समृद्ध विरासत को निखारने वाला वास्तुकार
बिमल हसमुख पटेल, एक ऐसा नाम जो आज देश और दुनिया में वास्तुकला का पर्याय बन चुका है। भारतीय संस्कृति के सरोकार संजोये पिता से मिली विरासत को आगे बढ़ा रहे बिमल पटेल भारत की नई संसद का वास्तु निर्मित करके न केवल देश का गौरव बढ़ा चुके हैं, अपितु अपना नाम भी इतिहास के पन्नों में दर्ज करा चुके हैं। उनके बनाए संसद के बाह्य एवं आंतरिक स्वरूप की देश-विदेश में चर्चा हो रही है। भारत की नई संसद बाहर से ऐसा शक्ति स्थल नजर आती है, जो कि पूरे विश्व में अद्वितीय है वहीं इसके आंतरिक स्वरूप के दर्शन मंत्रमुग्ध कर देते हैं। इसमें मयूर एवं कमल पुष्प पर आधारित संरचना भारतीय संस्कृति की अमर कथा कहती है।
नि:संदेह स्वदेश के कण-कण की पहचान रखने वाला और उसकी आराधना करने वाला शख्स ही ऐसा वास्तु कागज पर रेखाओं के रूप में खींच सकता है, जो कि फिर एक भव्य इमारत के रूप में सबके सामने आ पाती है। तीन दशकों से वास्तु संसार में स्थापित बिमल पटेल शहरी वास्तुकला और योजना के विशेषज्ञ बन चुके हैं। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का वास्तु तैयार करने से लेकर देश की नई संसद के वास्तु तक वे देश को अनेक ऐसी सौगात दे चुके हैं, जो कि अद्भुत और संपूर्ण रूप से भारतीय हैं।
बिमल पटेल का जन्म 31 अगस्त, 1961 को पिता हसमुख पटेल एवं मां भक्ति पटेल के घर हुआ। बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि के बिमल की इच्छा एक वैज्ञानिक बनने की थी। लेकिन समय उनके लिए कुछ और रचने में लगा था। पिता हसमुख पटेल भी वास्तुकार थे और घर में वास्तु को लेकर ही दिन-रात बातें होती थी। पिता के सहयोगी और जानकार वास्तु को लेकर चर्चा करते तो बालक बिमल पटेल भी उस चर्चा का हिस्सा बन जाते, हालांकि उस समय उन आड़ी-टेढ़ी रेखाओं का अभिप्राय उन्हें समझ नहीं आता था, आता भी कैसे। वास्तुशास्त्र वह विद्या है, जिसकी परख और समझ सामान्य लोगों के वश की बात नहीं होती। अगर ऐसा होता तो देश में इतनी असामान्य इमारतें आसमान से मुकाबला करते न खड़ी दिखतीं। वे कुछ लोगों के मस्तिष्क में उपजी उस बेचैनी का आईना हैं, जो कि उन्हें ऐसा कुछ रचने को प्रेरित करती है, जो कि अभी तक कहीं प्रतीत न हुआ हो। और जिसके साक्षातzwj;् होने के बाद लोग कहें, वाह! ऐसा कुछ पहली बार देखा।
बिमल पटेल ने 12वीं क्लास के बाद आर्किटेक्चर की पढ़ाई शुरू की। उन्होंने सीईपीटी यूनिवर्सिटी के एंट्रेंस एग्जाम में टॉप किया और आर्किटेक्चर में डिप्लोमा हासिल किया। इसके बाद बर्कले यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया से आर्किटेक्चर में मास्टर, सिटी प्लानिंग में मास्टर और सिटी एंड रिजनल प्लानिंग में पीएचडी की डिग्री हासिल करके उन्होंने अपने इरादे जाहिर कर दिए। वास्तु को व्यवसाय कहना सही नहीं होगा, क्योंकि यह आराधना की भांति है। जब योजनाबद्ध तरीके से कोई इमारत स्वरूप लेती है तो उसके गलियारों से गुजरते हुए या फिर उसके सामने खड़े होकर उसे निहारते हुए पूजा करने जैसा ही अहसास होता है, बिमल पटेल अपने बनाए डिजाइन के जरिये इसी अहसास को जीते हैं।
दिल्ली में सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट से भी वे जुड़े हैं और कर्तव्य पथ पर बगीचों का नया स्वरूप उनकी ही देन है। यह पथ देश की आन-बान-शान है और इसके दोनों तरफ का परिदृश्य बखूबी किसी वास्तुशिल्पी की पहचान बताता है, जिसे प्रकृति से गहरा प्यार है। बिमल पटेल ने काशी विश्वनाथ कॉरिडोर को भी डिजाइन किया है। काशी श्रद्धा का अमर स्थल है और यहां विश्वनाथ मंदिर का नया स्वरूप बदले भारत की कहानी कहता है। पुरातन मंदिर के आसपास के घर-दुकानों और रास्तों को जब ढहाया जा रहा था तो सवाल यही था कि आखिर ऐसा क्या बन जाएगा, जो कि भगवान शिव को समर्पित इस स्थल को गौरवान्वित करेगा, लेकिन अब उस स्थल को देखकर इसका सहज अंदाजा लग जाता है कि किसी धार्मिक स्थल को कैसा होना चाहिए। वह गर्वित, प्रेरक, संकल्पशील, प्रखर, ऊर्जावान और मनोहर होना चाहिए।
बिमल पटेल सिर्फ वास्तु तैयार नहीं करते बल्कि देश के लिए नए वास्तुकार भी तैयार कर रहे हैं। वे वर्तमान में अहमदाबाद में सेंटर फॉर एनवायरनमेंटल प्लानिंग एंड टेक्नोलॉजी विश्वविद्यालय के अध्यक्ष हैं। बिमल साल 2012 से इस विश्वविद्यालय का नेतृत्व कर रहे हैं। इसके साथ ही वे एचसीपी डिजाइन प्लानिंग एंड मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड के प्रमुख भी हैं, जिसकी स्थापना उनके पिता हसमुख सी पटेल ने 1960 में की थी। हसमुख पटेल ने भी कई प्रतिष्ठित इमारतों को डिजाइन किया था। डॉ. बिमल पटेल को उनके काम और परियोजनाओं को आगा खान अवार्ड फॉर आर्किटेक्चर (1992), वर्ल्ड आर्किटेक्चर अवार्ड (1997), यूएन सेंटर फॉर ह्यूमन सेटलमेंट्स अवार्ड ऑफ एक्सीलेंस (1998), आर्किटेक्चर रिव्यू हाई कमेंडेशन अवार्ड (2001) सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। शहरी योजना और डिजाइन में उत्कृष्टता के लिए प्रधानमंत्री का राष्ट्रीय पुरस्कार (2003) और हडको डिजाइन पुरस्कार (2013) भी उन्हें हासिल हुआ। उन्हें 2019 में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
बिमल पटेल ने देश में आवासीय, संस्थागत, वाणिज्यिक, औद्योगिक और शहरी डिजाइन और शहरी नियोजन परियोजनाओं की एक शृंखला पर काम किया है। निश्चित रूप से बिमल पटेल एक वास्तुकार के रूप में देश को ऐसी निधि सौंप रहे हैं, जो कि पूरी तरह से भारतीय है और उसकी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को आगे बढ़ाती है।