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तूफान से मुकाबले के लिए स्थायी तंत्र

06:54 AM Jul 03, 2023 IST
तूफान से मुकाबले के लिए स्थायी तंत्र
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प्रतिरोधी तंत्र बने
देश के कई हिस्सों में चक्रवाती तूफान के बाद आंधी, बारिश के साथ जान-माल की तबाही का मंजर नजर आया। सरकार द्वारा किए गए सुरक्षा प्रबंधन के उपायों के बावजूद प्रबंधन कार्यों में मजबूती लानी होगी। प्रत्येक राज्य में राहत-सूचना केंद्रों की स्थापना करनी चाहिए। वैज्ञानिक तकनीकों में ऐसा स्थाई तंत्र विकसित करना चाहिए जो प्राकृतिक झंझावातों से बचाव में सहायक हो। आपदाओं की पूर्व सूचना अनुसार लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा देना चाहिए। आपदा में फंसे लोगों के लिए एनडीआरएफ कर्मियों को हर समय चौकसी बरतनी चाहिए। समाज के स्वैच्छिक मददगारों का सहयोग भी जरूरी है।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल
खाद्य शृंखला की सुरक्षा
विज्ञान व तकनीकी उन्नति के चलते एक घातक चक्रवाती तूफान की चाल और पहुंचने के समय का पूर्व आकलन करने में सहायता मिली, जिससे व्यापक जनहानि को टाला जा सका। हालांकि इस तूफान व अतिवृष्टि से नुकसान हुआ। फिर भी कारगर तंत्र विकसित करना होगा। ऐसे तूफान खाद्य उत्पादन को अधिक प्रभावित करते हैं। हमें अपनी खाद्य शृंखला को बचाए रखने के लिए परंपरागत खेती की तकनीकों का सहारा लेना होगा। जो विषम परिस्थितियों में भी बड़ी आबादी का पेट भरने लायक अन्न बचा सके।
रमेश चन्द्र पुहाल, पानीपत
पूर्व आकलन क्षमता
प्रकृति का ढंग भी निराला है। जितना पानी वह आसमान से बरसाती है अपने रौद्र रूप से कहीं अधिक विनाश भी कर देती है। कई सालों से दुनिया तूफान का सामना कर रही है मगर उसके आने की सही जानकारी समय पर न मिलने के कारण जन-धन बड़ा नुकसान होता आया है। आज दुनिया में अत्याधुनिक तकनीक उपलब्ध है जिसके सहारे तूफान का समय और उसकी गति का अंदाजा लगाया जा सकता है। वैज्ञानिकों को इस दिशा में अपना भविष्यवाणी तंत्र विकसित करना चाहिए जो क्षति की पूर्व खबर दे सके।
अमृतलाल मारू, इन्दौर, म.प्र.
जागरूकता जरूरी
आज विज्ञान के क्षेत्र मे चाहे इंसान ने बहुत तरक्की कर ली है। लेकिन समय-समय पर आपदाओं के रूप मे कुदरत यह अहसास दिलाती रहती है कि प्रकृति के आगे इंसान अभी भी बौना है। इंसान प्रकृति का जरूरत से ज्यादा दोहन कर रहा है। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि तूफान को लेकर मौसम विभाग की भविष्यवाणी सटीक नहीं होती है। देश में प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान से बचने के लिए आपदा प्रबंधन को चुस्त-दुरुस्त करना चाहिए। लोगों को जागरूक किया जाना चाहिए, लेकिन अफसोस की बात है कि सरकारें आपदा प्रबंधन के प्रति उदासीन रवैया बनाए हुए हैं।
राजेश कुमार चौहान, जालंधर
आवासीय रणनीति
ग्लोबल वार्मिंग के कारण समुद्री तापमान के असंतुलन बनने से चक्रवात बनते हैं जिसके फलस्वरूप चक्रवात भयावह रूप दिखाता है। अभी बिपरजॉय के नाम से चक्रवात आया है जिसने गुजरात, महाराष्ट्र और केरल के कई हिस्सों को अपनी चपेट में लिया। यह तो भला हो विज्ञान और तकनीकी की उन्नति का जिसके कारण ज्यादा जनहानि नहीं हो पाती है। लेकिन फिर भी चक्रवात के कारण जनमानस में भय तो रहता है। जरूरी है कि लोगों को समुद्र के किनारे बसने नहीं दिया जाए। ताकि हर वर्ष इन चक्रवातों से होने वाले भवनों के नुकसान को रोका जा सके।
भगवानदास छारिया, इंदौर
पूरी हो तैयारी
अक्सर मानसून सीजन से पूर्व किसी न किसी चक्रवात तूफान का आगमन हो ही जाता है। बीते दशकों से ये लगातार जारी है। ऐसे में जब कोई चक्रवाती तूफान आता है, तो मौसम में बदलाव होने आरंभ हो जाते हैं जिसका प्रतिकूल प्रभाव जनमानस पर पड़ता है। बेशक इन तूफानों से बचाव के लिए सरकारें तैयारियां करती हैं। लेकिन जब तूफान आता है तो बचाव का मौका तक नहीं देता। सरकारी तैयारियां धरी की धरी रह जाती हैं। फिर भी अलर्ट जारी करके लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जाता है। वहीं एनडीआरएफ, सिविल डिफेंस, नौसैनिक से लेकर सेना के जवान भी समुद्र के तटों पर हर स्थिति का मुकाबला करने के लिए तैयार रहें।
मुस्कान, शिमला
पुरस्कृत पत्र
पर्यावरण संतुलन भी हो
समुद्री तूफान के बनने के लिए जलवायु परिवर्तन को एक महत्वपूर्ण कारक माना जाता है। समुद्र की सतह के उच्च तापमान के कारण इनकी तीव्रता भी अधिक होती है। इसीलिए अरब सागर में उठे हालिया बिपरजॉय चक्रवाती तूफ़ान ने देश को चिंता में डाला। लेकिन विज्ञान तकनीकी के सहारे तूफान से मुकाबले के लिए इसकी चाल का सटीक आकलन किया गया। संवेदनशील क्षेत्रों में भारतीय तट रक्षक, एनडीआरएफ व नौसेना ने राहत और बचाव कार्यों का पर्याप्त इंतजाम किया। इसके स्थाई हल के तंत्र में पर्यावरण के संतुलन को भी शामिल करना जरूरी है।
देवी दयाल दिसोदिया, फरीदाबाद

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