सत्ता के सौदागर
तीन जुलाई के दैनिक ट्रिब्यून में राजकुमार सिंह का लेख ‘पंजाब : सत्ता केंद्रित अवसरवादी राजनीति’ पूरी तरह पंजाब में होने वाले विधानसभा चुनाव को केन्द्र में रखकर लिखा गया है। हर दल आकाश कुसुम तोड़कर जनता की झोली में डाल देने का प्रलोभन दे रहा है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह और भाजपा से कांग्रेस में आये नवजोत सिंह सिद्धू के बीच की टसल तेज है। आलाकमान की अदालत में सिद्धू की निर्बाध एंट्री और अमरेंद्र सिंह का खाली हाथ लौटा दिया जाना भी चुनावी राजनीति का एक संकेत ही माना जायेगा। किसान आन्दोलन को दिल्ली के रास्ते में डालकर कैप्टन ने केन्द्र सरकार को मुश्किल में तो डाला ही है। अब अवसरवादी राजनीति करके जनता को दिग्भ्रमित कर रहे हैं। लेखक का मानना है की किसान आन्दोलन में समस्या के हल की पहल पंजाब की तरफ से होनी चाहिए। कुल मिलाकर पंजाब की राजनीति में चुनाव से पहले सत्ता पाने की होड़ में राजनेता मशगूल हो गये हैं। आलेख का सवाल शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल से भी है कि जनता ने दस साल तक जिसे सिर-माथे बैठाया था, वह पार्टी अन्ततः जनता का विश्वास क्यों नहीं जीत पायी? त्रासदी यह भी है कि भाजपा के पास ऐसा सिख चेहरा नहीं है जो सबको स्वीकार्य हो। अतः पंजाब में अनिश्चितता की स्थिति है। गहन विश्लेषण के लिए साधुवाद!
मीरा गौतम, जीरकपुर
अंकुश लगाये सरकार
महिलाओं के प्रति यौन अपराध के बढ़ते मामलों में इंटरनेट की भूमिका अहम है। इंटरनेट पर अश्लीलता परोसी जा रही है। आधुनिक समय में इंटरनेट हर वर्ग के युवा, महिलाएं और युवतियां इस्तेमाल कर रही हैं। इंटरनेट पर परोसी जाने वाली अश्लील वेबसाइटों को बंद करना सरकार के लिए मुश्किल है, असंभव नहीं। देश में बढ़ रहे यौन शोषण के मामले सभ्य समाज के लिए खतरनाक हैं। सरकार को इंटरनेट पर परोसी जा रही अश्लीलता पर सख्त कदम उठाने की जरूरत है।
कांतिलाल मांडोत, सूरत