फेरबदल के निहितार्थ
मोदी मंत्रिमंडल में किया गया फेरबदल स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि यदि कोई मंत्री अपने दायित्व का निर्वाह संतोषजनक तरीके से नहीं करता है तो उसकी छुट्टी हो सकती है। वर्तमान समय में फेरबदल अगले साल पांच राज्यों में होने वाले चुनावों को ध्यान में रखते हुए राजनीतिक समीकरण को भी महत्व दिया गया है। यह फेरबदल स्वयं में एक ऐतिहासिक कदम भी है क्योंकि इसमें महिलाओं को बड़ी संख्या में प्रतिनिधित्व दिया गया है। उम्मीद की जानी चाहिए कि इस फेरबदल के बाद सरकार की कार्यशैली में बदलाव अवश्य आएगा।
सतीश शर्मा, माजरा, कैथल
प्रधानमंत्री मोदी व्यक्ति की सूरत नहीं अपितु सीरत को अधिमान देते हैं। मोदी सरकार द्वारा उन अज्ञात लोगों को उनके बेहतर कार्य के लिए पद्मविभूषण आदि पुरस्कारों का देना इसका जीवंत उदाहरण है। दिग्गज नेताओं को केंद्रीय मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता दिखाकर मोदी की राष्ट्र निर्माण एवं विकासपरक मंशा भी उजागर हो गई कि मंत्री वही रहेगा जो जनता को काम करके दिखायेगा। मंत्रिमंडल में युवा-प्रौढ़ के जोश व अनुभव रूपी नये मेल से सरकार की दशा एवं दिशा में सुधार होगा।
कम्मी ठाकुर, नारनौल
मोदी मंत्रिमंडल में फेरबदल का उद्देश्य सरकार की साख पर उठ रहे सवालों तथा आगामी चुनावी चुनौतियों से निपटने की कवायद के रूप में देखा जा रहा है। कामकाज को लेकर उठ रहे सवालों-विवादों के परिणामस्वरूप ही यह बड़ा फेरबदल किया है। किसान आंदोलन एवं उ.प्र. का आसन्न चुनाव, जिसमें विजयी समीकरण बनाने के लिए सभी लोगों को समान भागीदारी देने का भी एक मजबूत प्रयास है। इस फेरबदल के माध्यम से सामाजिक और राजनीतिक समीकरण साधने की बेहद संतुलित कवायद की गयी है।
अशोक, पटना
मंत्रालय में प्रत्येक मंत्री की कार्यप्रणाली और निगरानी रखना प्रधानमंत्री का दायित्व है। जब उन्हें लगा कि कोई मंत्रालय सही ढंग से अपना काम नहीं कर रहा है तो उससे संबंधित मंत्री की छुट्टी या विभाग बदलना उनके अधिकार क्षेत्र में आता है। कोरोना संकट में शिक्षा, स्वास्थ्य आदि मंत्रालयों ने अपने काम बेहतर ढंग से नहीं किये। देश-समाज में उनकी छवि का विघटन हुआ। यह संदेश मोदी तक भी गया। अब आने वाले समय में देश-प्रदेश में कई जगह चुनाव का बिगुल बजने वाला है। कोई भी राजनीतिक दल अपना कोई भी कदम बिना राजनीतिक घटा-जोड़ के नहीं उठाता।
सत्यप्रकाश गुप्ता, बलेवा, गुरुग्राम
मोदी मंत्रिमंडल में परिवर्तन से स्वतः ही सिद्ध हो गया कि सरकार अपने द्वितीय कार्यकाल के विगत दो वर्ष से ज्यादा समय में अनेक विषयों पर विफल रही है। शिक्षा, स्वास्थ्य, कानून और श्रम सहित अनेक मंत्रालयों से कैबिनेट मंत्रियों को हटाया जाना विफलता का प्रत्यक्ष प्रमाण है। मंत्रिमंडल परिवर्तन और विस्तार में उ.प्र. और अन्य राज्यों के विधानसभा चुनाव की आहट स्पष्ट प्रतीत होती है। मंत्रिमंडल फेरबदल कमजोर अर्थव्यवस्था, बढ़ती महंगाई, घटते रोजगार एवं आय और कोरोना महामारी में सरकारी कुप्रबंधन के चलते मौतों से ध्यान हटाने का एक विफल प्रयास है।
सुखबीर तंवर, गढ़ी नत्थे खां गुरुग्राम
मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में मंत्रिमंडल में किये बड़े बदलाव सरकार की छवि सुधारने की ही कवायद है। वैसे तो सफलता और असफलता के लिये सरकार ही जिम्मेदार होती है। कहना मुश्किल है कि महज मंत्रियों के बदलने से किसी जवाबदेही की नाकामी पर विराम लग जाता है। हां, इतनी उम्मीद जरूर पैदा होती है कि नये मंत्री जनता के हितों और विकास के लिये बेहतर करने का प्रयास करेंगे। वैसे तो मंत्रिमंडल में बदलाव राजनीतिक लक्ष्यों को पाने के लिये ही होते हैं। उम्मीद है बदलाव बेहतर परिणाम देंगे।
मोहम्मद आलम, चंडीगढ़
पुरस्कृत पत्र
सेवा हो दायित्व
कोरोना की दूसरी लहर में कई परिवारों ने अपनों को खोया है। ऑक्सीजन की कमी, दवाइयों की कालाबाजारी, वैक्सीन की अनुपलब्धता और दुष्प्रचार ने आग में घी का काम किया। प्रधानमंत्री को साथी मंत्री की लापरवाही ने शायद भीतर तक झकझोर दिया। भविष्य में ऐसा न हो इसकी तैयारी तो भूतकाल की गलतियों से सबक लेकर ही सुधारी जा सकती है, वही मोदी ने किया। कुछ मंत्रियों को मंत्रिमंडल से बाहर कर और कुछ नये चेहरे हर वर्ग, हर प्रदेश से मंत्रिमंडल में शामिल कर यह बता दिया कि देश की सेवा के लिए सिर्फ समझदार, मेहनतकश, जवाबदेही नेताओं को ही यह दायित्व सौंपना उचित रहेगा।
भगवान दास छारिया, इंदौर, म.प्र.