एसबीआई कर्मियों-अधिकारियों ने रक्तदान कर दिया जीवनदान का संदेश
एजीएम (मार्केटिंग एंड कम्युनिकेशन) उपेंद्र सिंह ने भी रक्तदान कर रक्तदाताओं का बढ़ाया हौसला
ट्रिब्यून न्यूज सर्विस
चंडीगढ़, 2 जुलाई
भारतीय स्टेट बैंक के चंडीगढ़ मंडल दिवस पर मंगलवार को रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया। इसमें बैंक कर्मचरियों ने रक्तदान कर जीवनदान का संदेश दिया। एसबीआई के एजीएम (मार्केटिंग एंड कम्युनिकेशन) उपेंद्र सिंह ने बताया कि एसबीआई प्रत्येक वर्ष मंडल दिवस पर पीजीआई चंडीगढ़ के साथ मिलकर रक्तदान शिविर का आयोजन करता है। पिछले 20 साल से यह परंपरा निरंतर जारी है। उन्होंने बताया कि हर वर्ष 150 से 200 बैंक कर्मी रक्तदान करते हैं। इस मौके पर एजीएम उपेंद्र सिंह ने भी रक्तदान किया और रक्तदाताओं का हौसला बढ़ाया। वो भी अब तक 8-10 बार रक्तदान कर चुके हैँ।
शिविर में पहुंचे एसबीआई सेक्टर-7 ब्रांच के सीनियर एसोसिएट नवीन कुमार सैनी अपने जीवन में 80 बार रक्तदान कर चुके हैं। उन्होंने बताया कि रक्तदान करके उन्हें काफी खुशी होती है। नवीन ने रक्तदान करने का सिलसिला 1997 में शुरू किया था जब वो एयरफोर्स में थे। उन्होंने बताया कि वो हाकी खिलाड़ी भी हैं। एयरफोर्स की हाकी टीम में उनके एक दोस्त थे, जिनका काफी भयानक एक्सीडेंट हो गया था, उस समय खून उपलब्ध न होने के कारण उनकी मृत्यु हो गई थी। इससे वो काफी आहत हुए और तब से प्रण लिया कि वह साल में कम से कम 3 बार रक्तदान करेंगे, तभी से यह सिलसिला आज तक जारी है। नवीन ने बताया कि उनका ब्लड ग्रुप ओ-नेगेटिव है, जोकि काफी रेयर हैं, ऐसे में उनका दायित्व और ज्यादा बढ़ जाता है कि वह रक्तदान करें। नवीन ने दो बड़े अस्पतालों में अपना मोबाइल नंबर दे रखा है ताकि ओ-नेगेटिव ब्लड की किसी को जरूरत हो तो उनसे संपर्क किया जा सके। इनमें एक पीजीआई चंडीगढ़ और दूसरा कमांड अस्पताल चंडीमंदिर हैं। अब नवीन के 27 वर्षीय बेटे जीवेश ने भी रक्तदान करना शुरू कर दिया है। पिता से प्रेरणा लेकर जीवेश करीब 4 बार ब्लड डोनेट कर चुके हैं। जीवेश एक फुटबाल के राष्ट्रीय खिलाड़ी है।
सर्विस में आकर मिली प्रेरणा
इसी तरह सेक्टर -44 की ब्रांच में कार्यरत सुमित सिंह ने भी रक्तदान किया। अब तक वो 9-10 बार रक्तदान कर चुके हैं। सुमित ने बताया कि 2012 में उन्होंने बैंक ज्वाइन किया था। तब उनके यहां रक्तदान शिविर लगा था। यही से प्रेरणा लेते हुए रक्तदान की शुरुआत की है। इससे उन्हें काफी सुकून मिलता है। उन्होंने कहा कि हमारे खून से किसी की जान बच सकती है तो इससे बड़ा कोई पुण्य नहीं हो सकता है। रक्तदान करने वाले युवाओं ने आमजन से साल में दो-तीन बार रक्तदान करने का आह्वान किया।