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जनसंख्या नियंत्रण की नीति

01:15 PM Aug 02, 2021 IST
जनसंख्या नियंत्रण की नीति
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कल्याणकारी हो नीति

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जनसंख्या नियंत्रण नीति जाति, धर्म, मजहब, समुदाय से ऊपर उठकर सब पर समान दृष्टि से लागू हो ताकि समस्त जनता सहर्ष स्वीकार कर सके। नीति ऐसी होनी चाहिए, जिसमें प्रत्येक बच्चे को शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार की गारंटी, बुजुर्गों व महिलाओं की सुरक्षा निश्चित हो। यदि नई जनसंख्या नियंत्रण नीति में यह सब होगा तो उसे मानने से कोई इनकार नहीं करेगा। वहीं सख्त नियम बनाए जाएं कि किसी भी धर्म का व्यक्ति हो, वह एक ही शादी करेगा। दूसरी शादी करने का प्रावधान तब हो जब तलाक या पहली पत्नी का देहांत हो गया हो।

दलबीर मलिक, कुरुक्षेत्र

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समृद्धि की राह

देश में बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी, गरीबी, चरमराती कानून व्यवस्था, उत्तरोत्तर बढ़ती आर्थिक मंदी जनसंख्या वृद्धि का ही परिणाम है। सरकार को परिवार नियोजन संबंधी ठोस नीति जाति, समुदाय की संकीर्ण भावना से ऊपर उठकर लागू करने की आवश्यकता है। दो से अधिक बच्चों के बाद सरकारी नौकरी, चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य, किसी प्रकार की बैंक सब्सिडी, सरकारी आर्थिक मदद बंद कर दी जाये। आर्थिक तंत्र की मजबूती खुशहाल राष्ट्र की रीढ़ है न कि बढ़ती आबादी।

अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल


सुविधाओं से वंचित हों

देश निरन्तर विकास के पथ पर अग्रसर है परन्तु जनसंख्या विस्फोट इसके मार्ग में सबसे बड़ा, अवरोधक है। यद्यपि समाज का प्रबुद्ध वर्ग साधन-सम्पन्न होते हुए भी सीमित परिवार प्रणाली पर अमल कर रहा है लेकिन अनेक वर्ग ऐसे हैं, जिनको समझाने के बावजूद उनके कान पर जूं तक नहीं रेंगती। हालांकि, सरकार की ओर से अनेक स्कीमों के तहत खुलकर मदद भी की जा रही है। इस समस्या का प्रभावशाली उपाय यही है कि देश में समान संहिता लागू की जाए तथा जो परिवार नियोजन सीमा का उल्लंघन करे, उसे सरकारी सुविधाओं से वंचित कर दिया जाए।

एम.एल. शर्मा, कुरुक्षेत्र


संसाधनों पर संकट

जनसंख्या में वृद्धि देश की एक ज्वलंत समस्या है। जनसंख्या वृद्धि में संतुलन बनाए रखने के लिए परिवार कल्याण कार्यक्रम के तहत देशभर में कठोर कानून की आवश्यकता है जिसे पूरे देश में समान रूप से लागू किया जा सके। सामाजिक स्तर पर लोगों को सीमित परिवार के संबंध में जागरूक करने की आवश्यकता है। जनसंख्या वृद्धि के कारण देश के संसाधनों पर सीधा असर पड़ता है। स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवनस्तर को जनसंख्या वृद्धि सीधे तौर पर प्रभावित करती है। ‘एक दंपति दो संतान’ का कानून देशभर में लागू किया जाना उचित होगा।

ललित महालकरी, इंदौर


जागरूक करें

हमारे पास भूमि, जल, जंगल, खनिज आदि संसाधन सीमित मात्रा में हैं। जनसंख्या विस्फोट इन संसाधनों पर संकट पैदा कर रहा है। भावी पीढ़ियों के भविष्य और वर्तमान में हमारे हित में जनसंख्या नियंत्रण जरूरी है। इसे राजनीतिक व साम्प्रदायिक चश्मे से न देखा जाए बल्कि इसे राष्ट्रहित के मुद्दे के रूप में लिया जाए। कानून बनाने के साथ-साथ जनता को इस गम्भीर समस्या के प्रति जागरूक किया जाना आवश्यक है। हमें समझना चाहिए कि जनसंख्या वृद्धि और गरीबी का चोली-दामन का साथ है। जहां-जहां शिक्षा का प्रसार हुआ है वहां जनसंख्या वृद्धि की दर कम रही है। अतः जनता और विशेषकर महिलाओं को शिक्षित करने का जोरदार प्रयास किया जाना चाहिए।

शेर सिंह, हिसार


प्रोत्साहन नीति

सीमित संसाधनों पर बढ़ता आबादी का बोझ संकट पैदा कर रहा है। बेहतर जीवन परिस्थितियों के लिए जनसंख्या नियंत्रण और शैक्षिक स्तर ऊंचा करने की जरूरत है। जनसंख्या नीति में उन प्रावधानों का स्वागत किया जाना चाहिए, जिसमें सरकारी कर्मचारियों को परिवार नियोजन अपनाने पर पदोन्नति, विशेष इंक्रीमेंट, मकानों में सब्सिडी, सस्ता लोन देने की योजनाएं हों। आम आदमी को परिवार नियोजन अपनाने पर बिजली-पानी के बिलों में रियायत दी जा सकती है। सरकारी योजनाओं का लाभ भी उन्हीं जनमानस को मिले जो जनसंख्या नियंत्रण के लिए परिवार नियोजन को अपनाएं।

पूनम कश्यप, बहादुरगढ़


पुरस्कृत पत्र

केंद्र करे पहल

वोट बैंक खराब न हो इसलिए कोई भी सरकार जनसंख्या नियंत्रण करने के लिए गम्भीर नजर नहीं आती। जिन दो राज्यों ने जनसंख्या पर काबू पाने के लिए मसौदा तैयार किया है वह अभी आधा-अधूरा ही कहा जाएगा क्योंकि बढ़ती जनसंख्या किसी राज्य की नहीं, राष्ट्र की समस्या है। इस विषय पर प्रभावी कानून केन्द्र सरकार द्वारा बनाया जाना चाहिए। सर्वप्रथम तो संसद, विधायकों और संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों एवं अन्य जनप्रतिनिधियों पर नियम लागू होना चाहिए। कानून ऐसा बनाया जाए कि आम नागरिक यह न सोचे कि यह कानून केवल आम लोगों के लिए है।

जगदीश श्योराण, हिसार

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