परमाणु साजिश रोकने को बॉर्डर पर लगेंगे रेडिएशन जांच उपकरण
नयी दिल्ली, 15 अक्तूबर (एजेंसी)
परमाणु साजिश को रोकने के लिए सीमाओं पर रेडिएशन जांच उपकरण (आरडीई) लगाए जाएंगे। माना जाता है कि सरकार ने इसे स्थापित करने में अमेरिका सहित कुछ विदेशी एजेंसियों से तकनीकी मदद ली है।
मिली जानकारी के मुताबिक रेडियोधर्मी सामग्री की तस्करी को रोकने के लिए पाकिस्तान, बांग्लादेश, म्यांमार और नेपाल की सीमा पर जल्द ही ये विकिरण जांच उपकरण लगाए जाएंगे, ताकि परमाणु यंत्र बनाने में इसके संभावित इस्तेमाल पर लगाम लगाई जा सके। अधिकारियों ने बताया कि आरडीई को एकीकृत जांच चौकी (आईसीपी) और भूमि पारगमन स्थल पर लगाया जाएगा। यह अटारी (पाकिस्तान सीमा), पेट्रापोल, अगरतला, डावकी और सुतारकांडी (बांग्लादेश सीमा पर), रक्सौल और जोगबनी (नेपाल) और मोरेह (म्यांमा सीमा) पर लगाए जाएंगे। घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले एक अधिकारी ने कहा कि सरकार ने विकिरण जांच उपकरणों की आपूर्ति, स्थापना और रखरखाव के लिए कार्य आदेश पिछले साल हुए एक समझौते के माध्यम से प्रदान कर दिया था और संबंधित विक्रेता जल्द ही इसकी आपूर्ति करेगा और इन्हें लगाने का काम पूरा होगा। केंद्र सरकार ने आरडीई स्थापित करने की पहल इसलिए की है ताकि अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं से रेडियोधर्मी सामग्रियों की तस्करी पर रोक लगाई जा सके। आठ आईसीपी से बड़ी संख्या में लोगों और सामानों की आवाजाही होती है। एक अन्य अधिकारी ने बताया कि रेडियोधर्मी सामग्री की तस्करी भारत की सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक चुनौती हो सकती है क्योंकि इसका उपयोग परमाणु उपकरण या रेडियोलॉजिकल प्रसार उपकरण बनाने के लिए किया जा सकता है।
अलार्म से करेगा अलर्ट : अधिकारी ने कहा कि संदिग्ध वस्तु होने की स्थिति में आरडीई अलार्म बजने और वीडियो फ्रेम तैयार करने से सुसज्जित है। इसमें विशेष परमाणु सामग्री और उर्वरक में प्राकृतिक रूप से होने वाले विकिरण के बीच अंतर करने की क्षमता भी होगी। आरडीई ट्रकों और उनमें लदे सामान की निगरानी करेगा। पाकिस्तान के साथ संबंधों में मौजूदा खटास के कारण अटारी आईसीपी के माध्यम से लोगों और सामानों की आवाजाही में भारी कमी आई है, लेकिन अन्य आईसीपी पर काफी आवाजाही है। आईसीपी पर तैनात सुरक्षा एजेंसियां सीमा पार सामान की आवाजाही की निगरानी के लिए आरडीई का उपयोग कर सकती हैं।
भारत-नेपाल सीमा पर बढ़ी चावल की तस्करी
महाराजगंज : भारत-नेपाल सीमा पर स्थित गांवों और कस्बों में इन दिनों चावल की तस्करी बढ़ गयी है। यह तस्करी निर्यात पर प्रतिबंध के बाद ज्यादा होने लगी है। सीमा पर चौकसी बढ़ने के बाद हर दिन अनेक लोग चावल तस्करी करते पकड़े जा रहे हैं। स्थानीय अधिकारियों ने कहा कि चावल की तस्करी में शामिल ग्रामीण नेपाल में अनाज ले जाने के लिए साइकिल या मोटरसाइकिल जैसे छोटे वाहनों का इस्तेमाल करते हैं। आरोप है कि नेपाली व्यापारियों द्वारा सीमा पार स्थापित गोदामों में एक क्विंटल चावल पहुंचाने के लिए उन्हें 300 रुपये तक का भुगतान किया जाता है। इस संबंध में पुलिस एवं जांच एजेंसियों को अलर्ट किया गया है।