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46 साल बाद खुला जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार

06:55 AM Jul 15, 2024 IST
46 साल बाद खुला जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार
पुरी में रविवार को रत्न भंडार के लिए ले जाए गए पीतल के विशेष बक्से। - प्रेट्र
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भुवनेश्वर, 14 जुलाई (एजेंसी)
ओडिशा के पुरी में स्थित 12वीं सदी के जगन्नाथ मंदिर का ‘रत्न भंडार’ 46 साल बाद रविवार को फिर से खोला गया। अधिकारियों ने बताया कि आभूषणों, मूल्यवान वस्तुओं की सूची बनाने और भंडार गृह की मरम्मत करने के लिए रत्न भंडार को खोला गया है। इसके पहले 1978 में इसे खोला गया था। अधिकारियों ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा गठित समिति के सदस्यों ने दोपहर करीब 12 बजे मंदिर में प्रवेश किया और अनुष्ठान के बाद रत्न भंडार पुनः खोला गया।
ओडिशा में हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में यह एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा था। भाजपा ने तत्कालीन सत्तारूढ़ बीजू जनता दल (बीजद) पर इसकी खोई हुई चाबियों को लेकर निशाना साधा था और लोगों से वादा किया था कि अगर वह चुनाव जीतती है तो रत्न भंडार को फिर से खोलने का प्रयास करेगी। एक अधिकारियों ने बताया कि रत्न भंडार खोलते समय 11 लोग मौजूद थे, जिनमें उड़ीसा हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश विश्वनाथ रथ, श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन के मुख्य प्रशासक अरबिंद पाधी, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीक्षक डीबी गड़नायक और पुरी के नाममात्र राजा ‘गजपति महाराजा’ के एक प्रतिनिधि शामिल थे। पाधी ने कहा कि रत्न भंडार पुनः खोल दिया गया है, लेकिन मूल्यवान वस्तुओं की सूची तत्काल नहीं बनाई जाएगी। उन्होंने बताया कि रत्न भंडार के आंतरिक और बाहरी कक्षों में रखे गए आभूषण और अन्य मूल्यवान वस्तुओं को लकड़ी के संदूकों में बंद कर अस्थायी सुरक्षित कमरे में रखा जाएगा। उन्होंने कहा, ‘हमारी पहली प्राथमिकता रत्न भंडार की संरचना की मरम्मत करना है। मरम्मत कार्य पूरा होने के बाद कीमती सामान वापस लाया जाएगा और फिर सूची तैयार की जाएगी।’

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एक चाबी गायब

मंदिर प्रशासन के मुख्य प्रशासक अरबिंद पाधी ने बताया कि रत्न भंडार के बाहरी कक्ष की तीन चाबियां उपलब्ध थीं, जिनमें से एक गजपति महाराज के पास, दूसरी एसजेटीए के पास और तीसरी एक सेवक के पास थी। उन्होंने बताया कि आंतरिक कक्ष की चाबी गायब है, हालांकि उसे नई चाबी से खोलने के बाद सील कर दिया जाएगा तथा जिलाधिकारी की निगरानी में नई चाबी को जिला कोषागार में रखा जाएगा।
लकड़ी-पीतल के 6 संदूक बनवाये : रत्न भंडार में रखा कीमती सामान ले जाने के लिए लकड़ी के छह संदूक मंदिर में लाए गए। इन संदूकों के अंदरूनी हिस्से में पीतल लगा हुआ है। सागवान की लकड़ी से बने ये संदूक 4.5 फुट लंबे, 2.5 फुट ऊंचे और 2.5 फुट चौड़े हैं।

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