राखी का उपहार
अलका जैन ‘आराधना’
आज मोनू और पिंकी में फिर से झगड़ा हो गया। मोनू दस साल का है और पिंकी छह साल की। मम्मी मोनू को अक्सर समझाती हैं कि अपनी छोटी बहन से झगड़ा न किया करे। मोनू बहुत कोशिश करता है कि झगड़ा ना करे लेकिन आखिर झगड़ा हो ही जाता है।
दो दिन बाद राखी है और पिंकी को अपने भाई पर बहुत गुस्सा आ रहा है। उसने सोच लिया है कि इस बार वह अपने भाई को राखी नहीं बांधेगी। मोनू को इस बात पर गुस्सा आ जाता है कि कैरम खेलते हुए अंत तक आते-आते पिंकी सारी गोटियां तितर-बितर कर देती है। उस दिन क्रिकेट में भी यही हुआ खुद पिंकी ने तो बैटिंग कर ली और जब मोनू का नंबर आया तो बैट छोड़कर मम्मी के पास पहुंच गई।
उधर पिंकी की शिकायत है कि गोलू भैया प्यार से समझाता नहीं है। हर बात पर डांटता रहता है। यह भी नहीं समझता कि वह उसकी छोटी बहन है।
अगले दिन दोपहर में गोलू ने अपना गुल्लक तोड़ दिया और उसने रुपए गिने तो देखा कुल आठ सौ रुपए थे। वह अपने लिए नया बैट खरीदना चाहता था और पिंकी के लिए नयी डॉल। मम्मी की इजाजत लेकर वह गिफ्ट शॉप पर गया तो पता चला कि वह बोलने वाली डॉल जो पिंकी को पसंद है आठ सौ रुपए की है। मोनू को लगा कि बहन को तो राखी का उपहार देना ही चाहिए। बैट तो वह बाद में खरीद लेगा। उसने आठ सौ रुपए देकर वह बोलने वाली डॉल खरीद ली और सुंदर पेपर में पैक भी करवा ली। पिंकी की नज़र बचाकर वह गिफ्ट को अपने कमरे में ले गया और उसे अलमारी में रख दिया।
अगले दिन सुबह राखी का त्योहार था। गोलू कुर्ता पजामा पहन कर तैयार हो गया था लेकिन पिंकी का कहीं अता -पता नहीं था। मोनू ने मम्मी से पूछा तो मम्मी ने बताया कि वह जल्दी उठकर तैयार हो गई थी पर फिर पता नहीं कहां चली गई … मोनू ने उसे हर जगह ढूंढ़ा पर वह कहीं नजर नहीं आई।
उधर, पिंकी ऊपर वाले कमरे में जाकर बैठ गई थी। उसका गुस्सा अभी तक उतरा नहीं था। सोच रही थी कि इस बार मोनू भैया को राखी नहीं बांधेगी। मोनू पिंकी को ढूंढ़-ढूंढ़कर परेशान हो रहा था। थोड़ी देर बाद पिंकी भी बेचैन हो गई थी। सोचने लगी- ‘हैं तो बड़े भैया ही। राखी तो बांधनी ही चाहिए।’ फिर पिंकी धीरे से कमरे से बाहर निकली और नीचे पहुंच गई थी। मम्मी-पापा, दादी और मोनू भैया सब उसका इंतजार कर रहे थे। मोनू पिंकी से लिपटकर कहने लगा-‘कहां गई थी मेरी प्यारी बहना …अब तुझ से कभी झगड़ा नहीं करूंगा पक्का वादा…।’
पिंकी ने कहा-‘मैं भी अब कभी ऐसे नाराज़ नहीं होऊंगी।’ अब मोनू ने अपनी कलाई आगे बढ़ा दी थी और पिंकी ने एक बहुत सुंदर सी राखी अपने भैया की कलाई पर बांध दी थी। गोलू फिर दौड़कर कमरे में गया और गिफ्ट लाकर पिंकी को थमा दिया।
पापा वहीं खड़े खड़े मुस्कुरा रहे थे। पिंकी में जब पैकेट खोला तो उसमें अपनी पसंदीदा डॉल देखकर वह बहुत खुश हो गई। उसने मोनू भैया को बहुत धन्यवाद दिया।
उधर पापा भी एक पैकेट अपने हाथ में लाए थे जो उन्होंने पिंकी को थमा दिया और कहा-‘अपने भाई को रिटर्न गिफ्ट दे दो।’ मोनू ने देखा उसमें नया बैट था। फिर पापा बोले – ‘तुम भाई-बहन का प्यार ऐसे ही बना रहे। गोलू ने अपनी बहन के लिए डॉल खरीदने में गुल्लक के सारे पैसे खर्च कर दिए और बैट खरीदने की योजना आगे के लिए टाल दी। तभी पिंकी बोल पड़ी – ‘इस डॉल से हम दोनों खेलेंगे।’
मोनू ने कहा-‘और इस बैट से भी हम दोनों ही खेलेंगे।’
पिंकी ने मुस्कुराते हुए कहा-‘लेकिन भैया! आपको एक वादा करना पड़ेगा। आप मेरी चोटी कभी नहीं खींचेंगें।’
गोलू ने हंसते हुए कहा- ‘यह वादा तो मैं नहीं करूंगा…’ और गोलू धीरे से पिंकी की चुटिया खींच कर भाग गया और पिंकी उसके पीछे दौड़ पड़ी।