है। शिक्षक भर्ती घोटाला हरियाणा में भी हो चुका है। राजनेताओं के लिए शैक्षिक भर्तियां कामधेनु बनी हुई हैं। मंत्रियों द्वारा शिक्षकों तथा अन्य कर्मचारियों की नौकरियों को बेचने से रोकने के लिए न्यायालय को ही कोई पुख्ता प्रबंध करना पड़ेगा। नौकरियों में ऑनलाइन तथा वीडियोग्राफी द्वारा नियुक्ति होनी चाहिए। शैक्षिक भर्तियों की हेरा-फेरी रोकने के लिए आवश्यक कार्रवाई की जानी जरूरी है।
शामलाल कौशल, रोहतक
राजनेता दखल न दें
पश्चिमी बंगाल में मंत्री व उनकी करीबी के यहां से शिक्षक भर्ती घोटाले की जांच के बाद पचास करोड़ से अधिक नकदी व अन्य सम्पत्ति का मिलना चौंकाता है। इस घटनाक्रम की जितनी भर्त्सना की जाये कम है। शैक्षिक भर्तियां राजनेताओं के लिए अकूत धन कमाने का साधन रही हैं। हरियाणा में भी कुछ वर्ष पूर्व शिक्षक भर्ती घोटाला प्रकाश में आया। ऐसे में देश के बच्चों का भविष्य संवारने वाले सुयोग्य शिक्षक कैसे भर्ती होंगे? ऐसे में आवश्यकता है एक ऐसी भर्ती व्यवस्था की जो भ्रष्टाचार से रहित व राजनेताओं के हस्तक्षेप से मुक्त हो। अच्छा हो यदि शिक्षा शिक्षाविदों के ही हाथों में रहे।
शेर सिंह, हिसार
पारदर्शी व्यवस्था हो
भ्रष्टाचार के रास्ते भर्ती हुए अयोग्य शिक्षक बच्चों काे क्या पढ़ाएंगे, यह सहज ही सोचने की बात है। ऐसा अनेक राज्यों में देखने को मिल रहा है। इसलिए ठोस शिक्षा सुधार के लिए पारदर्शी परीक्षा और साक्षात्कार भी जरूरी है, जैसे केंद्रीय विद्यालय शिक्षक भर्ती में होता है। परीक्षा के बाद साक्षात्कार से ही व्यक्तित्व की सही परख होती है। यह उम्मीदवार के योग्य-अयोग्य होने को पुख्ता करता है। इसके साथ ही भर्ती के समय राजनेताओं का हस्तक्षेप बिल्कुल न हो। तभी योग्य एवं अनुभवी शिक्षक देश का भविष्य संवार सकते हैं।
वेद मामूरपुर, नरेला
भविष्य पर सवाल
पश्चिम बंगाल के शिक्षक भर्ती घोटाले में अथाह संपत्ति का पाया जाना दर्शाता है कि देश में भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है। दरअसल, देश में सोच विकसित होती जा रही है कि बगैर रिश्वत के नौकरी नहीं मिलती। मेधावी छात्रों में, इससे निराशा उत्पन्न होती है। आज का शिक्षक देश की युवा शक्ति का निर्माता है, और यदि उसका ही आचरण घूस देने का है तो छात्र वर्ग का भविष्य भी अंधकारमय होगा। ऐसे घोटालों के चलते समाज नैतिक पतन की ओर अग्रसर होगा। अतः मेधावी छात्र वर्ग के भविष्य को बचाना जरूरी है
श्रीमती केरा सिंह, नरवाना
शैक्षिक गुणवत्ता पर असर
शैक्षिक भर्तियों में घोटालों ने देश को शर्मसार किया है। वहीं ये शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े करते हैं। शिक्षा में भ्रष्टाचार किसी राज्य की समस्या से भी आगे विद्यार्थियों के भविष्य से जुड़ा मसला है। शिक्षक भर्ती में पैसों के लेनदेन से शैक्षिक गुणवत्ता बुरी तरह प्रभावित हुई है। जाहिर है अच्छे शिक्षक के बगैर बेहतर शिक्षा की उम्मीद बेमानी है। शिक्षा और शिक्षक के पेशे को रोज़गार की नज़र से देखना ही ऐसे अपराधों को जन्म देता है। उच्चतम न्यायालय द्वारा झारखंड की भर्ती प्रक्रिया और आरक्षण पर दिया गया फैसला शिक्षा के राजनीतीकरण को उजागर करता है। लिहाज़ा सभी प्रादेशिक सरकारों को शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शी और भेदभाव रहित बनानी होगी।
एमके मिश्रा, रांची, झारखंड
पुरस्कृत पत्र
सख्त सज़ा मिले
शैक्षिक या किसी भी भर्ती में घोटाले का मतलब है अयोग्य उम्मीदवारों का चयन। लेकिन एक अयोग्य शिक्षक के चयन का मतलब है लगातार 25-30 साल तक, हर साल पढ़ने आने वाले प्रत्येक छात्र को स्तरीय शिक्षा से वंचित रखना। भ्रष्टाचार के दम पर नौकरी पाने वाला शिक्षक न तो अपने छात्रों को बेहतर शिक्षित कर पायेगा और न ही उन्हें ईमानदारी और संस्कारी बना पायेगा। उम्दा शिक्षा की चाह रखने वाले छात्रों और उनके अभिभावकों के साथ होने वाले इस धोखे की भरपाई नामुमकिन है। कई पीढ़ियों में अयोग्यता के हजारों बीज बोने वाले इस कृत्य को करने वाले हर शख्स को सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए।
बृजेश माथुर, बृज विहार, गाजियाबाद