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जन संसद

08:01 AM Oct 28, 2024 IST

कांग्रेस की चूक

हरियाणा विधानसभा चुनाव परिणामों ने एग्जिट पोल और राजनीतिक विश्लेषकों की भविष्यवाणियों को गलत साबित किया। कांग्रेस का अति आत्मविश्वास, भाजपा का प्रभावी माइक्रो मैनेजमेंट और मनोहर लाल खट्टर व नायब सैनी का प्रभावी प्रचार इसके प्रमुख कारण रहे। कांग्रेस के भीतर मुख्यमंत्री पद की दावेदारी को लेकर भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कुमारी सैलजा और सुरजेवाला की बयानबाजी ने भी पार्टी को नुकसान पहुंचाया। यह स्पष्ट हुआ कि एग्जिट पोल हमेशा सही नहीं होते। राहुल गांधी की कोशिशें भी विफल रहीं और परिणाम अन्य राज्यों के चुनावों को प्रभावित कर सकते हैं।
शामलाल कौशल, रोहतक
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जनता का निर्णय

जनता अपने मत के माध्यम से सत्तापक्ष के जनहित कार्यों का मूल्यांकन करती है। हरियाणा विधानसभा चुनाव के हालिया परिणामों ने एग्जिट पोल और भविष्यवाणियों को गलत साबित किया। भाजपा का सफल माइक्रो मैनेजमेंट और चुनाव प्रचार प्रभावी रहा। कांग्रेस की आपसी गुटबाजी और विश्वसनीयता की कमी ने उसे चुनावी जीत से वंचित कर दिया। नि:स्वार्थ लोककल्याण की कार्यशैली ने भाजपा की जीत तय की। जिससे जनसंदेश स्पष्ट है कि मतदाता ने अपनी आवाज भाजपा को सौंपी है।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल

जनादेश के मायने

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हरियाणा चुनाव के अप्रत्याशित नतीजों ने कांग्रेस को स्तब्ध कर दिया, जिसने इसे लोकतंत्र की हार बताया। लेकिन यह सच है कि जनादेश भाजपा के शासन मॉडल के प्रति विश्वास के रूप में सामने आया। कांग्रेस को चाहिए कि वह उन मुद्दों पर मंथन करे, जिनसे जनता असहज थी। अतिआत्मविश्वास से नायब सरकार को सावधान रहना होगा, क्योंकि कांग्रेस ने इसका खमियाजा भुगता है। जनता उम्मीद करती है कि चुनी हुई सरकार उनकी समस्याओं को समझेगी और भरोसे पर खरा उतरेगी।
पूनम कश्यप, नयी दिल्ली

राजनीति की सच्चाई

हरियाणा में कांग्रेस ने अपनी गलतियों के चलते चुनाव हारने के बाद भी नतीजों को स्वीकार नहीं किया और मतगणना में खामी का रोना रोया। मीडिया और एग्जिट पोल एजेंसियां भी वास्तविक स्थिति को समझने में विफल रहीं। मतदाता की खामोशी को नहीं पढ़ा जा सका, जिससे कई प्रश्न उठते हैं। भाजपा के खिलाफ सत्ता विरोधी रुझान के बावजूद कांग्रेस इसका लाभ नहीं उठा सकी। यदि कांग्रेस अपनी कमजोरियों को पहचानने और दूसरों को दोष देने से नहीं रुकी, तो उसे आगे भी नुकसान उठाना पड़ेगा।
कु. रिया पुहाल, पानीपत

विचारधारा प्रभावी

हरियाणा में तीसरी बार भाजपा की जीत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि जनता बहुसंख्यक हितों की समर्थक है। कांग्रेस के अति आत्मविश्वास और समुदाय विशेष के पक्षधर होने के कारण उसे हार का सामना करना पड़ा। लोकसभा चुनाव में 99 सीटें जीतकर कांग्रेस ने हरियाणा में अपनी जीत को सुनिश्चित माना, लेकिन भाजपा ने स्थानीय मुद्दों पर निराशा के बावजूद अपनी राष्ट्रीय विचारधारा को प्राथमिकता दी। जनता ने विभाजनकारी ताकतों को नकारते हुए भाजपा को फिर से सत्तासीन किया।
ललित महालकरी, इंदौर, म.प्र.

कांग्रेस सबक ले

कांग्रेस ने एग्जिट पोल और सियासी विश्लेषकों के अति आत्मविश्वास पर भरोसा किया कि भाजपा हरियाणा में हैट्रिक नहीं बनाएगी, लेकिन भाजपा ने 36 बिरादरियों को साधकर उनकी भलाई के लिए योजनाएं लागू कीं। कांग्रेस अपने अंतर्विरोधों में उलझी रही, जबकि भाजपा ने आरएसएस का सहयोग लेकर अपनी स्थिति मजबूत की। निष्ठावान कांग्रेस नेताओं और आप पार्टी के उम्मीदवारों की मैदान में मौजूदगी ने परिणामों को प्रभावित किया। कांग्रेस को अब सबक लेना चाहिए और इंडिया गठबंधन के साथ मिलकर आगामी चुनावों की तैयारी करनी होगी।
बीएल शर्मा, तराना, उज्जैन

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