For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.

बेमौसमी बारिश से फसलों की रक्षा

07:13 AM Mar 18, 2024 IST
बेमौसमी बारिश से फसलों की रक्षा
Advertisement

जन संसद की राय है कि मौसम के मिजाज में आए बदलाव से किसानों को बड़ी कीमत चुकानी पड़ रही है। अब समय आ गया है कि प्रकृति व मानव के रिश्तों में सामंजस्य स्थापित हो। साथ ही वैकल्पिक फसलों के जरिये चुनौती का मुकाबला किया जाए।

पुरस्कृत पत्र

बचाव के विकल्प

हाल ही में हुई बेमौसमी बारिश से खेतों में खड़ी फसलों को हुए नुकसान से बचाव के लिए कृषि विशेषज्ञों की सलाह है कि खेतों में जमा हुए पानी की निकासी की व्यवस्था उच्च प्राथमिकता पर रखी जाए। पानी सोखने के लिए खेतों में प्रति एकड़ चार-पांच बैग जिप्सम के जरूर डालें। उद्यानिक फसलों में, आम की मंजरियों को काला होने से बचाने हेतु हेक्साकोनाज़ोल नामक दवाई की एक मिलीलीटर मात्रा प्रति एक लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। इसके अतिरिक्त किसानों को चाहिए कि पानी व हवा से बचाव के लिए सब्जियों और फूलों की खेती पोली हाउस में करें। मौसम के कहर से हुए नुकसान की आंशिक पूर्ति के लिए मधुमक्खी पालन के विकल्प को भी आज़माया जा सकता है।
ईश्वर चन्द गर्ग, कैथल

Advertisement

गंभीर प्रयास हों

बेमौसमी बारिश व ओलावृष्टि से किसानों की फसल बर्बाद हो रही है। ग्लोबल वार्मिंग का संकट अब खेतों तक दस्तक देने लगा है। जलवायु परिवर्तन से उपजे संकट से मुकाबले के लिए सरकार को गंभीर प्रयास करने की जरूरत है। नई चुनौती से मुकाबले के लिए व्यापक तैयारी करनी होगी। किसानों को प्रेरित करना होगा कि वह ऐसी फसलों का चुनाव करें जो मौसम के तीव्रता का सामना कर सके। देश के खाद्य सुरक्षा को सुरक्षित बनाने के लिए यह नितांत जरूरी है। अन्यथा घाटे का सौदा बनती खेती से किसान का मोहभंग होते देर नहीं लगेगी।
पूनम कश्यप, नयी दिल्ली

प्रकृति में संतुलन हो

Advertisement

बेमौसमी बारिश होने से किसानों की फसलों का भारी नुकसान हो जाता है। लगातार बढ़ता जा रहा ग्लोबल वार्मिंग का संकट बेमौसमी बारिश होने का एक मुख्य कारण है। बेमौसमी बारिश से फसलों का बचाव करने के लिए जरूरी है कि धरती को ग्लोबल वार्मिंग के खतरे से बचाया जाये। यह भी जरूरी है कि प्रकृति से छेड़छाड़ न की जाए। सभी को मिलकर प्रकृति के संतुलन को ठीक करने के लिए प्रयास करना होगा। निश्िचत रूप से बेमौसमी बारिश एक बहुत बड़ी चुनौती है जिसका मुकाबला करने के लिए व्यापक स्तर पर तैयारी की जानी चाहिए।
सतीश शर्मा, माजरा

पर्यावरण संरक्षण हो

विकास की अंधी दौड़ में मनुष्य न केवल नैतिक मूल्य भूल रहा है अपितु पर्यावरण के साथ भी खिलवाड़ करने से नहीं चूक रहा। बेमौसमी बारिश का कारण प्रदूषण के साथ-साथ प्रकृति का जरूरत से ज्यादा दोहन है। जरूरी है बेमौसमी बारिश से फसलों की रक्षा के लिए पर्यावरण संरक्षण की ओर बढ़कर अधिक से अधिक पौधारोपण किया जाए। परंपरागत खेती को अपनाएं। ईंधन द्वारा संचालित संसाधनों पर नियंत्रण किया जाए। पहाड़ों पर अनावश्यक छेड़छाड़ न हो। साइकिल प्रयोग पर जोर देकर हम पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचा सकते हैं।
अशोक कुमार वर्मा, कुरुक्षेत्र

प्राकृतिक संसाधन बचाएं

आज बेमौसमी बारिश जैसी आफत के लिए इंसान स्वयं जिम्मेदार है। मानव द्वारा जमीन को खोखला करना, बड़ी-बड़ी कंपनिया स्थापित करना, जो प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण है। वृक्षों को काटकर बड़े-बड़े हाईवे बनाना और देश के उपभोक्तावाद के लिए नये-नये आविष्कार करना। यही कारण है बेमौसमी बारिश आज हमारी फसलों का नुक़सान कर रही है। आने वाले समय में हमें खाद्यान संकट से जूझना पड़ सकता है। याद रखें कि किसी भी तकनीक का इस्तेमाल जितना फायदेमंद है उतना ही नुकसानदायक भी है। बेमौसमी बारिश से फसलों को बचाने के लिए हमें प्राकृतिक संसाधनों को बचाना होगा।
सतपाल, कुरुक्षेत्र

फसल चक्र सुधारें

जिस बेमौसमी बारिश से खेती को सबसे ज्यादा नुकसान होता है वो असल में फ़रवरी-मार्च का एक मौसम बन चुकी है। कारण ग्लोबल वार्मिंग जिसे रोकने में हम सहयोग तो कर सकते हैं लेकिन अकेले रोक नहीं सकते। इसलिए उपाय ढूंढ़ने होंगे। जैसे कृत्रिम बारिश की तरह बेमौसमी बारिश रोकने की तकनीक खोजना। खेतों से बारिश के पानी की त्वरित निकासी की व्यवस्था करना। ऐसी फसलों का चयन करना जो बेमौसमी बारिश वाले संभावित मौसम से पहले या कुछ समय बाद तैयार हों। फसलों की ऐसी किस्में तैयार करना जो मौसम की मार झेल सकें और किसी भी मौसम में भरपूर उपज दे सके।
बृजेश माथुर, गाजियाबाद, उ.प्र.

Advertisement
Advertisement
Advertisement
×