नैतिक मूल्यों से साख
दीपावली जैसे पवित्र त्योहार पर जब लोग ख़ुशियां बांट रहे होते हैं, तब कुछ व्यापारी मुनाफे के लालच में मिलावट करके स्वास्थ्य से खिलवाड़ करते हैं। दूध, मावा और सूखे मेवों में घटिया सामान मिलाकर न केवल वे उपभोक्ताओं को नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि समाज में विश्वास भी तोड़ते हैं। यह व्यापारियों के लिए एक गंभीर चुनौती है, क्योंकि व्यवसाय की सफलता का आधार सिर्फ मुनाफा नहीं, बल्कि नैतिकता, ईमानदारी और उपभोक्ताओं का विश्वास है। व्यापारी अगर नैतिक मूल्यों को प्राथमिकता देंगे, तो समाज में उनकी प्रतिष्ठा बनी रहेगी और उनका व्यवसाय लंबी अवधि में सफल होगा।
डॉ. मधुसूदन शर्मा, रुड़कीसमाज का नुक़सान
आज शिक्षा के साथ-साथ भौतिक चमक-दमक भी बढ़ती जा रही है। अधिक पैसे कमाने की चाहत में कई कारोबारी अपनी नैतिक जिम्मेदारी भूल रहे हैं। दवाइयां, खाद्य पदार्थ, घी, तेल, दूध, मिठाइयां, मसाले आदि में मिलावट कर वे लोगों को चुपके-चुपके अस्वस्थ बना रहे हैं। यह कोई छोटा अपराध नहीं है, लेकिन लचर सरकारी व्यवस्था, भ्रष्टाचार और कठोर सजा के अभाव में मिलावट का खेल पनप रहा है। मिलावट करने वाले सिर्फ अपने फायदे की सोचते हैं, जबकि इसके परिणाम समाज और स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डालते हैं।
दिनेश विजयवर्गीय, राजस्थानकठोर सज़ा मिले
त्योहारों के दौरान नकली मेवा और मिलावटी सामानों की भरमार हो जाती है, जिससे उपभोक्ताओं का स्वास्थ्य खतरे में पड़ता है। मुनाफा कमाने के लिए कुछ लोग नैतिकता को ताक पर रख देते हैं और भूल जाते हैं कि ये मिलावटी उत्पाद जानलेवा बीमारियों का कारण बन सकते हैं। सरकार ने मिलावट को कानूनी अपराध घोषित किया है, लेकिन भ्रष्टाचार और लालफीता शाही के चलते इस पर रोक नहीं लग पा रही। ऐसे लोग समाज के दुश्मन हैं और उन्हें कठोर सजा मिलनी चाहिए, ताकि इस अव्यवस्था पर प्रभावी नियंत्रण किया जा सके।
पूनम कश्यप, नयी दिल्ली
स्वास्थ्य के लिए खतरा
दिवाली पर मिठाइयों और सूखे मेवों की खरीदारी के दौरान बाजारों में लंबी कतारें होती हैं, जो आस्था और रिश्तों की मजबूती का प्रतीक हैं। लेकिन कुछ मिष्ठान विक्रेता शुद्धता का दावा करते हुए मिलावटी दूध और नकली सामग्रियों से मिठाइयाँ बेचते हैं, जिससे लाखों जिंदगियाँ खतरे में पड़ती हैं। ग्राहक चमक-दमक के आकर्षण में बीमारियों का सौदा कर रहे होते हैं। यदि खाद्य विभाग नमूने जांचे तो 90 प्रतिशत विक्रेता दोषी पाए जाएंगे। ऐसे में मिष्ठान निर्माताओं को ईमानदारी से काम करना चाहिए और उपभोक्ताओं को मिलावटी उत्पादों से बचना चाहिए
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल
सख्त कार्रवाई हो
आजकल लोग त्योहारों पर घरेलू व्यंजनों की बजाय बाजार से मेवा-मिष्ठान अधिक खरीदते हैं, जिससे इनकी मांग खासतौर पर दिवाली के समय बढ़ जाती है। कुछ व्यापारी ईमानदारी से गुणवत्ता प्रदान करते हैं, लेकिन कई लोग मुनाफा कमाने के चक्कर में उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करते हैं। दूध और दूध के उत्पादों में मिलावट एक गंभीर समस्या बन चुकी है। ऐसे में, समय रहते मिलावट पर कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए, ताकि उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य को सुरक्षित रखा जा सके।
देवी दयाल दिसोदिया, फरीदाबादउपभोक्ता के अधिकार
बाजार में अपमिश्रण, मुनाफाखोरी और भ्रष्टाचार ने उपभोक्ता संप्रभुता और उपभोक्ता संरक्षण अधिनियमों को गंभीर चुनौती दी है। कारोबारियों को न तो सामाजिक जिम्मेदारी की चिंता है, न ही कानून का भय। भ्रष्ट व्यापारियों को कठोर दंड देना जरूरी है ताकि उनका उदाहरण दूसरों के लिए सबक बने। इसके साथ ही उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना और प्रशिक्षण देना भी आवश्यक है। व्यापार की शुचिता और नैतिकता की रक्षा के लिए चालबाज़ व्यापारियों और भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत को उजागर करना बेहद महत्वपूर्ण है। यह कदम उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा के लिए आवश्यक है।
ईश्वर चन्द गर्ग, कैथल