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छोटे विद्रोह से खुली रूस की बड़ी कलई

08:51 PM Jun 26, 2023 IST
रूस के रोस्तोव-ऑन-डॉन की एक सड़क पर एक सैन्य वाहन के अंदर बैठे ‘वैग्नर ग्रुप’ के प्रमुख येवगेनी प्रीगोझिन के साथ सेल्फी नेता स्थानीय व्यक्ति। - प्रेट्र

मॉस्को, 25 जून (एजेंसी)

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रूस के रोस्तोव-ऑन-डॉन की एक सड़क पर एक सैन्य वाहन के अंदर बैठे ‘वैग्नर ग्रुप’ के प्रमुख येवगेनी प्रीगोझिन के साथ सेल्फी नेता स्थानीय व्यक्ति।
- प्रेट्र

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सत्ता में दो दशकों से अधिक समय के कार्यकाल को सबसे बड़ी चुनौती देते हुए ‘वैग्नर ग्रुप’ के प्रमुख येवगेनी प्रीगोझिन एवं अन्य लड़ाकों पर फिलहाल कोई केस नहीं चलाया जाएगा। इस संक्षिप्त विद्रोह ने हालांकि रूसी सरकारी बलों के बीच कमजोरियों को उजागर कर दिया, लेकिन क्रेमलिन (रूस का राष्ट्रपति भवन) के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा कि प्रीगोझिन और उनके लड़ाकों के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह भड़काने के आरोप हटा दिए जाएंगे और उनके लड़ाकों पर भी कोई मुकदमा नहीं चलाया जाएगा। इससे पहले पुतिन ने इस विद्रोह को ‘राजद्रोह’ करार दिया था।
गौर हो कि इससे पहले विद्रोहियों के बेलारूस जाने की अटकलें थीं। इस बीच, अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने रूस के हालात पर फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रां, जर्मन के चांसलर ओलाफ शोल्ज और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक से बात की। इस बातचीत के बाद रूसी विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘हम पश्चिमी देशों को अपने रूस विरोधी लक्ष्यों को हासिल करने के लिए रूस की आंतरिक स्थिति का फायदा उठाने को लेकर आगाह करते हैं।’ उधर, प्रीगोझिन के पीछे हटने की घोषणा करने से कुछ समय पहले ही यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने कहा था इस मार्च ने रूस की कमजोरी को उजागर कर दिया और ‘रूस के सभी डाकुओं, भाड़े के सैनिकों, कुलीन वर्गों को दिखाया’ है कि रूसी शहरों पर ‘और शायद उनके शस्त्रागार’ पर कब्जा करना आसान है।
यहां उल्लेखनीय है कि ‘वैग्नर’ के लड़ाके अपने उपकरणों के साथ मॉस्को से लगभग 360 किलोमीटर दक्षिण में लिपेत्स्क प्रांत तक पहुंच गए थे। रूस के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह का ऐलान करने वाले प्रीगोझिन ने अपने लड़ाकों को रूस की राजधानी मॉस्को की तरफ कूच करने का आदेश दिया था। हालांकि, बाद में उन्होंने लड़ाकों से अचानक रास्ता बदलने को कहा था।

‘बाद में समझौता होने के बाद प्रिगोझिन ने कहा कि वह अपने सैनिकों को मॉस्को की ओर मार्च रोकने और यूक्रेन में फील्ड शिविरों में वापस जाने का आदेश दे रहे हैं, जहां वे रूसी सैनिकों के साथ लड़ रहे हैं।

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