नेताजी जी की प्रासंगिकता
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती को देशभर में पराक्रम दिवस के रूप में मनाया गया। यकीनन नेताजी भारत की आज़ादी के महानायक थे। वे भारत के स्वाधीनता संग्राम के ऐसे स्वर्णिम नायक हैं, जिनके बिना आज़ादी का इतिहास अधूरा है। उन्होंने अपने असाधारण राष्ट्रप्रेम, अदम्य साहस व ओजस्वी वाणी से विदेशी शासन की चूलें हिला दीं। नेताजी का संपूर्ण जीवन भारत के गौरव, स्वाभिमान और स्वतंत्रता के लिए समर्पित था। नेताजी के उत्कृष्ट विचार आज भी प्रासंगिक हैं।
नीरज मानिकटाहला, यमुनानगर
उत्सव धर्मिता को विस्तार
24 जनवरी के दैनिक ट्रिब्यून अंक में दीपांकर गुप्ता का ‘शहरीकरण से उत्सव धर्मिता को विस्तार’ लेख शहरी विकास प्राधिकरण के सामाजिक, धार्मिक व विकासशील आयामों की सविस्तार जानकारी देने वाला था। पुरजोर नवीन रंग-रंगत के बावजूद शहरी रीति-रिवाज, रहन-सहन परंपराओं में सौहार्द, भाईचारे का संबल है।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल