पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्धन में दादा-पोता वाटिका अभियान में किया पौधरोपण
नरवाना, 6 अक्तूबर (निस)
पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्धन में दादा पोता वाटिका अभियान में पौधरोपण किया गया। भारतीय वैदिक संस्कृति में आदिकाल से पर्वों एवं उत्सवों का प्रकृति एवं पर्यावरण से गहरा संबंध रहा है। यज्ञ-हवन का आयोजन गांव में जयपाल सिंह आर्य ने किया गया। इस अवसर पर बताया गया है नवरात्रि कल में शरद ऋतु के आगमन पर आहार एवं व्यवहार सुचिता के लिए उपवास का विशेष महत्व है।
शुद्ध सात्विक अल्प आहार से शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक एवं आध्यात्मिक उन्नति के साथ सहनशीलता एवं संयम की भावना पलवित एवं पुष्पित होती है। शास्त्रोक्त आहार शुचिता से शारीरिक,मानसिक बौद्धिक आध्यात्मिक एवं धार्मिक शुचिता होती है। इस काल में शक्ति के शास्त्र विद्या और ज्ञान और विज्ञान के स्रोत शास्त्रों के अध्ययन से व्यक्ति परिवार और समाज के सर्वांगीण विकास में अहम योगदान रहा है।
संसार में ज्ञान -विज्ञान और शक्ति की ही पूजा उपासना आराधना की जाती है। इसके लिए पर्यावरण की शुचिता एवं पवित्रता के लिए समय-समय पर पौधरोपण एवं संरक्षण करने का सर्वहितकारी सिद्धांत रहा है। इसी परंपरा में अंतर्गत दादा-पोता वाटिका कार्यक्रम के अंतर्गत पारिजात, लालटेनिया, कढ़ी पत्ता, बेलपत्र, सहजन इत्यादि औषधीय पौधों का प्रत्यारोपण किया गया। इसमें सहयोग अरविंद, नरेश, युवी, धृति, तन्वित एवं कीर्ति प्रताप सिंह देशवाल का रहा है।