‘हमें अपनी संस्कृति से जोड़ते हैं धर्म के कार्य’
गुहला चीका, 8 दिसंबर (निस)
अग्रवाल धर्मशाला में श्री राम कथा रविवार को संपन्न हो गई। रविवार को कथा का शुभारंभ सीवन के प्रमुख समाजसेवी गुरमीत सिंह ने किया। गुरमीत सिंह को विज्ञानानंद महाराज ने सम्मानित किया। इस अवसर पर विज्ञानानंद जी महाराज ने कहा कि संसार में जितने भी सुख-दुख हैं, वे सब हमारे मन द्वारा मान लेने पर हमें महसूस होते हैं। यदि पानी से भरे आधे गिलास को हम आधा खाली मान लेते हैं तो वह हमें आधा खाली नजर आएगा और यदि हम उसे आधा भरा देखते हैं तो वह हमें आधा भरा नजर आएगा, ठीक इसी प्रकार की स्थिति हमारे मन की है। उन्होंने कहा कि महाराजा दशरथ ने भगवान राम के वनवास को मन से स्वीकार नहीं किया लेकिन श्रीराम ने उसे मन से स्वीकार किया और उन्हें कुछ नहीं हुआ। व्यक्ति को अपने पिता की हर बात को मानना चाहिए, बशर्ते वह धर्म विरोधी न हो। जब श्री राम को वनवास मिला तो उनके पिता दशरथ नहीं चाहते थे कि राम वनवास जाए लेकिन इस सबके बावजूद श्रीराम ने पिता का कहा न मानकर धर्म अनुरूप कार्य किया। वहां पर धर्म का पालन पिता के आदेश से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण था। वहीं प्रह्लाद के पिता हिरण्यकश्यप कहते थे कि मैं ही तुम्हारा विष्णु है, लेकिन भक्त प्रह्लाद ने उनकी बात नहीं मानी। गुरमीत सिंह ने कहा कि धर्म के कार्य हमें हमारी संस्कृति से जोड़ते हैं, ऐसे ये कार्य निरंतर चलते रहने चाहिए। अंत में कथा के संयोजक प्रेम सिंह पूनिया, परमानंद गोयल, अशोक गर्ग, मनोज मित्तल, मंगत राम बंसल, विनोद गर्ग आदि ने मुख्यातिथि को सम्मानित किया।