हरियाणा में अब 72 की बजाय 48 घंटों में होगा किसानों के फसलों का भुगतान
ट्रिब्यून न्यूज सर्विस, चंडीगढ़, 13 नवंबर
Haryana News: हरियाणा में किसानों को बड़ी राहत देते हुए सरकार ने फसलों का भुगतान अब 48 घंटों के भीतर करने का ऐलान किया है। अभी तक मंडियों में खरीद के बाद 72 घंटों के भीतर किसानों को डीबीटी (डायरेक्ट बैंक ट्रांसफर) के जरिये भुगतान किया जा रहा था। इस समय सीमा को सरकार ने और कम कर दिया है। सरकार ने दावा किया है कि पिछले 10 वर्षों के दौरान किसानों को फसलों के लिए 1 लाख 24 हजार करोड़ रुपये का भुगतान किया है।
प्रदेश में नकली बीज, नकली कीटनाशक और नकली खाद की बिक्री को रोकने के लिए नायब सरकार सख्त कानून बनाएगी। नकली खाद-बीज की बिक्री करने वालों से सख्ती से निपटने के लिए यह कानून बनेगा। इसके तहत जुर्माने के साथ-साथ सजा का भी प्रावधान किया जाएगा। पूर्व की मनोहर सरकार के समय शुरू की गई ‘मेरी पानी-मेरी विरासत’ योजना में थोड़ा बदलाव अब नायब सरकार ने किया है।
हालांकि पूर्व की योजना पहले की तरह चलती रहेगी। धान की बजाय दलहन, तिलहन आदि का उत्पादन करने वाले किसानों को सरकार 7 हजार रुपये प्रति एकड़ की आर्थिक मदद करती है। अब सरकार ने तय किया है कि धान की खेती करने की बजाय खेत को खाली छोड़ने वाले किसानों को 10 हजार रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से आर्थिक मदद की जाएगी। विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले दिन राज्यपाल बंडारु दत्तात्रेय ने अपने अभिभाषण के दौरान ये बातें सदन में रखीं।
राज्यपाल ने कहा कि प्रदेश सरकार जल्दी ही किसान उत्पादक संघ (ईपीओ) तथा सहकारी संगठन पैक्स का बड़ा नेटवर्क खड़ा करेगी। राज्य में करीब 500 आधुनिक सीएम पैक्स समूह गठित करने की योजना है। यह ईपीओ और पैक्स समूह किसानों को आधुनिक खेती का प्रशिक्षण देंगे, उन्हें मंडियों में फसल की आसान बिक्री की जानकारी देंगे तथा किसानों को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने हेतु वन स्टाप सेंटर का काम करेंगे।
प्रदेश सरकार इन कृषक समूहों और पैक्स समूहों को अनाज भंडारण के लिए गोदाम बनाने का काम भी देने वाली है। गोदाम बनाने के लिए एक समूह को करीब एक करोड़ रुपये की ब्याज मुक्त राशि मुहैया कराने का इरादा सरकार का है। राज्यपाल ने अपने अभिभाषण के दौरान 1716 तालाबों के जीर्णोद्वार, गंदे पानी के उपचार तथा प्रबंधन की नीतियों को जारी रखने की बात विधानसभा में कही है। उन्होंने परंपरागत रावी-ब्यास नदियों के पानी का अपना वैध हिस्सा प्राप्त करने और सतलुज-यमुना लिंक नहर को पूरा करवाने की प्रतिबद्धता सदन में जताई है।