समराला सुविधा संपन्न सिविल अस्पताल को स्टाफ की दरकार
सुरजीत सिंह/निस
समराला, 29 जून
इस छोटे से कस्बे के सिविल अस्पताल में वैसे तो सभी सुविधाएं सरकार ने उपलब्ध करवाई हैं लेकिन कई बीमारियों के डाक्टरों की भारी कमी है। जिसके कारण यहां के मरीजों को इलाज के लिए अन्य जगहों पर जाना पड़ता है। अस्पताल में छाती, टीबी, चमड़ी व मानसिक रोगों के डॉक्टर नहीं हैं। इसी तरह आपातकालीन सेवाओं के लिए सरकार द्वारा मंजूर 7 मेडिकल अफसरों में से 5 पोस्टें खाली पड़ी हैं। बेशक अस्पताल में ब्लड बैंक, एक्सरे, अल्ट्रासाउंड व ईसीजी की सुविधाएं उपलब्ध हैं, लेकिन सीटी स्कैनिंग की सुविधा नहीं है।
यह कस्बा चंडीगढ़ लुधियाना मुख्य मार्ग पर होने के कारण कई सड़क हादसे होते रहते हैं, जिसके चलते दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति को तुरंत सहायता नहीं मिल पाती। इसके लिए उसे या तो खन्ना या फिर लुधियाना जाना पड़ता है। उधर निजी अस्पतालों में जमता पर भारी भरकम खर्चे का बोझ पड़ता है।
डॉ. तारिकजोत सिंह वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी की देख-रेख में अस्पताल में कई सुविधाओं को जुटाया गया है। केंद्र सरकार की ‘काया कल्प’ योजना के तहत पूरे पंजाब में एक यही अस्पताल है जिसे ‘एन- क्वास’ का दर्जा प्राप्त हुआ है। डॉ. तारिकजोत सिंह ने बताया के उन्होंने प्रसूति सेवाओं में सुधार लाने के लिए केंद्र सरकार की योजना ‘लक्ष्य’ के अंतर्गत मरीज को अस्पताल में मिलने वाली सुविधाओं के लिए भी अप्लाई किया हुआ है। इसके अतिरिक्त उनके अधीन पंजाब सरकार द्वारा प्रायोजित एक ‘आम आदमी क्लीनिक’ भी चलता है, जिसमें प्रति दिन करीब 80-100 तक मरीजों का मुफ्त इलाज किया जाता है। वहां टेस्ट, दवाइयां भी मुफ्त दी जाती हैं।
इसी तरह सिविल अस्पताल में हर महीने करीब 12-13 हजार मरीज इलाज के लिए आते हैं और करीब 400-500 मरीजों का हर महीने अस्पताल में भर्ती करके इलाज किया जाता है। उधर इसी प्रांगण में एक होम्योपैथिक डिस्पेंसरी भी है। कस्बे के ठीक मध्य में एक आयुर्वेदिक डिस्पेंसरी भी है। जिसमें दवाइयां तो पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं पर उनके पास केवल 20-25 मरीज ही रोजाना आते हैं। डिस्पेंसरी में डाक्टर नहीं है।
इलाके के लोगों की मांग है कि सिविल अस्पताल में जच्चा बच्चा का अलग से एक अस्पताल बनाया जाए जिसमें जच्चा बच्चा को सारी सुविधाएं उपलब्ध हो सकें। इसी तरह से यहां पर ट्रॉमा सेंटर की मांग लंबे समय से उठ रही है।