महत्वाकांक्षाओं का मंच
26 जून के दैनिक ट्रिब्यून में प्रकाशित राजकुमार सिंह के लेख ‘सत्ता महत्वाकांक्षाओं का राष्ट्र मंच’ में स्पष्ट है कि विशेष रूप से भाजपा के ख़िलाफ़ इकट्ठा होने वाला विपक्षियों का जमावड़ा आपसी दांवपेचों के चलते एकजुट होता नहीं दिख रहा है। बैठक में महत्वपूर्ण दलों की गैर-हाज़िरी से स्पष्ट है कि महागठबंधन कहें या राष्ट्र मंच, रहेंगे ढाक के तीन पात ही। इनमें दलीय मतभेदों से सब वाकिफ़ हैं। इसमें कांग्रेस के बड़े नेता तक न जुटे और बहाने बना दिये। महाराष्ट्र का विकास अघाड़ी मंच पांच साल के स्थायित्व का दावा कर रहा है परन्तु उद्धव ठाकरे और मोदी की मुलाकात ने साथी दलों के कान तो खड़े कर ही दिये हैं। नब्बे के आंकड़ों को छूते बुज़ुर्ग सत्ता के हसीन सपने देख रहे हैं जबकि भाजपा के सामने उत्तर प्रदेश के भावी चुनाव बड़ी चुनौती है। नवीन पटनायक जैसे शांत नेता राष्ट्रीय राजनीति में आने के इच्छुक नहीं। इस महाक़वायद का परिणाम समय के गर्भ में है। गंभीर विश्लेषण के लिए साधुवाद!
मीरा गौतम, जीरकपुर
अच्छी पहल
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हमारे देश में 26 जून को अंतर्राष्ट्रीय नशाखोरी दिवस मनाया गया। जनता को नशीली दवाओं के उपयोग के नुकसान और बुरे प्रभावों के बारे में जागरूक करने के लिए यह एक अच्छी पहल है। नशीली दवाओं का सेवन एक बीमारी की तरह है। चिट्टा नामक नशा हर जगह आसानी से उपलब्ध है, जो कि बहुत खतरनाक है। यहां तक कि किशोर भी उसके चंगुल में फंस गये हैं। सरकार और प्रशासन ने अपराधियों को पकड़ने के लिए एक विशेष अभियान शुरू किया है लेकिन अधिकतर छोटी मछलियां ही पकड़ी जाती हैं जबकि बड़ी मछलियां साफ बच निकलती हैं।
नरेंद्र शर्मा, भुजडू, जोगिंदरनगर