सरकार की प्राथमिकताएं और मुश्किलें
सहमति की नीति
शामलाल कौशल, रोहतक
बहुमत की कसक
नयी राजग सरकार की प्राथमिकताओं में सबसे पहले ‘तीसरे कार्यकाल में बड़े फैसलों के लिए तैयार रहने’ के साथ-साथ गठबंधन सरकार में शामिल सभी घटक दलों को हर स्थिति में अपने साथ रखने की होगी। इस बार अपने ही सहयोगी दलों की मुद्दों पर भिन्न राय तथा मजबूत विपक्ष के चलते ऐसा होना सबसे बड़ी चुनौती होगी। वहीं सहयोगी दलों द्वारा अपने अपने राज्य या क्षेत्रों में किये वादों को पूरा करने तथा भाजपा सांसदों की नाराजगी के बावजूद गठबंधन सहयोगियों को मनपसंद मंत्रालय व विभाग देने व भाजपा को पूर्ण बहुमत आदि की चुनौतियां भी कम नहीं होंगी।
राजकुमार कश्यप, राजौंद
धैर्य जरूरी
राजेश कुमार चौहान, जालंधर
चुनौतीपूर्ण स्थिति
केंद्र में एनडीए सरकार ने प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में अपनी प्राथमिकताओं को पूर्ण करने का संकल्प दोहराया है। लेकिन 2024 में बनी सरकार के पास पूर्ण बहुमत भाजपा के पास नहीं है। अतः एनडीए के सहयोगी दलों का समर्थन प्राप्त करके सरकार का गठन किया गया है। भाजपा के लिए दलों को साध कर रखना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। यह अग्नि परीक्षा की घड़ी है। उधर इंडिया गठबंधन भी सरकार को अस्थिर करने का कोई अवसर हाथ से गंवाना नहीं चाहेगा। इस प्रकार दोहरी चुनौतियों से जूझते हुए सरकार को अपनी नीतियों को लागू करने हेतु संकल्प शक्ति एवं कूटनीति के साथ आगे बढ़ना होगा।
ललित महालकरी, इंदौर, म.प्र.
छोटे दलों की भूमिका
देश में तीन-चार दशक पूर्व के राजनीतिक हालात आज फिर बनते दिखे हैं। गठबंधन सरकार की तब भी मजबूरी थी और किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत के अभाव में आज भी। भाजपा नीत गठबंधन सरकार के सत्ता में आने के बाद पिछले 10 सालों के हालात बदलेंगे। पहले बहुमत वाली सरकार खुद फैसला लेने में सक्षम थी जो अब उसे सहयोगियों की सहमति पर निर्भर रहना पड़ेगा। इस गठबंधन का एक फायदा यही होगा कि इससे राष्ट्रीय राजनीति और लोकतंत्र में छोटे दलों को भी प्रतिनिधित्व मिलेगा। समय की मांग है कि सरकार अपने सहयोगियों के साथ चले। छोटे दल भी लक्ष्मण रेखा न लांघें और राष्ट्रहित के सर्वोपरि मुद्दे पर सरकार को समर्थन देते रहें।
अमृतलाल मारू, इंदौर, म.प्र.
मजबूत विपक्ष से सामना
जयभगवान भारद्वाज, नाहड़