RIP Manoj Kumar : अपने ही सीन पर हंसे पड़े थे मनोज कुमार, जानिए उनकी जिंदगी से जुड़े दिलचस्प किस्से
चंडीगढ़, 4 अप्रैल (ट्रिन्यू)
RIP Manoj Kumar : आज बॉलीवुड का एक और सितारा अस्त हो गया है। दिग्गज इभिनेता मनोज कुमार 87 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह गए हैं। हालांकि वह हमेशा ही अपनी यादों, शानदार फिल्मों और अपनी जिंदादिली से लोगों के दिल में जिंदा रहेंगे।
मनोज कुमार को "भारत कुमार" भी कहा जाता है। उनका करियर जितना शानदार था, उतना ही दिलचस्प उनके जीवन में कई मजेदार किस्से भी थे। मनोज कुमार का व्यक्तित्व बहुत ही अलग था और उनके साथ जुड़ी कई घटनाएं भी दर्शकों को हंसी और आनंद से भर देती थीं।
मनोज कुमार की फिल्मों में उनकी दिलचस्प हरकतें और उनके किरदारों की गंभीरता से बहुत से हंसी के पल भी जुड़ जाते थे। उनका हर फिल्मी सफर एक नया अनुभव और उत्साह लेकर आता था। यह उनके जीवन के ऐसे किस्से हैं, जो न केवल उन्हें एक अभिनेता के रूप में महान बनाते हैं, बल्कि उनके निजी जीवन की भी सुंदर झलक प्रस्तुत करते हैं।
चेहरा देखते ही निर्माता ने कर लिया था सिलेक्ट
एक किस्सा मनोज कुमार से जुड़ा हुआ है, जो उनके पहले फिल्मी सफर से संबंधित है। मनोज कुमार की पहली फिल्म "फैशन" 1963 में रिलीज हुई थी, लेकिन उन्हें यह फिल्म बहुत ही साधारण तरीके से मिली थी। मनोज कुमार ने एक दिन अपनी पत्नी के साथ फिल्म निर्माता से मिलने का निर्णय लिया। निर्माता ने उनके चेहरे को देखा और कहा, "तुममें कुछ खास है, लेकिन तुम्हें कुछ और कोशिश करने की जरूरत है।" उस दिन के बाद मनोज कुमार ने फिल्मी दुनिया में कदम रखा और फिर उन्होंने "हिमालय की गोदी," "पूरब और पश्चिम," "रोटी कपड़ा और मकान," "शहीद," जैसी शानदार फिल्में दीं, जिनसे उन्हें पहचान मिली।
अपने ही सीन पर हंसे पड़े थे मनोज कुमार
मनोज कुमार का एक और मजेदार किस्सा तब सामने आया, जब वह एक फिल्म के सेट पर एक रोमांटिक सीन को शूट कर रहे थे। दरअसल, मनोज कुमार अपनी फिल्म की गम्भीरता को लेकर हमेशा ही बहुत सख्त रहते थे लेकिन शूटिंग के दौरान उनके एक डायलॉग पर सेट के सभी लोग अचानक हंसने लगे। यह देख मनोज कुमार भी हंस पड़े और वह सीन पूरा नहीं कर पाए। बाद में उन्होंने उस सीन को फिर से सही ढंग से शूट किया, लेकिन यह घटना सबको याद रह गई।
तिरंगे को लेकर सम्मान
मनोज कुमार के एक और मजेदार किस्से में उनका यह भी जिक्र है कि वह अपनी फिल्मों में ऐसे किरदार निभाने के लिए प्रसिद्ध थे जो हमेशा भारतीय संस्कृति और देशभक्ति के प्रतीक होते थे। एक बार एक फिल्म के दौरान, मनोज कुमार को एक खास सीन में एक तिरंगा झंडा हाथ में लेना था। वह इतने संजीदा थे कि उन्होंने पूरे सेट पर तिरंगे के साथ आदर से पेश आने के लिए एक रिवाज बना लिया। उन्हें तिरंगे को उठाने के पहले हमेशा बारीकी से सफाई से झंडे को टटोला और फिर आदरपूर्वक उसे हाथ में लिया। फिल्म के बाकी लोग भी इस आदर्श से प्रभावित थे, और वे उन्हें सम्मान देने लगे।
खुद को "भारत कुमार" मानने का किस्सा
मनोज कुमार के बारे में एक दिलचस्प बात यह है कि वह खुद को "भारत कुमार" मानते थे, और उनकी फिल्मों में यह भावना भी झलकती थी। वह हमेशा अपने किरदारों में देशभक्ति और संघर्ष का संदेश देने की कोशिश करते थे। एक बार किसी पत्रकार ने उनसे पूछा, "क्या आपको सच में लगता है कि आप भारत के कुमार हैं?" तो उन्होंने जवाब दिया, "अगर मैं किसी भी फिल्म में देश के लिए कुछ कर सकता हूं, तो मैं खुद को 'भारत कुमार' ही मानूंगा।"
स्क्रिप्ट राइटिंग में भी आजमाया हाथ
नोज कुमार ने सिर्फ अभिनय ही नहीं बल्कि स्क्रिप्ट राइटिंग भी की है। दरअसल, करियर की शुरुआत में उन्हें फिल्म 'जमीन और आसमान' का एक सीन लिखने का मौका दिया गया था। फिल्म निर्माता रोशन लाल मल्होत्रा एक सीन को लेकर उस समय काफी परेशान थे क्योंकि वो फिल्म के मुख्य अभिनेता अशोक कुमार को पसंद नहीं आ रहा था। तब मनोज कुमार ने इस सीन को इस तरह लिखा कि अशोक कुमार को पहली बार में ही पसंद आ गया। इसके लिए उन्हें महज 11 रुपये मिले थे लेकिन इसके बाद उनकी लेखन प्रतिभा को हर किसी ने सराहा और कई निर्माता ने उनसे अपनी फिल्मों के सीन लिखवाए।