काव्य गोष्ठी : देश मेरे को सशक्त करो चाहे मुझे शहीद करो...
भिवानी, 17 अक्तूबर (हप्र)
अखिल भारतीय साहित्य परिषद की भिवानी इकाई की ओर से महर्षि वाल्मीकि जयंती के उपलक्ष्य में काव्य गोष्ठी का आयोजन हनुमान गेट स्थित भारत शिक्षा सदन के प्रांगण में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता परिषद की भिवानी इकाई के अध्यक्ष डॉ. महेंद्र सिंह सागर और ज्ञानेंद्र सिंह तेवतिया ने की। मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. एवी शर्मा तथा डॉ. अलका शर्मा ने कार्यक्रम में शिरकत की। गोष्ठी का संचालन विनोद आचार्य ने किया।
काव्य गोष्ठी का आरंभ गीतकार डॉ. विकास यशकीर्ति द्वारा सरस्वती वंदना से हुआ। इस दौरान पुष्पलता आर्य ने भगवान कृष्ण को याद करते हुए प्रस्तुति दी, छा गया है घना तिमिर केशव धमनियों में जमा रुधिर केशव।
हरियाणवी हास्य के सशक्त हस्ताक्षर डॉ. वीएम बेचैन की रचना, कोए ऐंडी सै तो रही जावैगा, भगवान थोड़ी सै, सब बंदर सै, कोए हनुमान थोड़ी सै के द्वारा सब को आह्लादित किया। युवा शायर विकास नसीब की गजलों में एक प्रेमी दिल का दर्द कुछ यूं झलका, जख्मी शायर के वजीफे नसीब इश्क से लिए हैं मैंने।
अनिल शर्मा वत्स के हरियाणवी गीत, पी कै जहर खामेखा का बिन मौत नहीं मारना था। बदनामी तै डर लागै तो प्यार नहीं तो करना था, से युवाओं को सार्थक संदेश दिया है। ओज के युवा हस्ताक्षर विकास कायत ने देशभक्ति से ओत-प्रोत कविता से सभा में जोश भर दिया। उन्होंने कहा कि राष्ट्र भक्ति के नारों से भीतों को लिप्त कर दो, देश मेरे को सशक्त करो चाहे मुझे शहीद करो..। रोहतक से पधारे कवि धर्मवीर खरकिया मुसाफिर ने कविता की शक्ति को बताते हुए कहा कि कविता वह है जो कायर में प्राणों का संचार करें। राष्ट्रीय यज्ञ में समिधा हेतु जन-जन को तैयार करें। डॉ. महेश कौशिक ने अपनी कविता के माध्यम से खुद की खुदाई को याद करते हुए कहा कि वही चांद तारे वही आसमां हैं, खुदा की खुदाई छुपती कहां है।