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अंधेरी जिंदगियां रोशन कर रहीं रानी

06:57 AM Apr 16, 2024 IST
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हरीश भारद्वाज/ हप्र
रोहतक, 15 अप्रैल
हिम्मत करने वालों की कभी हार नहीं होती। इसे सच कर दिखाया है रोहतक की रानी हुड्डा अहलावत ने। यहां घनीपुरा स्थित नारी उदय फाउंडेशन के कपिल अंध प्रकाश विद्यालय की संचालक रानी हुड्डा सैकड़ों दृष्टिहीन बच्चों के जीवन में उजाला कर रही हैं। शिक्षा-दीक्षा के साथ-साथ उन्हें खेलों व घरेलू कार्यों में भी दक्ष बना रही हैं। उनके विद्यालय में पढ़ने वाले सभी विद्यार्थी उन्हें मां कह कर पुकारते हैं।
रानी हुड्डा के बेटे की एक हादसे में मौत हो गई थी, जिससे वह डिप्रेशन में चली गईं। 39 वर्षीय रानी हुड्डा ने बताया कि अस्पताल में इलाज के दौरान कोई दूत ऐसा आया जिसने हिम्मत बंधाई और रास्ता दिखाते हुए कहा कि बेसहारा बच्चों की मदद करने से जीवन की राह आसान हो जाएगी। रानी ने उनकी बात मानते हुए अनाथ आश्रम व ब्लाइंड स्कूलों में जाकर मदद करनी शुरू कर दी। इसी दौरान एक ऐसी घटना हुई जिसने उनके जीवन की दिशा ही बदल दी। बकौल रानी, जब वह दिल्ली के एक ब्लाइंड स्कूल में गईं तो संचालक एक दृष्टिहीन बालक को चप्पल से पीट रहे थे। पूछने पर उन्होंने बताया कि वह बिना कुछ बताये स्कूल से बाहर चला गया था। संचालकों ने कहा कि इनसे सख्ती से निपटना जरूरी है। उनके रोकने पर संचालकों ने तंज कसा कि आप करके देखोगे तो आपको पता चल जाएगा।
रानी ने उसी वक्त मन में ठान लिया कि भले ही किसी भी परेशानी का सामना करना पड़े, वह दृष्टिहीन बच्चों को समर्थ बनाने के लिए कुछ करके दिखाएंगी। परिवार की आर्थिक स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं थी। पति प्राइवेट नौकरी करके गुजारा करते थे, वह स्नातक तो थीं लेकिन नौकरी नहीं करती थीं। साधन थे नहीं, राहें कठिन थी, लेकिन उन्हें भरोसा था कि वह मंजिल तक पहुंच जाएंगी। दृष्टिहीन बच्चों का स्कूल चलाने के नाम पर रिश्तेदारों ने, यहां तक कि मां-बाप ने भी साथ छोड़ दिया था, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। पति का पूरा साथ मिला और प्रयास करती रहीं। आखिरकार 30 दिसंबर 2017 को रोहतक में एक किराए के मकान में पांच बच्चों से शुरुआत कर दी। हालांकि संस्था का रजिस्ट्रेशन अप्रैल 2018 में हुआ। उन्होंने बताया कि उनसे पढ़े 10 विद्यार्थी सरकारी नौकरी में हैं और 12 प्राइवेट सेक्टर में प्रतिष्ठित पदों पर नौकरी कर रहे हैं।
रानी कहती हैं कि उन्हें खुद नहीं पता कि यह कैसे हो रहा है। उन्होंने बताया कि यहां भी किराये के मकान में स्कूल चला रही हैं। सरकार की ओर से उन्हें कोई मदद नहीं मिल रही। हालांकि संस्था में अधिकारी, सांसद और मुख्यमंत्री के ओएसडी व बड़े-बड़े समाजसेवी आ चुके हैं। लेकिन उनसे कोई मदद नहीं मिली। उन्होंने बताया कि नेक कार्य को देखते हुए धार्मिक प्रवृत्ति के लोगों ने उनकी मदद करनी शुरू कर दी, जिससे उनका हौसला बढ़ता चला गया।
आज संस्था में कोई अपने बच्चों का जन्मदिन मना रहा है, तो कोई किसी और ढंग से मदद कर रहा है। संस्था में 46 बच्चे ब्रेल लिपि की मदद से शिक्षा दीक्षा ले रहे हैं। करीब 200 दृष्टिहीन बच्चों ने दाखिले के लिए आवेदन किया हुआ है, लेकिन जगह का अभाव होने के कारण वह फिलहाल ज्यादा बच्चों को दाखिला नहीं दे पा रही हैं। किराये की जगह होने के कारण स्कूल को मान्यता नहीं मिल रही। बच्चों को सीबीएसई ओपन से 10वीं व 12वीं करवाई जा रही है। स्नातक की शिक्षा दिल्ली यूनिवर्सिटी से दिलवाई जा रही है।

गीत, संगीत से लेकर आधुनिक लैब तक

रानी बताती हैं कि बच्चों के रहने, खाने, फीस आदि तक का खर्चा संस्था द्वारा ही उठाया जाता है। कम्प्यूटर, योग, ड्राइंग, संगीत, डांस, इंग्लिश स्पीकिंग, ऑडियो लाइब्रेरी, होम साइंस के साथ स्मार्ट ऑडियो से शिक्षा दी जाती है। रानी हुड्डा ने बताया कि संस्था की आधुनिक कंप्यूटर लैब और लाइब्रेरी पूरे उत्तर भारत में अपने तरह की एकमात्र है, इसके अलावा भारत में सिर्फ दो ही जगह ऐसी लैब है। हरियाणा ब्लाइंड महिला क्रिकेट टीम में संस्था की 8 लड़कियों का चयन हुआ है, जबकि 2 का इंडिया टीम जोनल के लिए सिलेक्शन हुआ है। इस साल फुटबॉल में भी यहां के विद्यार्थियों ने ट्रॉफी जीती है। पर्सनेलिटी डेवलपमेंट व मल्टी स्किल प्रोग्राम क्लास द्वारा बच्चों को इतना सक्षम किया जा रहा है कि वह जीवन में किसी के मोहताज न रहें।

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