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पुराने ही बवाल, बस ओढ़न है नया साल

06:25 AM Jan 02, 2024 IST
पुराने ही बवाल  बस ओढ़न है नया साल
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आलोक पुराणिक

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नया साल आ गया है। हो सकता है कि बवाल पुराने ही रह गये हों। जी हर बार यही होता है। नये साल में बवाल पुराने ही आ जाते हैं। कुछ महीनों बाद लू-लपट फिर हर साल का बाढ़ महोत्सव वो सब फिर आयेगा। तो सबसे पहली बात यह है कि साल नया आने से पुराने बवाल अपने आप खत्म न हो जाते। बवाल तो खत्म अपने कर्मों से ही होते हैं। सो साहबो कर्म जारी रखें।
कर्म तो जारी रखेंगे नेतागण भी। नेता उतना ही झूठ बोलेंगे, जितना 2023 में बोल रहे थे। प्याज उतने ही महंगे हो सकते हैं जितने महंगे 2023 में हुए थे। आईपीएल होगा, डांस होगा। चुनाव होंगे, झूठ होंगे। ईवीएम खराब घोषित की जायेगी। नैतिक जीत होगी, असली हार होगी। बार-बार होगी। पाकिस्तानी कर्ज मांगेंगे। बहुत कुछ वैसे ही चलेगा, जैसे अब तक चलता आ रहा था।
बहुत कुछ न हो 2024 में, यह कामना, पॉलिटिक्स में झूठे-नंगे कम हों, दंगे भी कम हों। पॉलिटिक्स में झूठ कम हो जायें, यह कामना वैसे बहुत ही अव्यावहारिक है। पॉलिटिक्स जो करेगा वह सच क्यों बोलेगा। और जिसे सच का कारोबार करना है, वह पॉलिटिक्स में क्या करेगा।
वर्ष 2023 में कुछ बातें कमाल की हो गयीं। अफगानिस्तान के तालिबान उतने बवाली साबित न हुए, जितनी आशंका हो रही थी। तालिबान मारधाड़ कम रहे हैं, पाकिस्तानी अलबत्ता वैसे के वैसे हैं, जैसे पहले थे। पाकिस्तानी आतंकी लगातार वही कर रहे हैं, जो पहले कर रहे थे। महाराष्ट्र में मार शुरू हो गयी है कि कौन-सी पार्टी कितनी सीटों पर लड़ेगी। उद्धव ठाकरे की शिवसेना और महाराष्ट्र कांग्रेस के बीच खटपट शुरू हो गयी है, सबको ज्यादा सीटें चाहिए। हाल में, शरद पवार की पार्टी बंट गयी, शरद पवार के भतीजे अजित पवार चाचा की पार्टी को तोड़कर ले गये। पार्टी तोड़ो अभियान में सिर्फ भतीजे ही नहीं लगे, जो भतीजे नहीं थे, उन्होंने भी मारकाट मचायी। उद्धव ठाकरे की पार्टी का एक हिस्सा शिंदे अपने साथ ले गये। यानी भतीजा हो या नान भतीजा, सबसे सावधान रहना चाहिए।
पॉलिटिक्स में कोई किसी का नहीं है यह बात सिर्फ 2023 में साफ नहीं हुई। करीब चार सौ साल पहले औरंगजेब अपने बाप के न हुए, करीब ढाई हजार पहले बिंबसार नाम के राजा के बेटे अपने बाप के ना हुए। सच्चाई सिर्फ इतनी है कि कोई किसी का नहीं है, सब कुर्सी के ही हैं और कुर्सी किसी की नहीं है। यह बात ज्ञान की है, पर समझ नहीं आती।
वर्ष 2024 में सब समझदार हों, ऐसी शुभकामनाएं।

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