राग-रागनी
सत्यवीर नाहडि़या
बूँद-बूँद तै मांट भरै ज्यूँ, न्यारी इसकी आन दिखे।
बोट-बोट हो घणी कीमती, कहते बड़े सुजान दिखे।।
एक बोट तै जीत हुवै अर इक तै होज्या हार सुणो।
एक बोट तै बणती-पड़ती, देख्यी रै सरकार सुणो।
यो एक बोट का सार सुणो, हो जन-मन का मान दिखे।
बोट-बोट हो घणी कीमती कहते बड़े सुजान दिखे।।
ताकत होवै सै बोटर की, उसकी साच्ची बोट सदा।
सभकी सुणकै चोट करै वो, काढ़ बगावै खोट सदा।
परबत बरगी ओट सदा, बोटर न्यूँ भगवान दिखे।
बोट-बोट हो घणी कीमती कहते बड़े सुजान दिखे।।
मान हुवै जनमत का हरदम, फरज निभाणा हो सै।
जंता आळा सदा फैसला,मात्थै लाणा हो सै।
जनमत मान बढ़ाणा हो सै,रखणा हो न्यूँ ध्यान दिखे।
बोट-बोट हो घणी कीमती, कहते बड़े सुजान दिखे।।
नये दौर म्हं दारू-दप्पड़ अर नोट बगावण लाग्ये।
'नोट-बोट' का गठजोड़ा कर,नीत डिगावण लाग्ये।
कह 'नाहड़िया' खावण लाग्ये,कुछ तै बेच इमान दिखे।
बोट-बोट हो घणी कीमती, कहते बड़े सुजान दिखे।।