नगर पालिका में एनडीसी के नाम पर घपला
पिहोवा, 30 नवंबर (निस)
नगर पालिका में नो डयूज़ सर्टिफिकेट (एनडीसी) के नाम पर घपला करने का मामला सामने आया है। अवैध कॉलोनियों में प्लॉट की रजिस्ट्री कराने के लिए फर्जी एनडीसी जारी की जा रही है। इस गोरखधंधे में नगर पालिका के कच्चे कर्मचारी, प्रॉपर्टी डीलर और तहसील के अधिकारी शामिल बताए जा रहे हैं।
अवैध कॉलोनियों की रजिस्ट्री कराने के लिए नगर पालिका से फर्जी एनडीसी जारी की जाती है। जिसके आधार पर तहसीलदार रजिस्ट्री कर देते हैं। हालांकि, नगर पालिका के रिकॉर्ड में इन रजिस्ट्री की गई संपत्तियों को रिजेक्टेड दिखाया जाता है। जिससे न तो नगर पालिका को फंड मिलता है और न ही खरीदार का रिकॉर्ड सुरक्षित रहता है। जब प्लॉट खरीददार अपनी संपत्ति का रिकॉर्ड अपडेट कराने जाता है, तो उसे पता चलता है कि उसकी प्रॉपर्टी नॉन-अप्रूव्ड है। इस स्थिति में, उसे दोबारा से एनडीसी लेने के लिए भारी रकम अदा करनी पड़त है। जानकारी है कि एनडीसी लेने की असली लागत केवल 3 हजार रुपए है लेकिन, एजेंट और कर्मचारियों की मिलीभगत से यह राशि 30 हजार रुपए तक वसूली जाती है। खरीददार को नकली एनडीसी दे दी जाती है, जिसके आधार पर तहसील में रजिस्ट्री तो हो जाती है, लेकिन नगर पालिका रिकॉर्ड में इसे मान्यता नहीं मिलता। जब इस फर्जीवाड़े बारे मेंं तहसीलदार से बात की तो उनका कहना है कि वे रजिस्ट्री के लिए नगर पालिका से प्राप्त एनडीसी पर ही निर्भर हैं। भविष्य में फोटो सहित एनडीसी मंगाई जाएगी। नगर पालिका प्रधान आशीष चक्रपाणि ने कहा कि उन्हें इस घोटाले की जानकारी नहीं है। इस मामले की जांच करवाई जाएगी और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। समाजसेवी शिवसेना हिन्दूस्तान के प्रधान रोशन लाल ने मांग की है कि पालिका में हो रहे इस घपले की उच्च स्तरीय जांच की जाये।
ऐसे हुआ खुलासा
पिहोवा में लंबे समय से अवैध कॉलोनियों में प्लॉट की खरीद-फरोख्त जारी है। खरीददारों को फर्जी एनडीसी और अवैध वसूली का शिकार होना पड़ता है। अगर वे इस अवैध राशि का भुगतान नहीं करते, तो उनकी रजिस्ट्री नहीं होती, और उनका पैसा फंस जाता है। यह मामला उस समय उजागर हुआ जब एक व्यक्ति अपनी प्लाट की नकल लेने गया तो वह किसी और के नाम निकला।