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हिसार लोकसभा सीट पर रणजीत और जयप्रकाश में भिड़ंत, नैना-सुनैना बरत रहीं रिश्तों का लिहाज

11:29 AM May 19, 2024 IST
हिसार लोकसभा सीट पर रणजीत और जयप्रकाश में भिड़ंत  नैना सुनैना बरत रहीं रिश्तों का लिहाज
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दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
हिसार, 18 मई
हिसार-ए-फिरोजा। जी हां, यही पहचान है प्राचीनकाल से ही शौर्य, राष्ट्रीय प्रेम, बलिदान व देश पर मर मिटने की परंपरा वाले इस इलाके की। दरअसल, ‘हिसार’ फारसी का एक शब्द है और इसका मतलब है किला या घेरा। ऐसा माना जाता है कि 1354 में दिल्ली के सुल्तान फिरोजशाह तुगलक ने हिसार नगर बसाया था। अंग्रेजी शासन के खिलाफ भी यहां के लोगों ने डटकर लोहा लिया। शौर्य और मोहब्बत के इस शहर में इस बार लोकसभा चुनावों में जहां दिग्गजों में सीधा टकराव है, वहीं रिश्ते भी दांव पर लगे हैं। हिसार लोकसभा सीट से भाजपा टिकट पर चुनाव लड़ रहे बिजली मंत्री चौ़ रणजीत सिंह और कांग्रेस उम्मीदवार व पूर्व केंद्रीय मंत्री जयप्रकाश ‘जेपी’ के बीच दिलचस्प चुनावी मुकाबला है। रणजीत सिंह पीएम नरेंद्र मोदी के नाम पर वोट मांग रहे हैं। उनके साथ पूर्व डिप्टी पीएम चौ़ देवीलाल का बड़ा नाम भी जुड़ा है। देवीलाल के बेटे रणजीत सिंह ने अपने चुनाव प्रचार में भाजपा के दिग्गज नेताओं के साथ अपने पिता के फोटो भी लगाए हैं। किसानों में देवीलाल के प्रति श्रद्धा है।
वहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री जयप्रकाश जेपी रणजीत सिंह को कभी रिटायर्ड बताते हैं तो कभी उनकी उम्र को लेकर कटाक्ष करते हैं। दोनों ही नेताओं के बीच तीखे शब्दबाणों का इस्तेमाल किया जा रहा है। इस चुनाव पर हर किसी की नजर इसलिए भी है क्योंकि यह पहला मौका है जब देवीलाल परिवार के तीन सदस्य एक ही लोकसभा सीट पर आमने-सामने डटे हैं। रणजीत सिंह के मुकाबले उनके ही परिवार की दो बहुएं - नैना चौटाला और सुनैना चौटाला भी चुनाव लड़ रही हैं। रणजीत सिंह के बड़े भाई ओमप्रकाश चौटाला की पुत्रवधू व बाढ़डा से विधायक नैना चौटाला जननायक जनता पार्टी की उम्मीदवार हैं।
वहीं इनेलो टिकट पर रणजीत सिंह के भाई प्रताप सिंह चौटाला की पुत्रवधू सुनैना चौटाला ताल ठोक रही हैं। शुरुआत से ही ऐसा लग रहा था कि इस चुनाव में परिवार के रिश्तों के बीच भी टकराव देखने को िमलेगा और रिश्तों में खटास पड़ेगी लेकिन रणजीत सिंह ने पहले ही दिन लाइन खींचते हुए स्पष्ट तौर पर कहा – परिवार का कोई भी सदस्य चुनाव लड़ सकता है। वे मर्यादा से बाहर नहीं जाएंगे। नैना और सुनैना चूंकि उनके ही परिवार की बहुएं हैं, ऐसे में वे कोई ऐसी बात नहीं करेंगे जिससे रिश्तों पर आंच आए। रणजीत सिंह द्वारा ली गई इस लाइन का असर यह हुआ कि नैना और सुनैना चौटाला भी चुनावों में रिश्तों का पूरा लिहाज रख रही हैं। यहां से चुनाव लड़ रहे नेताओं और राजनीतिक दलों को हिसार के अलावा जींद और भिवानी जिला में भी पसीना बहाना पड़ रहा है। हिसार सीट के तहत सात हलकों के अलावा जींद का उचाना कलां और भिवानी का बवानीखेड़ा हलका भी आता है। हिसार जिले के हिसार, नलवा, हांसी, बरवाला, नारनौंद, उकलाना व आदमपुर हलके संसदीय सीट के हिस्सा हैं।
2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा के बृजेंद्र सिंह ने यहां से जीत हासिल की थी। उन्होंने इनेलो के सांसद दुष्यंत चौटाला को हराया था। वहीं कांग्रेस टिकट पर भजनलाल के पोते भव्य बिश्नोई तीसरे नंबर पर रहे थे। भव्य को परिवार के परंपरागत हलके आदमपुर से भी हार का मुंह देखना पड़ा था। हालांकि इसके बाद विधानसभा के चुनावी नतीजों ने सारे समीकरण बदल दिए। नौ हलकों में से चार पर भाजपा, चार पर जजपा और एक पर कांग्रेस की जीत हुई। बाद में आदमपुर से कांग्रेस विधायक कुलदीप बिश्नोई ने इस्तीफा देकर भाजपा ज्वाइन कर ली और अब उनके बेटे भव्य बिश्नोई यहां से भाजपा विधायक हैं। ऐसे में भाजपा के पांच हलकों में विधायक हैं। भव्य के अलावा हिसार से डॉ़ कमल गुप्ता, हांसी से विनोद भ्याना, नलवा से रणबीर सिंह गंगवा और बवानीखेड़ा से बिशम्बर वाल्मीकि विधायक हैं। वहीं उचाना से दुष्यंत चौटाला, नारनौंद से रामकुमार गौतम, उकलाना से अनूप धानक और बरवाला से जोगीराम सिहाग जजपा विधायक हैं। चार विधायकों के बाद भी जजपा उम्मीदवार नैना चौटाला के सामने चुनौतियां बढ़ी हुई हैं।

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जाट-गैर जाट का पुराना ट्रेंड
हिसार लोकसभा सीट पर जाट और गैर-जाट चुनाव होने का पुराना ट्रेंड है। हालांकि यह ट्रेंड उसी दौरान हुआ जब भजनलाल या उनके परिवार के सदस्य ने चुनाव लड़ा। इस बार चारों ही प्रमुख पार्टियों ने जाट चेहरों पर दांव लगाया है। ऐसे में चुनाव और भी दिलचस्प हो गया है। चुनाव के नतीजे पूरी तरह से जजपा की नैना सिंह चौटाला और इनेलो की सुनैना चौटाला को मिलने वाले वोट पर निर्भर करेंगे। नैना और सुनैना चौटाला मजबूती के साथ अपने चुनाव को उठाने की कोशिश कर रही हैं। उनका चुनाव जितना उफान पर आएगा, उतना ही मुकाबला दिलचस्प हो जाएगा। अभी तक रणजीत सिंह आैर जयप्रकाश जेपी में सीधा मुकाबला बना हुआ है लेकिन नैना और सुनैना मिलकर तीसरी फोर्स बनने की कोशिश में हैं। रणजीत सिंह को उम्मीद है कि उन्हें जाट वोटरों का अपना शेयर तो मिलेगा ही। साथ ही, भाजपा के नाम का गैर-जाट वोटर भी उन्हें बहुतायत में मिलेगा।

भाजपा का बड़ा सहारा
चुनाव के शुरुआती दौर में रणजीत सिंह को भाजपा नेताओं का कम ही सहयोग मिला। लेकिन अब पार्टी के अधिकांश िदग्गज नेता और वर्कर उनके लिए मोर्चा संभाल चुके हैं। स्वास्थ्य मंत्री कमल गुप्ता, समाज कल्याण मंत्री बिशम्बर वाल्मीकि, डिप्टी स्पीकर रणबीर सिंह गंगवा के अलावा पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु, पूर्व सांसद कुलदीप बिश्नोई व आदमपुर विधायक भव्य बिश्नोई सहित अधिकांश नेता चुनाव प्रचार में डटे हैं। दरअसल, कैप्टन अभिमन्यु, कुलदीप बिश्नोई व रणबीर सिंह गंगवा भी टिकट के दावेदारों में शामिल थे। लेकिन टिकट रणजीत सिंह को मिलने की वजह से शुरुआती दौर में उन्होंने दूरी बनाई लेकिन पूर्व सीएम मनोहर लाल द्वारा मोर्चा संभालने के बाद सभी एकजुट होकर मैदान में आ गए।

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जेपी चुनावी मैनेजमेंट में माहिर
जयप्रकाश ‘जेपी’ की खासियत यह है कि उन्हें चुनाव लड़ना भी आता है और वे मैनेजमेंट में भी माहिर हैं। जेपी के पास क्षेत्र में अपनी टीम भी है। शायद, यही कारण है कि 2009 के आमचुनाव और 2011 के उपचुनाव में शिकस्त खाने के बाद वे इस बार कड़ी टक्कर दे रहे हैं। जेपी चुनाव प्रचार में पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा द्वारा करवाए गए विकास कार्यों का भी जिक्र कर रहे हैं। हुड्डा के नजदीकियों में शामिल जेपी को टिकट दिलवाने में भी हुड्डा की अहम भूमिका रही। यहां से भाजपा सांसद रहे बृजेंद्र सिंह के कांग्रेस में शामिल होने के बाद उनका टिकट पर मजबूत दावा था लेकिन आखिर में जेपी बाजी मार गए।

रणजीत सिंह का पुराना जुड़ाव
हिसार पार्लियामेंट रणजीत सिंह के लिए नया नहीं है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि वे पहले भी यहां से लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं। आदमपुर हलके से भी वे विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं। इससे भी बड़ी वजह यह है कि उन्होंने हिसार के साथ अपना रिश्ता कभी नहीं तोड़ा। वे चाहे सरकार में रहें या नहीं, महीन में एक बार उनका हिसार में आना जरूर हुआ। मनोहर सरकार में मंत्री रहते हुए भी वे हर महीने हिसार आते रहे और अपने पुराने साथियों व वर्करों के साथ बैठकें की। लोगों की समस्याओं को भी उन्होंने निपटाने की कोशिश की।

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