For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.

राष्ट्रीय स्वतंत्रता रक्षा हेतु दायित्व

06:47 AM Aug 21, 2023 IST
राष्ट्रीय स्वतंत्रता रक्षा हेतु दायित्व
Advertisement

सांप्रदायिक सौहार्द जरूरी

भारत को अंग्रेजी शासन से आजाद करवाने में सभी दल, धर्मों व जातियों का योगदान था। लेकिन आज राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को साधने के लिए सभी धर्म और जातियां एक-दूसरे को नीचा दिखाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहे हैं। ऐसे आरोप-प्रत्यारोपों से आजादी के उन वीर सिपाहियों का घोर अनादर होता है, जिन्होंने देश की स्वतंत्रता के लिए सब अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया था। राष्ट्रीय स्वतंत्रता की सुरक्षा तभी मजबूत रह सकती है, जब देश में सांप्रदायिक सौहार्द बना रहे। जातीय खाइयां पाट दी जाएं। जब तक हर देशवासी को हिंदुस्तानी होने पर गर्व नहीं होगा तब तक राष्ट्रीय सुरक्षा असुरक्षित कहलाएगी।
सुरेन्द्र सिंह ‘बागी’, महम

अखंडता की रक्षा

हर स्वतंत्रता दिवस पर शहीदों की शहादत को याद किया जाता है मगर याद करने के साथ-साथ हर नागरिक का कर्तव्य बनता है कि वह भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करे और उसे अक्षुण्ण रखे। वर्तमान समय में जिस तरह से जातिवाद व तुष्टीकरण की नीति राजनीतिक दलों द्वारा अपनाई जा रही है, उससे राष्ट्रीय एकता व धर्म निरपेक्षता का संकट पैदा हो गया है। हर जिम्मेदार नागरिक का कर्तव्य है कि वह अपने देश के लिए संकल्पित हो। व्यक्तिगत आकांक्षाओं से इतर राष्ट्र की आवश्यकता व अपेक्षाओं को महत्व देने वाला ही देश का सच्चा नागरिक है।
पूनम कश्यप, नयी दिल्ली

Advertisement

राष्ट्रधर्म का दायित्व

आज लोग मात्र अपना स्वार्थ सिद्ध करने में लगे हुए हैं। देश को आजाद करवाने के लिए जिन शहीदों ने अपना सब कुछ बिना किसी स्वार्थ के कुर्बान कर दिया था, उन देशभक्तों की कुर्बानियों को याद करने का किसी के पास समय नहीं है। उन शहीदों की कुर्बानियां कैसे याद करें? क्योंकि आज सबको आजादी की पकी पकाई खीर जो मिल गई है। अगर देश को हर समस्या से मुक्त करना है तो प्रत्येक नागरिक, वो चाहे किसी भी धर्म या जाति का हो, को अपने स्वार्थ की भावना छोड़नी होगी और संकल्प के साथ राष्ट्रधर्म की भावना अपने अंदर पैदा करनी होगी।
राजेश कुमार चौहान, जालंधर

शहीदों की आकांक्षा

हर साल स्वतंत्रता दिवस हमें उन वीरों को याद कराता है जिन्होंने बलिदान देकर हमें अंग्रेजों से आजादी दिलवाई। लेकिन हम स्वतंत्रता सेनानियों की कुर्बानियों को भूल गए हैं। राजनेता उनके नाम पर वोट तो बटोर रहे हैं लेकिन न तो उनके प्रति सच्ची श्रद्धा भावना रखते हैं न ही उनके तथा देश के प्रति अपने दायित्वों को निभा रहे हैं। लोगों में भी जापानियों की तरह अपने देश के प्रति समर्पण तथा त्याग की भावना नहीं। हम स्वार्थी हो गये हैं। केवल औपचारिकता निभा रहे हैं। हमारा व्यवहार, सोच तथा आचरण शहीदों की आकांक्षा के अनुरूप होने की आवश्यकता है।
शामलाल कौशल, रोहतक

Advertisement

याद करें कुर्बानी

स्वतंत्रता की रक्षा हेतु समर्पण की भावना के साथ राष्ट्रभक्ति से जुड़कर राष्ट्रीय पुनर्निर्माण प्रक्रिया में योगदान देने के लिए प्रतिबद्धता का होना बहुत जरूरी है। वीर सपूतों ने अपने जीवन का सर्वोच्च बलिदान देकर भारत को स्वतंत्र कराया। अब हमारी जिम्मेदारी है कि देश में अमन-चैन हो, प्रगति का मार्ग प्रशस्त हो एवं नागरिक के कर्तव्यों को शिद्दत के साथ निभाएं। स्वतंत्रता संग्राम और वीर शहीदों की कुर्बानी को अपने जीवन में आत्मसात‌् करना होगा। हम स्वतंत्रता की अवधारणा को मजबूत करते हुए अखंड भारत एवं विकसित राष्ट्र की कल्पना को साकार रूप देने में समर्थ होंगे। प्रत्येक भारतवासी का यही सपना होना चाहिए।
वीरेंद्र कुमार जाटव, दिल्ली

सैनिक जैसा जज्बा

हमें अपने देश की सुरक्षा और आजादी की रक्षा के लिए समर्पित रहना चाहिए। हमें संकल्पित रहकर सुरक्षा एजेंसियों या सशस्त्र बलों में सेवा करके अपने देश की रक्षा में योगदान करना चाहिए। इसके साथ ही, न्याय और समानता की प्रेरणा देने वाले स्वतंत्रता सेनानियों की याद को भी जीवित रखना चाहिए। उनके त्याग और बलिदान का सम्मान करना चाहिए। स्कूली शिक्षा में ही देश की सेवा के लिए सैनिक शिक्षा का समावेश पाठ्यक्रम में होना चाहिए, जिससे विद्यार्थियों में देश की रक्षा करने की भावना बचपन से ही पैदा हो सके।
भगवानदास छारिया, इंदौर

पुरस्कृत पत्र
हमारी जिम्मेदारी

देश की स्वतंत्रता की रक्षा का दायित्व निभाना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है। संविधान के अनुसार सही तरीकों से जीवन निर्वाह करना, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान नहीं पहुंचाना, ऊर्जा एवं पानी की बचत में अपना योगदान देना हमारे कर्तव्य हैं। अन्न की बर्बादी को रोकने का हर संभव प्रयास करना एवं पर्यावरण संरक्षण तथा स्वच्छता के प्रति सजग भाव रखकर लोग देश के प्रति अपना अनुराग प्रकट कर सकते हैं। देश की आंतरिक एवं बाहरी सुरक्षा करने वाली पुलिस एवं सैनिकों के प्रति हमारे हृदय में आत्मीय भाव होना चाहिए। देशहित में सच्चे एवं ईमानदार जनप्रतिनिधियों को चुनना भी आवश्यक है।
ललित महालकरी, इंदौर, म.प्र.

Advertisement
Advertisement
Advertisement
×