PGI Chandigarh: पीजीआई चंडीगढ़ में सुरक्षा ठेके को लेकर विवाद, ठेकाकर्मियों का विरोध
चंडीगढ़, 17 नवंबर (ट्रिन्यू)
PGI Chandigarh: पीजीआई चंडीगढ़ में सुरक्षा सेवाओं के ठेके को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। नई टेंडर प्रक्रिया के तहत सुरक्षा सेवाओं के ठेके को एक नई कंपनी को दिए जाने पर ठेकाकर्मी संघ ने नाराज़गी जताई है। ज्वाइंट एक्शन कमेटी (ठेकाकर्मी संघ) के अध्यक्ष अश्वनी कुमार मुंजाल ने इस ठेके को अवैध और संवैधानिक नियमों के खिलाफ बताते हुए इसे रद्द करने की मांग की है।
ठेकाकर्मी संघ का कहना है कि पीजीआई प्रशासन ने केंद्रीय श्रम मंत्रालय के आदेशों और 12 दिसंबर 2014 की अधिसूचना का उल्लंघन किया है। अश्वनी कुमार मुंजाल का कहना है कि भारत सरकार ने ठेकेदारी प्रथा को समाप्त करने की अंतिम तिथि 12 जनवरी 2024 निर्धारित की थी, जिसके बावजूद पीजीआई ने नई टेंडर प्रक्रिया जारी की। संघ ने आरोप लगाया कि जिस कंपनी को ठेका दिया गया है, उसे उप मुख्य श्रम आयुक्त कार्यालय से लाइसेंस नहीं मिला है। संघ ने प्रशासन से यह ठेका रद्द करने की मांग की है।
पीजीआई प्रशासन का पक्ष
पीजीआईएमईआर (PGIMER) के प्रवक्ता ने इस विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि पूर्व ठेके की समाप्ति के बाद, सुरक्षा सेवाओं का नया ठेका एम/एस साइक्लोप्स सिक्योरिटी एंड एलाइड सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड को जेम (GeM) प्लेटफॉर्म के माध्यम से दी गई प्रक्रिया के अनुसार दिया गया है। प्रवक्ता ने स्पष्ट किया कि नई कंपनी ने श्रमिक लाइसेंस के लिए आवेदन किया है और जल्द ही प्राधिकरण से स्वीकृति मिलने की उम्मीद है।
प्रशासन ने बताया कि फिलहाल सुरक्षा सेवाओं की जिम्मेदारी पीजीआई के नियमित कर्मचारियों द्वारा निभाई जा रही है, जबकि नई कंपनी ने सेवाओं के अधिग्रहण के लिए 7 दिनों का समय मांगा है।
अधिसूचना पर हाई कोर्ट का रुख
प्रशासन ने यह भी स्पष्ट किया कि 12 दिसंबर 2014 की अधिसूचना का मामला पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में विचाराधीन है। हाई कोर्ट ने इस मामले में आदेश दिया है कि अधिसूचना के तहत किसी भी कठोर कार्रवाई पर रोक रहेगी, इसलिए प्रशासन को नए ठेके देने का अधिकार है।
संघ की मांग: पुराने ठेके को बहाल किया जाए
ठेकाकर्मी संघ ने पीजीआई प्रशासन से आग्रह किया है कि वह नई टेंडर प्रक्रिया को रद्द करते हुए ठेकेदारी प्रथा को समाप्त करने के निर्देशों का पालन करे। संघ ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया तो वे आंदोलन की राह भी अपना सकते हैं।