मुख्य समाचारदेशविदेशखेलपेरिस ओलंपिकबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाबहरियाणाआस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकी रायफीचर
Advertisement

संस्कृति और प्रकृति की कविताएं

08:19 AM Oct 20, 2024 IST

पुस्तक : नज़मगाह (नज्मां दी मजलिस) लेखक : जसवीर सिंह ‘शायर’ प्रकाशक : सहज पब्लिकेशन समाना पृष्ठ : 103 मूल्य : रु. 150.

Advertisement

सुरजीत सिंह

पंजाबी लेखक जसवीर सिंह ‘शायर’ का कविता संग्रह ‘नज़मगाह’ में 69 कविताएं संकलित हैं, जो मुख्यतः परिवेश जनित मानसिकता से उपजी हैं। यह संग्रह दर्शाता है कि कैसे लेखक का लेखन उसके सामाजिक और सांस्कृतिक वातावरण से प्रभावित होता है। संग्रह की शुरुआत ‘बोल मर्दानिआ’ कविता से होती है, जिसमें गुरु नानक देव जी की आराधना की गई है। इस कविता में मानववादी और नारीवादी संदेश स्पष्ट रूप से व्यक्त होते हैं।
कविताएं धार्मिकता और प्रकृति के गहरे प्रभाव को दर्शाती हैं, और इनमें कहीं-कहीं रहस्यात्मकता भी देखने को मिलती है। उदाहरण के लिए, समूचे ब्रह्मांड की आरती का उल्लेख और आकाश-पाताल का रहस्यात्मक वर्णन पाठक को गहराई से सोचने पर मजबूर करता है। इस संग्रह में गुरु नानक जी की वाणी का प्रभाव साफ दिखाई देता है। कविताएं छंदबद्ध न होते हुए भी लय और प्रवाह का अनुभव कराती हैं, जिससे वे और अधिक आकर्षक बनती हैं।
‘जिंद वार दियां’ और ‘खिड़िआ मैं वेखां किते’ जैसी कविताएं लेखक के अपने पैतृक गांव और पंजाब के प्रति गहरी मोहब्बत को प्रकट करती हैं। ‘नी इक चुप्प जिही सी वरती’ कविता में गीतात्मकता की खूबसूरती स्पष्ट रूप से नजर आती है, जबकि ‘रजा है रब्ब दी’ कविता गहरे अर्थों को छूती है।
संग्रह में प्रयुक्त प्रौढ़ पंजाबी शब्दावली इसे और अधिक गहराई देती है। विभिन्न विचारधाराओं की झलक पाठकों को तन्मयता से पढ़ने पर प्रेरित करती है। कुल मिलाकर, जसवीर सिंह ‘शायर’ का यह कविता संग्रह न केवल रुचिकर है, बल्कि यह पाठकों को एक नई दृष्टि और अनुभव प्रदान करता है।

Advertisement
Advertisement