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अंतरिक्ष मिशनों हेतु खतरा है उपग्रही कचरा

06:49 AM Apr 02, 2024 IST
मुकुल व्यास

पृथ्वी के वायुमंडल और उसकी जलवायु का नये ढंग से अध्ययन करने वाला यूरोपीय स्पेस एजेंसी का निष्क्रिय और बेकाबू ईआरएस-2 उपग्रह पिछले बुधवार को पृथ्वी के वायुमंडल में लौट आया। लेकिन वैज्ञानिक इस बारे में निश्चित नहीं थे कि दशकों पुराने इस अंतरिक्ष यान के अवशेष वास्तव में कहां और कब गिरेंगे। उपग्रह के पृथ्वी पर गिरने की खबर पृथ्वीवासियों को झकझोर सकती है। लेकिन इस घटना से किसी नुकसान की कोई खबर नहीं है। करीब ढाई टन वजनी ईआरएस-2 उपग्रह को वर्ष 1995 में अंतरिक्ष में लांच किया गया था और वर्ष 2011 में उसने अपना आखिरी मिशन पूरा किया था। तब से यह उपकरण पृथ्वी की कक्षा में अंतरिक्ष कबाड़ के रूप में बना हुआ था। यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी का कहना है कि उसने उपग्रह को 15 वर्षों के भीतर किसी समय पृथ्वी के वायुमंडल में वापस लाने के लिए शुरू में कुछ अभ्यास किए थे। वह दिन आखिरकार बुधवार को आ ही गया जब उपग्रह ने अलास्का और हवाई के बीच प्रशांत महासागर के ऊपर पुनः प्रवेश किया।
विशेषज्ञों का कहना है कि ईआरएस-2 जैसे अधिकांश उपग्रह वायुमंडल में प्रवेश करते ही टूट जाते हैं और पूरी तरह से विघटित हो जाते हैं। यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि यह अनुमान लगाना मुश्किल होता है कि उपग्रह पृथ्वी के वायुमंडल में कहां पुनः प्रवेश करेगा क्योंकि हवा के घनत्व का पूर्वानुमान लगाना कठिन होता है, जहां से उपग्रह गुजरता है। वैसे ईआरएस-2 जैसी बड़ी वस्तुओं को ट्रैक किया जाता है, लेकिन वायुमंडलीय घनत्व में भिन्नता से यह पता लगाना मुश्किल हो जाता है कि कोई वस्तु वास्तव में कहां दोबारा प्रवेश करेगी। ईआरएस-2 की पुनः प्रविष्टि अनियंत्रित थी। उसमें लंबे समय से ईंधन खत्म हो चुका था। यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के अनुसार जो भी टुकड़े वायुमंडल में नहीं जले, वे सैकड़ों किलोमीटर की दूरी में बेतरतीब ढंग से फैल जाएंगे। अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि जहां तक वह बता सकती है, ईआरएस-2 के पुनः प्रवेश के बाद संपत्ति को कोई नुकसान नहीं हुआ है। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि किसी व्यक्ति का अंतरिक्ष कबाड़ के टुकड़े की चपेट में आना पूरी तरह से असंभावित नहीं है। पृथ्वी का अधिकांश भाग महासागरों से ढका हुआ है। ये वस्तुएं आमतौर पर महासागरों के ऊपर गिरती हैं, जिससे मनुष्यों को खतरा थोड़ा कम होता है। छोटे उपग्रह हर समय पृथ्वी के वायुमंडल में पुनः प्रवेश करते हैं और वे बहुत कम ही कोई समस्या पैदा करते हैं। लेकिन जैसे-जैसे अधिक उपग्रह अंतरिक्ष में भेजे जाएंगे, गिरने वाली वस्तु की घटनाएं और अधिक हो जाएंगी। ये वस्तुएं पुनः प्रवेश करने पर जल जाती हैं जिससे वायुमंडलीय प्रदूषण की मात्रा भी बढ़ती है।
किसी व्यक्ति पर या किसी आबादी वाले क्षेत्र के पास अंतरिक्ष यान से छोटी वस्तुओं के गिरने की पिछली घटनाओं में से किसी ने भी किसी की जान नहीं ली है। आमतौर पर मामूली चोट से ज्यादा कुछ नहीं हुआ है। आबादी वाले क्षेत्रों के पास अंतरिक्ष मलबे के पाए जाने के कई मामले भी हैं जिनसे कोई नुकसान नहीं हुआ। पिछले साल नासा का एक वैज्ञानिक उपग्रह 40 साल तक पृथ्वी की परिक्रमा करने के बाद अलास्का के तट के पास गिर गया था। लेकिन इस घटना से कोई नुकसान नहीं हुआ। पिछले साल रूस का भी एक उपग्रह पृथ्वी की कक्षा में विखंडित हो गया था। इससे मलबे का जो गुबार पैदा हुआ वह लंबे समय तक कक्षा में बना रहेगा। इस विखंडन से उत्पन्न कम से कम 85 टुकड़ों को ट्रैक किया जा सकता है। चीन के उपग्रहों और रॉकेटों के टूटने बिखरने और पृथ्वी पर गिरने की घटनाएं हो चुकी हैं। हर साल 200-400 वस्तुएं पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करती हैं। सौभाग्य से पृथ्वी की आबादी इन गिरने वाली वस्तुओं से प्रभावित नहीं होती। हर साल एक उपग्रह दूसरे उपग्रहों या अंतरिक्ष मलबे से टकरा कर नष्ट हो जाता है। आज अंतरिक्ष में जमा हो चुका कचरा विकराल समस्या बन चुका है। अंतरिक्ष का कचरा पृथ्वी पर रोजमर्रा के जीवन को ठप कर सकता है। आज हम उपग्रहों पर जितने निर्भर हैं, उतने पहले कभी नहीं थे। चाहे टेलीविजन के सिग्नल हों या मौसम की रिपोर्ट, हमें उपग्रहों की ही मदद लेनी पड़ती है। हमारे जीपीएस सिस्टम उपग्रहों के बगैर काम नहीं कर सकते। अंतरिक्ष के कचरे में पुराने उपग्रहों के कलपुर्जों के अलावा ऐसे उपग्रह भी शामिल हैं जो पुराने पड़ चुके हैं और जिन्होंने अब काम करना बंद कर दिया है। कचरे के टुकड़ों में नट और बोल्ट भी शामिल हैं जो अंतरिक्ष यात्रियों के स्पेसवॉक के दौरान गुम हो गए थे।
अंतरिक्ष में कचरे की बढ़ती हुई मात्रा से किसी न किसी बिंदु पर कोई बड़ी टक्कर हो सकती है। अंतरिक्ष में उपग्रहों के बीच टक्कर का एक नजारा दुनिया ने फरवरी, 2009 में देखा था,जब एक बेकार रूसी उपग्रह और एक अमेरिकी दूरसंचार उपग्रह आपस में टकरा गए थे। यदि कचरे के दो बड़े टुकड़े आपस में टकराते हैं तो वे अंतरिक्ष में हजारों छोटे-छोटे टुकड़े बिखेर देंगे। सैद्धांतिक तौर पर ये सारे टुकड़े ‘सैटेलाइट किलर’ हो सकते हैं। ये टुकड़े दूसरे ग्रहों अथवा उपग्रहों से टकरा कर नया मलबा उत्पन्न कर सकते हैं। यदि अंतरिक्ष में टुकड़ों के बीच टक्कर से कोई चेन रिएक्शन शुरू होता है तो इससे न सिर्फ पृथ्वी के दूरसंचार और जीपीएस सिस्टम ध्वस्त हो जाएंगे, बल्कि विश्व की अर्थव्यवस्था पर भी प्रतिकूल असर पड़ेगा। अंतरिक्ष में कचरा जमा होने की वर्तमान दर जारी रही तो पृथ्वी से नए अंतरिक्षयान छोड़ना भी मुश्किल हो जाएगा।
जलवायु परिवर्तन से आने वाले समय में पृथ्वी की कक्षा में तैनात उपग्रहों के लिए खतरा बढ़ जाएगा और अंतरिक्ष प्रदूषण की समस्या बढ़ेगी। ग्लोबल वार्मिंग के चलते पृथ्वी के वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर लगातार बढ़ रहा है। ऊपरी वायुमंडल में इस गैस का बढ़ा हुआ स्तर वायु घनत्व में दीर्घकालिक गिरावट का कारण बनेगा। यह कम घनत्व ऊपरी वायुमंडल में 90 और 500 किलोमीटर की ऊंचाई पर परिक्रमा करने वाली वस्तुओं पर खिंचाव को कम करेगा। इससे अंतरिक्ष मलबे का जीवनकाल बढ़ेगा और उपग्रहों के साथ मलबे के टकराव की संभावना बढ़ जाएगी। इन टक्करों से गंभीर समस्याएं पैदा हो सकती हैं क्योंकि समाज नौसंचालन प्रणालियों, मोबाइल संचार और पृथ्वी की निगरानी के लिए उपग्रहों पर अधिक से अधिक निर्भर होता जा रहा है। एक अध्ययन के अनुसार मार्च, 2021 तक पृथ्वी की निचली कक्षा में 2,000 किलोमीटर की ऊंचाई तक लगभग 5,000 सक्रिय और निष्क्रिय उपग्रह थे। कई कंपनियां अगले दशक में हजारों और उपग्रह जोड़ने की योजना बना रही हैं। सेवामुक्त कर दिए जाने के बाद भी उपग्रह परिक्रमा करना जारी रखते हैं, लेकिन वायुमंडलीय खिंचाव के कारण उनकी रफ्तार धीरे-धीरे धीमी हो जाती हैं। वे नीचे आने लगते हैं और अंततः निचले वायुमंडल में पहुंच कर जल जाते हैं।
अंतरिक्ष मलबे से संबंधित समन्वय कमेटी द्वारा निर्धारित वर्तमान दिशा-निर्देश सलाह देते हैं कि उपग्रह संचालक यह सुनिश्चित करें कि निष्क्रिय किए गए उपग्रह 25 वर्षों के भीतर कक्षा से हट जाएं। लेकिन कम वायुमंडलीय घनत्व से प्लानिंग और गणना में त्रुटियां उत्पन्न होती हैं। निचले वायुमंडल की तुलना में मध्य और ऊपरी वायुमंडल ठंडा हो रहा है। इससे घनत्व कम होगा। यूरोपियन स्पेस एजेंसी के अनुसार पृथ्वी की निचली कक्षा में 10 सेंटीमीटर से अधिक व्यास वाले 30,000 से अधिक मलबे के टुकड़े और 1 सेंटीमीटर से बड़े दस लाख टुकड़े मौजूद हैं। टक्कर के जोखिम के कारण अंतरिक्ष मलबा उपग्रह ऑपरेटरों के लिए एक बड़ी समस्या बन रहा है। ऊपरी वायुमंडल के घनत्व में दीर्घकालिक गिरावट के कारण यह समस्या बदतर हो रही है।

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लेखक विज्ञान मामलों के जानकार हैं।

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