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पश्चिम बंगाल में रेपिस्ट को फांसी व उम्रकैद का प्रावधान

07:03 AM Sep 04, 2024 IST

कोलकाता, 3 सितंबर (एजेंसी)
पश्चिम बंगाल विधानसभा ने विपक्ष के पूर्ण समर्थन के साथ राज्य का बलात्कार रोधी विधेयक सर्वसम्मति से मंगलवार को पारित कर दिया। बहरहाल, सदन ने विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी द्वारा विधेयक में प्रस्तावित संशोधन स्वीकार नहीं किए।
विधेयक के मसौदे में बलात्कार पीड़िता की मौत होने या उसके स्थायी रूप से अचेत अवस्था में चले जाने की सूरत में ऐसे दोषियों के लिए मृत्युदंड के प्रावधान का प्रस्ताव किया गया है। प्रस्ताव किया गया है कि दोषी को आजीवन कारावास की सजा दी जाए, और उन्हें पेरोल की सुविधा न दी जाए। ‘अपराजिता महिला एवं बाल विधेयक’ शीर्षक वाले इस प्रस्तावित कानून का उद्देश्य महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा मजबूत करना है। कोलकाता के सरकारी आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में पिछले महीने एक चिकित्सक के साथ कथित बलात्कार और हत्या की घटना के बाद विधानसभा का दो दिवसीय विशेष सत्र बुलाया गया। विधेयक मंजूरी के लिए पहले राज्यपाल्ा, फिर राष्ट्रपति के पास जायेगा और कानून बनेगा।

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ममता ने पीएम और गृह मंत्री का मांगा

इस्तीफा पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और उन सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों का इस्तीफा मांगा, जो ‘महिलाओं की रक्षा के लिए प्रभावी कानून लागू नहीं कर पाए हैं।’ नारेबाजी के बीच मुख्यमंत्री ने कहा कि विपक्ष राज्यपाल से कहे कि वह बिना किसी देरी के इस विधेयक पर हस्ताक्षर करें। फोटो -प्रेट्र

अस्पताल सुरक्षा में सहयोग नहीं कर रही ममता सरकार : केंद्र

नयी दिल्ली : केंद्र ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल सरकार आरजी कर अस्पताल में सुरक्षा के लिए सीआईएसएफ को साजो-सामान मुहैया करने में ‘अक्षम्य’ असहयोग कर रही है। सीआईएसएफ को कोलकाता के अस्पताल की सुरक्षा का जिम्मा सौंपा गया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पश्चिम बंगाल के अधिकारियों को सीआईएसएफ का पूर्ण सहयोग करने का निर्देश देने का अनुरोध किया है।

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केंद्र के पॉक्सो कानून से अंतर

* यौन शोषण में सजा : पश्चिम बंगाल में नये प्रावधान के तहत यौन शोषण के लिए न्यूनतम सजा 3 से बढ़ाकर 7 साल कर दी गई है जो 10 साल तक हो सकती है। पॉक्सो में यह सजा कम से कम 3 साल की है जिसे पांच साल भी किया जा सकता है। उधर, गंभीर यौन शोषण के लिए न्यूनतम सजा 5 से बढ़ाकर 7 साल की गयी है। पॉक्सो में भी यही प्रावधान है।
* साक्ष्यों की रिकॉर्डिंग : राज्य के विधेयक के अनुसार बच्चे के साक्ष्यों को 7 दिन के भीतर रिकॉर्ड किया जाएगा, जबकि पॉक्सो में 30 दिन की समय सीमा है।
* मुकदमे की प्रक्रिया : पश्चिम बंगाल के नए विधेयक के तहत विशेष अदालत को मुकदमा 30 दिन के भीतर समाप्त करना होगा। पॉक्सो में यह सीमा एक साल तक है।
* पीड़िता की मौत या कोमा में जाने पर : पश्चिम बंगाल के विधेयक में उम्रकैद एवं मौत की सजा का प्रावधान। पॉक्सो में 20 साल की कठोर सजा से लेकर सजा ए मौत तक का प्रावधान।

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