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समराला के लेखकों ने हमदर्दवीर नौशहरवी को पुण्यतिथि पर किया याद

07:18 AM Jun 04, 2024 IST
समराला के लेखकों ने हमदर्दवीर नौशहरवी को पुण्यतिथि पर किया याद
समराला में सोमवार को प्रो. हमदर्दवीर नौशहरवी की पुण्यतिथि पर विशेष बैठक में एकत्रित लेखक। -निस
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समराला, 3 जून (निस)
प्रसिद्ध पंजाबी लेखक प्रो. हमदर्दवीर नौशहरवी को उनकी चौथी पुण्यतिथि के अवसर पर ‘हमदर्दवीर नौशहरवी मेमोरियल कमेटी’ के बैनर तले समराला के लेखकों द्वारा आयोजित एक बैठक के दौरान याद किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता पंजाबी के प्रख्यात साहित्यकार प्राचार्य डाॅ. परमिंदर सिंह बैनीपाल ने की। कॉलेज के समय में उनके छात्र जो मीटिंग में उपस्थित थे, ने लेखक प्रो. नौशहरवी के साथ व्यतीत किए अपने खूबसूरत पलों को साझा किया।
प्राचार्य डाॅ. परमिंदर सिंह बैनीपाल ने कहा कि प्रो. नौशहरवी ने अपने छात्रों पर अपने व्यक्तित्व की अमिट छाप छोड़ी। इसी प्रकार उन्होंने अपनी लेखनी के माध्यम से सामाजिक बुराइयों के विरुद्ध बड़ी कर्मठता से संघर्ष किया। इस मौके पर दिवंगत लेखक की याद में पंजाबी लेखकों को पुरस्कृत करने पर भी चर्चा हुई। प्राचार्य डाॅ. परमिंदर सिंह बैनीपाल ने दिवंगत लेखक के समस्त साहित्य को एक वृहद ग्रंथ के रूप में संकलित करने पर अपने विचार प्रस्तुत किये। मेमोरियल कमेटी के सचिव हरजिंदर सिंह ने उपस्थित लेखकों के साथ उनके जीवन और लेखन का विवरण साझा करते हुए कहा कि प्रोफेसर हमदर्दवीर नौशहरवी का जन्म तरनतारन जिले के गांव नौशहरा पनुआं में उत्तम सिंह और माता शाम कौर के घर में हुआ था। उन्होंने प्रोफेसर नौशहरवी द्वारा लिखित साहित्य के बारे में जानकारी साझा करते हुए कहा कि कहानियों का संग्रह, रेगिस्तान में सूरज और यात्री, टूटे हुए आदमी की कहानी, सूली पर लटका हुआ आदमी, हिम मानव और सूरज, निक्के-निक्के हिटलर, नीरो बांसुरी बजा रहा था, कहानी अभी पूरी नहीं हुई, मेरे हिस्से का आकाश, खोए हुए द्वीपों की तलाश, तुरां मैं नदी दे नाल नाल, कविता संग्रह, गद्य, आधुनिक साहित्यिक अनुभव, मेरी शरदल दे दीवे, आत्मकथा, तथा अन्य रचनाओं पर चर्चा की गई। इस शोक सभा में क्षेत्र की प्रबुद्ध हस्तियों ने भाग लिया। मुख्य रूप से प्रमुख नाटककार एवं निर्देशक राजविंदर समराला, लखबीर सिंह बलाला, हरमिंदर सिंह गिल माछीवाड़ा, नवचेतन सिंह पन्नू, हरबंस मालवा, करमजीत आजाद, हेड मास्टर लखबीर सिंह, जमीर सिंह माछीवाड़ा, मेघ सिंह जवंदा और स्मारक समिति के संरक्षक करनैल सिंह धालीवाल ने आए हुए सभी लेखकों का धन्यवाद किया और आशा जताई कि प्रो. हमदर्दवीर नौशहरवी की याद को ताज़ा रखने के लिए सभी लेखक इसी तरह जुड़ते रहेंगे।

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