परिणामों के निष्कर्ष
तीन मई के दैनिक ट्रिब्यून में राजकुमार सिंह का ‘इस जय- पराजय के सवाल और सबक’ लेख चार राज्यों आैर एक केंद्रशासित प्रदेश में चुनाव करवाने के औचित्य पर सवालिया निशान लगाने वाला था। इसके लिए केंद्र सरकार तथा चुनाव आयोग अपनी जिम्मेदारी से चूके हैं। इस चुनाव ने वामपंथ तथा कांग्रेस की कमजोर स्थिति को दर्शाया तथा डीएमके के सत्ता प्राप्त करने का बिगुल बजाया है। होना तो यह चाहिए था कि जब तक कोरोना का प्रकोप नियंत्रित नहीं होता, किसी प्रकार के चुनाव न कराये जाते।
शामलाल कौशल, रोहतक
दमखम की जीत
चार राज्यों और एक केंद्रशासित प्रदेश के चुनावों में सबसे ज्यादा फोकस पश्चिम बंगाल पर था। लेकिन तृणमूल कांग्रेस की ममता बनर्जी की तारीफ करनी होगी कि एक अकेली महिला भले ही खुद हार गई लेकिन अपने 214 साथियों को जिता दिया। ममता बनर्जी ने अपने दम पर किला फतह कर देश की सभी महिलाओं को अपनी शक्ति का अहसास करा दिया है कि महिला भी किसी से कम नहीं है।
हेमा हरि उपाध्याय, उज्जैन, म.प्र.