अहिंसा की शक्ति
07:51 AM Jan 22, 2024 IST
कलिंग युद्ध के पश्चात अशोक आत्मग्लानि में डूब गया था। अशोक ने बौद्ध धर्म के सिद्धांतों पर चलने का निर्णय लिया और अपनी पुत्री संघमित्रा को श्रीलंका में बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए भेज दिया। संघमित्रा दिल से अहिंसा परमोधर्म की नीति पर चलते हुए बौद्ध धर्म की शिक्षाओं द्वारा लोगों के दिलों में उतरने लगी। एक तरफ उनके अनुयायी बढ़ रहे थे तो दूसरी ओर शत्रु भी कम नहीं थे। उन्हीं शत्रुओं में तपन नामक युवक संघमित्रा को जान से मारने के इरादे से उसका पीछा करते हुए एक रात उनकी कुटिया में जा पहुंचा। उसने देखा कि वह लालटेन की रोशनी में अपनी घायल गाय के पांव को धोकर, उस पर पत्तों का लेप लगाकर कपड़ा बांध रही थी। उसका हृदय इतना द्रवित हुआ कि वह संघमित्रा के पैरों में जा गिरा। संघमित्रा ने उसे क्षमा करते हुए अपने संघ में शामिल कर लिया।
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प्रस्तुति : अक्षिता तिवारी
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