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अवसाद का खतरा

11:59 AM Apr 29, 2021 IST
अवसाद का खतरा
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एक शोध में सामने आया है कि लॉकडाउन के कारण 44 फीसद विद्यार्थियों के मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव पड़ा है। शोध के अनुसार बाहर रहकर पढ़ने वाले छात्रों में इसका गंभीर नकारात्मक असर पड़ा है। तुलनात्मक अध्ययन में देखा गया कि घर और बाहर रहने में 30.5 फीसद मध्यम रूप से प्रभावित हुए हैं। ऑनलाइन कक्षाओं और घरों में कैद रहने से भी लगभग 44 फीसद छात्रों पर बुरा असर पड़ा है। इसमें ज्यादातर छात्र चिड़चिड़ापन, ग़ुस्सा आना और एंग्जाइटी के शिकार हुए हैं। ऐसे में बेहद जरूरी है कि इन छात्रों के साथ बातों को साझा करें, खुले वातावरण में रहें, अन्यथा इसका दुष्प्रभाव सेहत पर भी पड़ सकता है।

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अमन जायसवाल, दिल्ली


तिल का ताड़

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प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्रियों के साथ कोरोना को लेकर वर्चुअल बैठक की, जिसमें मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा लाइव प्रसारण करने तथा प्रोटोकॉल का पालन न करने पर राजनीति होने लगी। हालांकि, केजरीवाल द्वारा ऐसा कुछ नहीं कहा गया। उन्होंने केंद्र सरकार तथा मंत्रियों द्वारा की गयी मदद की तारीफ भी की। उन्होंने ऑक्सीजन की गुहार लगाई, जो इस वक्त की सबसे बड़ी जरूरत है। इसमें कोई बुराई नहीं है। यूं ही व्यर्थ में प्रोटोकॉल को लेकर तिल का ताड़ बनाया जा रहा है।

हेमा हरि उपाध्याय, खाचरोद, उज्जैन


कलई खुली

आज कोरोना महामारी ने सबको बेबस कर दिया है। मरने वालों का आंकड़ा दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। इस समय हालात पर पर्दा डालना ठीक नहीं है। देश की जनता को वास्तविकता से रूबरू कराना होगा, तभी जनता इस आसन्न भयानक खतरे के खिलाफ एकजुट हो सकेगी। ऑक्सीजन, बेड, दवाइयों और वैक्सीन की कमी वैसे भी सरकार की सारी कलई खोल रही है।

सुभाष बुड़ावनवाला, रतलाम, म.प्र.

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